बारिश के लिए
टोटका...

इस तरह का विश्वास ( अंध) सिर्फ काठमांडू में ही प्रचलित नहीं है बल्कि भारत के अधिकांश प्रदेशों में बारिश के लिए कई प्रकार के टोटके प्रचलित हैं। ऐसे विश्वासों पर हम तो इतना ही कह सकते हैं कि 'वरुण देव' मेढकों की शादी से प्रसन्न हों और जल्द ही बादल उमड़- घुमड़ आएं।
वास्तव में देखा जाए तो लोक मानस मेढ़क और बारिश का संबंध इसलिए जोड़ते हैं क्योंकि मेढकों को बारिश का इंतजार होता है, क्योंकि यह मौसम उनके लिए धरती से बाहर निकलने का मौसम होता है। बारिश का आभास पाते ही वे टर्राने लगते हैं, और हम हैं कि जबरदस्ती उन्हें धरती से बाहर निकाल कर टर्राने के लिए मजबूर करते हैं। यह जानने की कोशिश किए बगैर कि बारिश न होने के पीछे हम मनुष्यों का अति लोभ है जो विकास के नाम पर विनाश की ओर बढ़ते चले जा रहे हैं। जंगल काट रहे हैं, धरती का दोहन कर रहे हैं, बड़े- बड़े कल कारखाने लगा कर हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। मानव की इन गलतियों का नतीजा बेचारे मेढक झेल रहे हैं।
जायकेदार मकड़ी

एक और खास बात मकड़ी के व्यंजन बेचने वाले जिंदा मकड़ी पौधों में पाल कर रखते हैं। आप अपनी मनपसंद मकड़ी चुनए, आपके सामने वही मकड़ी तल कर पेश कर दी जाएगी। शाकाहारी यह सब पढ़कर सहज महसूस नहीं करेंगे, परंतु दुनिया में अनेक ऐसे स्थान हैं जहां सांप, बिच्छू भी पका कर खाए जाते हैं फिर तो यह मकड़ी है। कहते हैं ना जैसा देश वैसा भेस। तो जहां यह सब खाया पकाया जाता है उनके लिए कुछ भी असहज नहीं है।
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