उदंतीः अप्रैल 2013
शांति से बढ़कर कोई तप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं,
तृष्णा से बढ़कर कोई व्याधि नहीं और दया के समान कोई धर्म नहीं
- चाणक्य
अनकही: जल संकट की आहट.. -डॉ. रत्ना वर्मा
शांति से बढ़कर कोई तप नहीं, संतोष से बढकर कोई सुख नहीं,
तृष्णा से बढ़कर कोई व्याधि नहीं और दया के समान कोई धर्म नहीं
- चाणक्य
अनकही: जल संकट की आहट.. -डॉ. रत्ना वर्मा
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