कुत्तो से सावधान रहने के साथ साथ मूर्खों से भी सावधान रहने की सख्त ज़रूरत है। अगर आप
अपना पूरा ध्यान कुत्तो से सावधान होने में लगा दोगे तो हो सकता है आपको मूर्ख आकर
काट देगा। कुत्ते वाले घर के दरवाज़े पर लिखा मिल सकता है “कुत्तो से सावधान” लेकिन
जिस घर में मूर्ख है उनके दरवाज़े पर “मूर्खों
से सावधान” लिखा नहीं मिलेगा जबकि जनहित में यह लिखा जाना चाहिये लेकिन आज
जनहित की चिंता है ही किसे ?
इसलिए यह ज़रूरी है कि आप अपनी रक्षा स्वयं करें। किसी के घर में
जाने से पहले यह जानकारी एकत्रित कर ले कि उस घर में एक या एक से अधिक मूर्ख है,
या एक भी मूर्ख नहीं है या वह मूर्खो का ही घर है।
लोग मुर्दों से डरते है जबकि उन्हें मूर्खों से डरना चाहिये क्योंकि मुर्दे मूर्खता नहीं
करते। मैं यह कहना चाहता हूँ कि जीवन अमूल्य है कृपया इसे मूर्खो के हवाले न करे।
मूर्खो की मंशा का कोई भरोसा नहीं उनसे मिलते हो तो ये बात ध्यान में रखना। अक्ल
वाले पत्थर के टुकड़ों को ताज महल में बदल देते है और मूर्ख के हाथ में ताज महल आ
जाये तो वह उसे पत्थर के टुकड़ों में बदल देगा । इंसानों से प्यार, हुस्न की कद्र,
वतन से मुहब्बत जो इन चीजों से कोसो दूर है वह भी मूर्ख है ।
मूर्ख नरम मिज़ाज के भी होते है गरम मिज़ाज के भी होते है, बस मुश्किल यह है कि
जहाँ नरम होना चाहिये वहां गरम हो जाते है और जहाँ गरम होना चाहिये वहाँ नरम हो
जाते है। बहस मूर्खों की पहचान है,
अनावश्यक बहस मूर्खों की फैक्टरी
में तैयार सामग्री है। मूर्खों की भाषा
प्रभावशाली हो सकती है लेकिन बात काम की नहीं होती। बहस में अच्छी भाषा ही
पर्याप्त नहीं है बात भी काम की होनी चाहिये । मूर्ख का बोलना एक प्रकार की
प्राकृतिक आपदा है जिसमें तबाही का सही आकलन आज तक नहीं हो पाया है। मूर्ख बहस
करते करते न थकता है न उबता है बल्कि हर बार वह पहले ज़्यादा ऊर्जावान और तरोताज़ा
हो जाता है। मूर्खों में बहस करने की तलब
गुटका, तंबाकू, सिगरेट और शराब की तलब
जैसी होती है। इनके दिमाग़ में बहस इनके हाथ में माचिस की तरह होती है जिसका इन्हें
इस्तेमाल करना नहीं आता है।
एक बार जनगणना मूर्खों
के आधार पर होना चाहिये। मूर्ख चिन्हित किये जाने चाहिये। मूर्खों की पीठ पर पोस्टर लगा होना चाहिये कि इनसे
सुरक्षित दूरी बनाये रखे ये स्वास्थ के लिये हानिकारक है। मूर्खता का सूचकांक
रिकार्ड उंचाई प्राप्त कर रहा है। जब मूर्ख बहस के दौरान अपनी लय प्राप्त कर लेते
है तब उन्हें रोकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है। उनका रनवे और उनकी उड़ान से
अल्लाह सब की हिफ़ाज़त करें।
मूर्खता का समर्थन करते हुए मूर्ख कहते है कि इंसान किसी
संस्थान में ट्रेनिंग लेकर मूर्ख नहीं होता है यह इंसान का पैदाइशी गुण है अतः
मूर्ख की निंदा करना भगवान की निंदा करना है। आप चौकिये मत मूर्ख कुछ भी बोल सकते
है क्योंकि इन्हें न तो सोच कर बोलना है न बोल कर सोचना है। ये सब बुद्धिमानों के
तनाव है जिससे मूर्ख कोसो दूर रहते है।
जैसे यह देखा जाता है कि कुत्ता किस नस्ल का है वैसे मूर्ख की
भी जांच की जानी चाहिये। जो ऊँची नस्ल के
होते है उन्हें लगता है जो उन्होंने कह दिया बस वही अंतिम वाक्य है, मानो इनका फैसला
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हो गया। जैसे हिंसक पशुओं के दांत और नाखून होते है
वैसे मूर्खों के भी होते है अंतर बस यह है
कि मूर्ख के दांत उसकी बुद्धि में और नाख़ुन उनकी जीभ में होते है। जैसे जुआड़ी को
जुआड़ी, शराबी को शराबी मिल ही जाते है वही हाल मूर्खों का भी है एक ढूँढो हज़ार मिलते है।
नफ़रत तो मूर्खता है ही लेकिन प्रेम में भी कम मूर्खताएँ नहीं
होती । प्रेम में जो मूर्खताएँ है वही प्रेम की बुद्धिमानी है। प्रेमी की मूर्खता
हमेशा उफ़ान पर होती है, मूर्खता का पानी हमेशा खतरे के निशान से उपर बहता है । मूर्ख अक्ल
के गुलदान में सजा मुरझाया हुआ फूल है । ये मसले को वहाँ ले जाकर भटक जाते
है जहाँ उन्हें मकान याद रहता है लेकिन गली भूल जाते है।
मूर्ख एक ही प्रकार के नहीं होते है इनकी अलग- अलग किस्में
होती है। जिनमें मूर्खों को पहचानने की
काबिलीयत होती है वे पहचान जाते है कि यह किस विभाग का मूर्ख है और किस प्रकार की
मूर्खता कर रहा है। मूर्ख जिस विभाग में होता है उसे छोड़ हर विभाग के काम में दखल
देता है। समाज में अगर मूर्ख न हो तो बुद्धिमानों की कोई कद्र ही नहीं होगी। मूर्ख
अपनी मूर्खता से साबित करते है कि होशियार लोगों का होना कितनी ज़रूरी है।
सम्पर्कः निकट मेडी हेल्थ हास्पिटल, आमानाका, रायपुर (छत्तीसगढ़), मो.न. 9826126781
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