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Sep 23, 2010

कॉमनवेल्थ गेम्स पर कोहरे का कहर

कैसे खेलेंगे खिलाड़ी?
- डॉ. . पी. जोशी
अपनी खेल गतिविधियों के कारण खिलाड़ी सामान्य लोगों की तुलना में तेज श्वसन करते हैं एवं अधिक वायु का प्रवेश फेफड़ों में होता है। अधिक मात्रा में ली गई वायु यदि प्रदूषित है तो वह खिलाडिय़ों पर विपरीत प्रभाव डालकर खेल क्षमता को घटा देती है। अत: खेल के स्थानों पर वायु प्रदूषण न्यूनतम होना चाहिए। अंर्तराष्ट्रीय खेलों के आयोजन के समय अब इसके लिए प्रयास किए जाने लगे हैं।
दिल्ली में अक्टूबर 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन है परन्तु वहां पर पर्यावरण की स्थिति अनुकूल नहीं है। दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए किए जा रहे निर्माण कार्यों के समय ऐसे कोई उपाय नहीं अपनाए गए जो धूल के उडऩे को कम करते। बीजिंग ओलम्पिक के समय निर्माण कार्य के क्षेत्रों को ढककर कार्य किया जाता था ताकि धूल न फैले। दिल्ली में वृक्ष भी काफी काटे गए जिससे वायु प्रदूषण में वृद्धि हुई है।
वायु प्रदूषणकारी तत्वों में प्रमुख निलंबित धूल कण (एस.पी.एम.) एवं श्वसन-योग्य कणों (आर.एस.पी.एम.) की औसत मात्रा दिल्ली में वर्ष 2006-2008 में क्रमश: 326 एवं 140 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर थी जो वर्ष 2009 में बढ़कर 484 एवं 272 हो गई एवं वर्ष 2010 में 553 एवं 322 तक पहुंच गई। कुछ वर्षों पूर्व सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दिल्ली के कई क्षेत्रों में ओजोन की औसत मात्रा 40.45 पीपीबी (पाट्र्स पर बिलियन) आंकी थी। घने यातायात के क्षेत्रों में यह मात्रा 100 से 120 तक थी।
अक्टूबर में शीतकाल भी प्रारंभ होगा एवं दिल्ली में कोहरे की समस्या भी होगी। कोहरा भी खिलाडिय़ों के लिए खतरनाक होता है। लॉस एंजिलिस में 1978 में राष्ट्रीय खेलों के समय लगभग एक दर्जन खिलाड़ी कोहरे से प्रभावित होकर बीमार हो गए थे।
अक्टूबर में शीतकाल भी प्रारंभ होगा एवं दिल्ली में कोहरे की समस्या भी होगी। कोहरा भी खिलाडिय़ों के लिए खतरनाक होता है। लॉस एंजिलिस में 1978 में राष्ट्रीय खेलों के समय लगभग एक दर्जन खिलाड़ी कोहरे से प्रभावित होकर बीमार हो गए थे। अमेरिका के के.के. स्कूल ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों के अनुसार अधिक वायु प्रदूषण से खिलाडिय़ों में दमा की संभावना बढ़ जाती है। एथलीट्स सामान्य की तुलना में 10-15 गुना ज्यादा हवा ग्रहण करते हैं एवं ओजोन इस पर विपरीत प्रभाव डालती है। 0.02 पीपीएम ओजोन खिलाडिय़ों, विशेषकर धावक व सायकल रेस प्रतिभागियों को एक घंटे में ही परेशान कर डालती है। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु व नेशनल स्टेडियम मुख्य मार्गों के नजदीक है। अत: यहां प्रदूषण भी अधिक है। पर्यावरणविदों के अनुसार खेल के समय यहां धूल के महीन कणों की मात्रा चार गुना कम करनी होगी। कुछ वर्ष पूर्व दिल्ली में भारी वायु प्रदूषण के कारण ऑस्ट्रेलिया के क्रिकेट बोर्ड ने खिलाडिय़ों को दिल्ली में मैच खेलने से मना किया था।
दिल्ली स्थित विज्ञान व पर्यावरण केन्द्र पहले ही दिल्ली में प्रदूषण की भयावह स्थिति के कारण घटते स्वच्छ दिनों पर गहरी चिंता व्यक्त कर चुका है। केन्द्र द्वारा मई 2010 में जारी रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली में स्वच्छ हवा के दिन लगातार घटते जा रहे हैं। वर्ष 2006 से 2008 तक दिल्ली में प्रदूषण का न्यूनतम स्तर 30 प्रतिशत दिनों में ही था। वर्ष 2009 में 40 प्रतिशत दिन स्वच्छ आंके गए एवं वर्ष 2010 में जनवरी से मई तक 8 प्रतिशत दिन ही निरापद रहे। बढ़ते वायु प्रदूषण का प्रभाव स्वास्थ्य पर भी हो रहा है। दिल्ली में प्रति पांच में से दो लोग श्वसन रोगों से प्रभावित हैं। अक्टूबर तक यदि वायु प्रदूषण नियंत्रित नहीं किया गया तो यह खिलाडिय़ों को प्रभावित करेगा।

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