बल्ले पर बस्तर की लोक चित्रकला
खेम वैष्णव
खेम वैष्णव
आईपीएल मैच की टीम "दिल्ली डेयर डेविल्स" के लिए दिल्ली स्थित
संस्था "आर्ट्स फॉर ऑल" ने देश के चुनिन्दा चित्रकारों से सम्पर्क किया
और उन्हें अपनी कलाकृति से बल्लों को सजाने का अवसर प्रदान किया। इसी सन्दर्भ में
कोंडागाँव निवासी और सुप्रसिद्ध लोक चित्रकार खेम वैष्णव से भी सम्पर्क किया गया।
उनसे कह दिया गया कि वे बल्ले पर चित्रकारी के लिए स्वतन्त्र हैं। कोई
दिशा-निर्देश नहीं दिया जाएगा। इससे खेम वैष्णव के कलाकार को बल मिला और उन्होंने
5.3 फीट तथा 1.5 फीट के दो बल्लों पर बस्तर की संस्कृति को लोकचित्र के माध्यम से
उसकी समग्रता में उकेर दिया। उन्होंने इन बल्लों पर बस्तर की आदिवासी एवं
लोक-संस्कृति को इस तरह रूपायित किया है कि वे बल्ले एक यादगार बन कर रह जाने वाले
हैं। धार्मिक अनुष्ठान "जतरा" आदिवासी एवं लोक समुदाय के मन में प्रकृति
एवं देवी-देवताओं के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का प्रतीक है। सूर्य-चन्द्र का अंकन
उनकी शाश्वतता के प्रतीक हैं। इसी तरह "मोहरी" केवल एक वाद्य नहीं अपितु
लोक जागरण का प्रतीक है। नृत्य और संगीत आदिवासी एवं लोक जीवन के आह्लादकारी
क्षणों को प्रदर्शित करते हैं। वन्य-जीव, जन-जीवन, जीवन-चक्र और आदिवासी एवं लोक जीवन में महुआ वृक्ष की उपादेयता आदि
का चित्रण इन बल्लों पर बखूबी किया गया है। चटख रंगों का प्रयोग इन बल्लों की एक
अन्य
विशेषता
है। उल्लेखनीय है कि श्री वैष्णव ने यह चित्रकला अपनी माता से सीखी और समय के साथ
उसे परवान चढ़ाते गए। उनके लोकचित्रों की प्रदर्शनियाँ अब तक देश-विदेश के
विभिन्न हिस्सों में हो चुकी हैं।
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