-अशोक
अंजुम
पत्थर से टकराए
पत्थर
शीशे से घबराए
पत्थर
तुमने सदा मनाए
पत्थर
इसीलिए इतराए पत्थर
हम तो खुशबू बाँट
रहे थे
बस्ती ने बरसाए
पत्थर
शिल्पकार भी शीश
झुकाए
मंदिर में मुस्काए
पत्थर
इंसानों की राह में
आकर
पल-पल ठोकर खाए
पत्थर
धरती ने तब फूल
खिलाए
हमने ज़रा हटाए
पत्थर
राम नाम का मिला
सहारा
सागर ने तैराए
पत्थर
सम्पर्कः स्ट्रीट-2, चंद्र विहार कॉलोनी (नगला डालचंद) , क्वारसी
बायपास, अलीगढ़- 202002 (उ.प्र.)
मो. 09258779744, ashokanjumaligarh@gmail.com
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