हमारे मन का आईना है सपना
- रश्मि वर्मा
- रश्मि वर्मा
आप गहरी नींद में हैं अचानक आपकी चीख निकलती हैं और आप उठकर बैठ जाते हैं, आपके माथे पर पसीने की बूंदें पड़ जाती हैं। जागने का कारण जानने पर आपको पता चलता है कि आपने कोई बहुत ही डरावना सपना देखा है जिसकी वजह से आप जाग गए। इसी तरह कई बार सपने में आपको लगता है आप उड़ रहे हैं या आप समुद्र में डूब रहे हैं अथवा किसी ऊंचाई से गिरने वाले हैं या फिर कोई आपका पीछा कर रहा है और आप भागे चले जा रहे हैं पर आपको कोई राह नहीं सूझ रहा है, ऐसे समय में आप किसी को पुकारने के लिए जोर से चिल्लाना चाह रहे हैं पर आपके गले से आवाज ही नहीं निकलती ...
ये कुछ ऐसे बुरे सपने हैं, जिनसे अक्सर हर किसी का सामना कभी न कभी होता है।
वैज्ञानिक इंसान की प्रत्येक हरकत के कारणों को जानने की कोशिश में लगा रहता है। उन्हीं में से वह ऐसे सपनों के रहस्य को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक सर्वे किया, जिसके अनुसार ऐसे दु:स्वप्नों का सीधा नाता आपके रोजमर्रा के कामकाज से नहीं है, बल्कि यह आपकी भावनाओं और चिंताओं से जुड़ा होता हैं।
शिकागो स्थित इंटरनैशनल असोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ड्रीम्स ने करीब 2000 महिलाओं और पुरुषों से उनके सपनों के बारे में पूछा। इस दौरान इनके सपनों की थीम और उनकी भावनाओं व डर के बीच एक लिंक देखने को मिला। इनसे पता चला कि हर 10 में एक व्यक्ति को साल में बहुत बुरे सपने आते हैं। हर 20 में एक तो हर पखवाड़े ऐसे सपनों से डरकर उठ जाता है। अच्छी बात यह है कि सर्वे में 48 पर्सेंट लोगों ने दावा किया कि उन्हें कभी भी बुरे सपने नहीं आए।
डेली मेल के मुताबिक, बुरे सपनों में कम उम्र में बालों का झडऩा यानी एकदम गंजा हो जाना, दांतों का गिर जाना, बहुत ही कम उम्र में एग्जाम में बैठना भी काफी कॉमन है। पुरुषों में नौकरी से निकालने का डर सबसे ज्यादा होता है, तो महिलाओं में प्रियजन
को खोने और यौन उत्पीडऩ का डर सबसे ज्यादा होता है। वैसे गंजे होने या दांत टूटने का ज्यादा डर भी महिलाओं को ही होता है। इनमें नैन- नक्श को खो देना भी बुरे सपनों में अहम पायदान पर आता है। महिलाओं को बुरे सपने ज्यादा आने की वजह हार्मोन से जुड़ी हैं। वे अक्सर पीरियड से पहले हिंसक सपनों को देखती हैं।
डॉ. श्रेडल कहते हैं कि रात में किसी दैत्य के पीछा करने का सपना दरअसल यह दिखाता है कि दिन में आपको ऐसा काम करने को कहा जा रहा है, जो आपके मन का नहीं है। ड्रीम एक्सपर्ट डेविना मैकेल कहती हैं कि बुरे सपने आपकी जिंदगी का अनसुलझा पहलू है या कुछ ऐसी पहेलियां जो सुलझ नहीं सकीं। आप दिन में अपने आप से झूठ बोल सकते हैं, पर रात में सपनों में नहीं।
इन बुरे सपनों के अलावा यह भी सत्य है कि हम जागते हुए भी अपनी चाहतों को पूरा करने के लिए स्वप्न देखते हैं और अपनी जिंदगी में उस चाहे गए सपने को पूरा करने में लगन और धैर्य से लगे रहते हैं। ऐसे देखे जाने वाले सपनों का ही अंजाम है कि आज विश्व भर में अनेक महान लोगों ने अपने सपनों को अंजाम दिया।
तभी तो कहा गया है कि हर उपलब्धि पहले सपना होती है।
गेटे ने एक स्थान पर कहा है- 'हम अपने यथार्थ में नहीं, स्वप्न में जीते हैं। यदि स्वप्न की ज्योति बुझ जाए, तो हम भी पर्वतों की भांति जड़ हो जाएं। सचमुच, स्वप्नों के गर्भ में हमारे विकास के लिए अमृत- कुंड भरा है। इससे हमारी आशा, महत्वाकांक्षा, उत्साह, रुचि सबको प्राणरस मिलता है।' हमारे जीवन में आकांक्षा के जो भावचित्र बने हैं, यदि उनमें हमारे स्वप्नों की तूलिकाएं इंद्रधनुषी रंग न भरें, तो हमारा सारा जीवन एक असह्य भार बन जाए।
स्वप्न हमारे वास्तविक जग के भावात्मक अभावों की पूर्ति करते हैं और हमारे जीवन की कुरूपता को दूर करते हैं। छोटे-छोटे स्वप्न ही इतिहास को नया मोड़ देते हैं, नवीन क्रांतियों को जन्म देते हैं। अठारहवीं सदी की अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों ने संसार के इतिहास को एक नया मोड़ प्रदान किया। पर उस काल के लोगों को ऐसा नहीं लगता था कि हम किसी ऐतिहासिक तथा क्रांतिकारी युग में रह रहे हैं। केवल हम लोग ही उसकी महत्ता को जान सकते हैं।
आज का युग भी निराशावादी नहीं। हम आज भी ऐसे काल में रह रहे हैं जिसे आगे चलकर हमारी संतानें अपूर्व और महान कहकर पुकारेंगी। आज का युग विनाशोन्मुख प्रतीत होता है, किंतु आज भी महान निर्माण के कार्य हो रहे हैं।
कुछ वर्ष पहले 'एक विश्व' की कल्पना एक स्वप्न-मात्र थी, पर आज सब राष्ट्र इतने घुल- मिल गए हैं, दूरी को वैज्ञानिक साधनों से इतना कम कर दिया गया है कि सब राष्ट्र पड़ोसी की भांति बन गए हैं। 'एक विश्व' की यह कल्पना पहले कुछ चुने हुए लोगों की आशा और स्वप्न- मात्र थी, आज भी स्वप्न को साकार होने में असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, किंतु हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारी आशा और श्रद्धा इन कठिनाइयों पर विजय पा लेंगी।
यह तो एक मानी हुई बात है कि यदि हम अपने मन में सकारात्मक विचार लेकर जीवन को देखेंगे तो जाहिर है सपने में हम उसे पाते हुए देखेंगे। लेकिन यदि जीवन के प्रति हमारा नजरिया नकारात्मक होगा तो सपने डरावने ही आएंगे।
फिर भी सपनों की रहस्यमयी दुनिया को जानने समझने के प्रयास में दुनिया के वैज्ञानिक शोध करने में लगे रहते हैं। सपने ऐसे रहस्य हैं जिनसे वैज्ञानिक आज भी जूझ रहे हैं। मनोविज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रगति के बावजूद, हम अभी तक पूरी तरह से सपनों के रहस्य को समझ नहीं पाए हैं। लेकिन जब कभी आप सपने में अपनी चाहत को पूरा होते देखते हैं तो वह पूरा दिन आपका खुशगवार गुजरता है। तो क्यों न मन में अच्छी- अच्छी चाहत पालें और अच्छे सपने देखते हुए उन्हें पूरा करने में जीवन गुजारें। तब वैज्ञानिकों को यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि मनुष्य के मन का आईना है सपना।
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ये कुछ ऐसे बुरे सपने हैं, जिनसे अक्सर हर किसी का सामना कभी न कभी होता है।
वैज्ञानिक इंसान की प्रत्येक हरकत के कारणों को जानने की कोशिश में लगा रहता है। उन्हीं में से वह ऐसे सपनों के रहस्य को भी जानने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक सर्वे किया, जिसके अनुसार ऐसे दु:स्वप्नों का सीधा नाता आपके रोजमर्रा के कामकाज से नहीं है, बल्कि यह आपकी भावनाओं और चिंताओं से जुड़ा होता हैं।
शिकागो स्थित इंटरनैशनल असोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ड्रीम्स ने करीब 2000 महिलाओं और पुरुषों से उनके सपनों के बारे में पूछा। इस दौरान इनके सपनों की थीम और उनकी भावनाओं व डर के बीच एक लिंक देखने को मिला। इनसे पता चला कि हर 10 में एक व्यक्ति को साल में बहुत बुरे सपने आते हैं। हर 20 में एक तो हर पखवाड़े ऐसे सपनों से डरकर उठ जाता है। अच्छी बात यह है कि सर्वे में 48 पर्सेंट लोगों ने दावा किया कि उन्हें कभी भी बुरे सपने नहीं आए।
डेली मेल के मुताबिक, बुरे सपनों में कम उम्र में बालों का झडऩा यानी एकदम गंजा हो जाना, दांतों का गिर जाना, बहुत ही कम उम्र में एग्जाम में बैठना भी काफी कॉमन है। पुरुषों में नौकरी से निकालने का डर सबसे ज्यादा होता है, तो महिलाओं में प्रियजन
को खोने और यौन उत्पीडऩ का डर सबसे ज्यादा होता है। वैसे गंजे होने या दांत टूटने का ज्यादा डर भी महिलाओं को ही होता है। इनमें नैन- नक्श को खो देना भी बुरे सपनों में अहम पायदान पर आता है। महिलाओं को बुरे सपने ज्यादा आने की वजह हार्मोन से जुड़ी हैं। वे अक्सर पीरियड से पहले हिंसक सपनों को देखती हैं।
डॉ. श्रेडल कहते हैं कि रात में किसी दैत्य के पीछा करने का सपना दरअसल यह दिखाता है कि दिन में आपको ऐसा काम करने को कहा जा रहा है, जो आपके मन का नहीं है। ड्रीम एक्सपर्ट डेविना मैकेल कहती हैं कि बुरे सपने आपकी जिंदगी का अनसुलझा पहलू है या कुछ ऐसी पहेलियां जो सुलझ नहीं सकीं। आप दिन में अपने आप से झूठ बोल सकते हैं, पर रात में सपनों में नहीं।
इन बुरे सपनों के अलावा यह भी सत्य है कि हम जागते हुए भी अपनी चाहतों को पूरा करने के लिए स्वप्न देखते हैं और अपनी जिंदगी में उस चाहे गए सपने को पूरा करने में लगन और धैर्य से लगे रहते हैं। ऐसे देखे जाने वाले सपनों का ही अंजाम है कि आज विश्व भर में अनेक महान लोगों ने अपने सपनों को अंजाम दिया।
तभी तो कहा गया है कि हर उपलब्धि पहले सपना होती है।
गेटे ने एक स्थान पर कहा है- 'हम अपने यथार्थ में नहीं, स्वप्न में जीते हैं। यदि स्वप्न की ज्योति बुझ जाए, तो हम भी पर्वतों की भांति जड़ हो जाएं। सचमुच, स्वप्नों के गर्भ में हमारे विकास के लिए अमृत- कुंड भरा है। इससे हमारी आशा, महत्वाकांक्षा, उत्साह, रुचि सबको प्राणरस मिलता है।' हमारे जीवन में आकांक्षा के जो भावचित्र बने हैं, यदि उनमें हमारे स्वप्नों की तूलिकाएं इंद्रधनुषी रंग न भरें, तो हमारा सारा जीवन एक असह्य भार बन जाए।
स्वप्न हमारे वास्तविक जग के भावात्मक अभावों की पूर्ति करते हैं और हमारे जीवन की कुरूपता को दूर करते हैं। छोटे-छोटे स्वप्न ही इतिहास को नया मोड़ देते हैं, नवीन क्रांतियों को जन्म देते हैं। अठारहवीं सदी की अमेरिकी और फ्रांसीसी क्रांतियों ने संसार के इतिहास को एक नया मोड़ प्रदान किया। पर उस काल के लोगों को ऐसा नहीं लगता था कि हम किसी ऐतिहासिक तथा क्रांतिकारी युग में रह रहे हैं। केवल हम लोग ही उसकी महत्ता को जान सकते हैं।
आज का युग भी निराशावादी नहीं। हम आज भी ऐसे काल में रह रहे हैं जिसे आगे चलकर हमारी संतानें अपूर्व और महान कहकर पुकारेंगी। आज का युग विनाशोन्मुख प्रतीत होता है, किंतु आज भी महान निर्माण के कार्य हो रहे हैं।
कुछ वर्ष पहले 'एक विश्व' की कल्पना एक स्वप्न-मात्र थी, पर आज सब राष्ट्र इतने घुल- मिल गए हैं, दूरी को वैज्ञानिक साधनों से इतना कम कर दिया गया है कि सब राष्ट्र पड़ोसी की भांति बन गए हैं। 'एक विश्व' की यह कल्पना पहले कुछ चुने हुए लोगों की आशा और स्वप्न- मात्र थी, आज भी स्वप्न को साकार होने में असंख्य कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, किंतु हमें विश्वास करना चाहिए कि हमारी आशा और श्रद्धा इन कठिनाइयों पर विजय पा लेंगी।
यह तो एक मानी हुई बात है कि यदि हम अपने मन में सकारात्मक विचार लेकर जीवन को देखेंगे तो जाहिर है सपने में हम उसे पाते हुए देखेंगे। लेकिन यदि जीवन के प्रति हमारा नजरिया नकारात्मक होगा तो सपने डरावने ही आएंगे।
फिर भी सपनों की रहस्यमयी दुनिया को जानने समझने के प्रयास में दुनिया के वैज्ञानिक शोध करने में लगे रहते हैं। सपने ऐसे रहस्य हैं जिनसे वैज्ञानिक आज भी जूझ रहे हैं। मनोविज्ञान के क्षेत्र में काफी प्रगति के बावजूद, हम अभी तक पूरी तरह से सपनों के रहस्य को समझ नहीं पाए हैं। लेकिन जब कभी आप सपने में अपनी चाहत को पूरा होते देखते हैं तो वह पूरा दिन आपका खुशगवार गुजरता है। तो क्यों न मन में अच्छी- अच्छी चाहत पालें और अच्छे सपने देखते हुए उन्हें पूरा करने में जीवन गुजारें। तब वैज्ञानिकों को यह स्वीकार करना ही पड़ेगा कि मनुष्य के मन का आईना है सपना।
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