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Apr 27, 2009

बारिश के लिए टोटका...

बारिश के लिए
टोटका...
यदि मेढकों की शादी करवाने से अच्छी बारिश होने लगे तो फिर कहीं भी सूखा और अकाल ही न पड़े। मनुष्य अपने कमजोर मन को बहलाने के लिए कुछ इसी तरह के उपाय करके जीने की कोशिश करता है। इसी सोच के साथ काठमांडू से 140 किलोमीटर दूर पूर्वी नेपाल के डोलखा जिले के समीप एक गांव के किसानों ने मेढकों की शादी पूरे विधि-विधान से करवाई। उनकी मान्यता है कि शादी के बाद अगर मेढकों का जोड़ा टर्राता है, तो बारिश के संकेत मिल जाते हैं। पिछले दिनों डोलखा जिले के गैरी गांव के किसानों ने यह शादी इसलिए करवाई क्योंकि उनके इलाके में पिछले आठ महीने से एक बूंद भी बारिश नहीं हुई है। ग्रामीणों के अनुसार इस क्षेत्र में पांच साल पहले भी ऐसा ही सूखा पड़ा था, तब भी मेढकों की शादी करवाई गई और अगले ही दिन खूब बारिश हुई।
इस तरह का विश्वास ( अंध) सिर्फ काठमांडू में ही प्रचलित नहीं है बल्कि भारत के अधिकांश प्रदेशों में बारिश के लिए कई प्रकार के टोटके प्रचलित हैं। ऐसे विश्वासों पर हम तो इतना ही कह सकते हैं कि 'वरुण देव' मेढकों की शादी से प्रसन्न हों और जल्द ही बादल उमड़- घुमड़ आएं।
वास्तव में देखा जाए तो लोक मानस मेढ़क और बारिश का संबंध इसलिए जोड़ते हैं क्योंकि मेढकों को बारिश का इंतजार होता है, क्योंकि यह मौसम उनके लिए धरती से बाहर निकलने का मौसम होता है। बारिश का आभास पाते ही वे टर्राने लगते हैं, और हम हैं कि जबरदस्ती उन्हें धरती से बाहर निकाल कर टर्राने के लिए मजबूर करते हैं। यह जानने की कोशिश किए बगैर कि बारिश न होने के पीछे हम मनुष्यों का अति लोभ है जो विकास के नाम पर विनाश की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं। जंगल काट रहे हैं, धरती का दोहन कर रहे हैं, बड़े- बड़े कल कारखाने लगा कर हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। मानव की इन गलतियों का नतीजा बेचारे मेढक झेल रहे हैं।
जायकेदार मकड़ी
मकड़ी को आपने अपने घरों में जाला बनाते तो देखा होगा परंतु क्या इस मकड़ी के लजीज व्यंजन बनते भी देखा है। चलिए हम आपको बताते हैं कि मकड़ी के जायकेदार व्यंजनों के बारे में। कम्बोडियाई शहर फोम पेन से 75 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित स्कन क्षेत्र मकडिय़ों के व्यंजन के लिए प्रसिद्ध है। तली हुई मकडिय़ां इस शहर की पहचान बन गईं हैं। तली हुई मकडिय़ों को बेचना यहां के लोगों के लिए काफी बड़ा कारोबार है। यहां आपको राह चलते मकड़ी के व्यंजन बेचने वाले मिल जाएंगे। आने वाले पर्यटक मकडिय़ों के इस व्यंजन को काफी पसंद भी करते हैं।
एक और खास बात मकड़ी के व्यंजन बेचने वाले जिंदा मकड़ी पौधों में पाल कर रखते हैं। आप अपनी मनपसंद मकड़ी चुनए, आपके सामने वही मकड़ी तल कर पेश कर दी जाएगी। शाकाहारी यह सब पढ़कर सहज महसूस नहीं करेंगे, परंतु दुनिया में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां सांप, बिच्छू भी पका कर खाए जाते हैं फिर तो यह मकड़ी है। कहते हैं ना जैसा देश वैसा भेस। तो जहां यह सब खाया पकाया जाता है उनके लिए कुछ भी असहज नहीं है।

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