रहमान के संगीत निर्देशन में गूंजी छत्तीसगढ़ की ददरिया
पिछले दिनों राकेश ओमप्रकाश मेहरा की नई फिल्म दिल्ली 6 का म्यूजिक एलबम जैसे ही बाजार में आया वैसे ही इसमें शामिल एक लोग गीत को सुनते ही छत्तीसगढ़ के लोग चौक गए, क्योंकि इस फिल्म में ए आर रहमान ने छत्तीगढ़ के एक बहुत ही प्रसिद्ध और चर्चित लोक गीत- सास गारी देवे, ननद मुंह लेवे, देवर बाबू मोर .... को अपनी जादुई संगीत से सजाया है। जाहिर है रहमान के संंगीत में सजा यह लोक गीत कानों में रस घोलता ही है, यद्यपि इस गीत के बोल हूबहू वैसे नहीं हैं जैसा कि यहां के लोक गीत में उसे गाया जाता है।
इस छत्तीसगढ़ी लोक गीत के बारे में रायपुर आकाशवाणी में कार्यरत वरिष्ठ अधिकारी सहायक केन्द्र निदेशक श्रीमती ममता चंद्राकर से हमने कुछ खास जानकारी हासिल की है। ममता जो स्वयं छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका हैं और उन्होंने लोक संगीत के क्षेत्र में अपना एक विशेष मुकाम बनाया है। उन्होंने सास गारी देवे... गीत के बारे में बताया कि 1965-70 के दौर में इस गीत ने छत्तीसगढ़ में खूब धूम मचाई थी। इसकी लोकप्रियता को देखते हुए एच. एम. वी. ने इसका रिकार्ड प्लेयर भी बनाया था। आज यह रिकार्ड प्लेयर किसी के पास होगा यह मेरी जानकारी में नहीं है। बाद में इसकी कॉपी करके सुनहरे पल नाम से सीडी बनी। मूल रुप में इस गीत के बोल ददरिया के हैं। प्रसिद्ध नाट्य कर्मी हबीब तनवीर जी अपने नाचा में इस लोक गीत का प्रयोग करते थे। उनके नाचा में छत्तीसगढ़ की कलाकार और लोक गीतकार बरसन बाई इसे गाया करती थीं। उनका यह गीत आकाशवाणी रायपुर में खूब बजता था, तथा संगीत प्रेमी इसकी फरमाईश किया करते थे। (ममता के पास से प्राप्त छत्तीसगढ़ के इस लोक गीत की सीडी में बरसन बाई और चम्पा की आवाज के साथ स्वयं हबीब तनवीर ने भी अपनी आवाज दी है। बाद में उनकी नाट्य मंडली में छत्तीसगढ़ की एक और प्रसिद्ध अदाकारा फिदा बाई उनके कई नाचा कार्यक्रमों में इसे गाया करती थीं। फिदा बाई हबीब तनवीर के नाट्य संस्था की वह अदाकारा हैं जिन्होंने उनके कई प्रसिद्ध नाटकों जैसे चरनदास चोर, बहादुर कलारिन, आगरा बाजार, मिट्टी की गाड़ी तथा गांव के नाव ससुराल मोर नाव दमाद आदि में बेहतरीन अदाकारी की मिसाल पेश कर छत्तीसगढ़ को गौरवान्वित किया है।
दिल्ली 6 में शामिल इस लोक गीत को कुछ लोग राजस्थान का लोक गीत भी कह रहे हैं, यदि वहां भी इस तरह के बोल के गीत गाए जाते हों तो कोई आश्चर्य नहीं, परंतु रहमान की धुन से सजे दिल्ली 6 के इस गीत को सुनने के बाद तो यही लगता है कि इसकी धुन भी छत्तीसगढ़ की है। क्योंकि ममता से प्राप्त सीडी में जो गीत उपलब्ध है उसमें उसकी धुन मिलती जुलती है। गीत के बोल जरुर अलग अलग है पर दिल्ली 6 में इस लोकगीत को रहमान ने बहुत ही मधुर संगीत से सजाया है। जो कर्णप्रिय है।
ममता चन्द्राकर के पास से प्राप्त सीडी
में इस गीत के बोल -
सास गारी देवे, ननंद मुंह लेवे, देवर बाबू मोर
सैंया गारी देवे, परोसी गम लेवे, करार गोंदा फूल
अरे... केरा बारी म डेरा देबो चले के बेरा हो ऽऽऽ (2)
आये ब्यापारी गाड़ी में चढ़ीके,
तोला आरती उतारंव थारी में धरीके हो
करार गोंदा फूल
सास गारी देवे....
चितरी ले पइसा ल बीरी ले रीतेंव
मोर साइकल के चढैय़ा ला चिन्ही ले रीतेंव ग
करार गोंदा फूल
सास गारी देवे...
राम धरे बर्छी लखन धरे बाण
सीतामाई के खोजन बर
निकलगे हनुमान ग करार गोंदा फूल
सास गारी देवे ...
पहिरे ल पनही खाए ल बीरा पान
मोर रायपुर के रहईया चल दिस पाकिस्तान ग
करार गोंदा फूल
केरा बारी म डेरा देबो चले के बेरा हो ऽऽऽ
सास गारी देवे....
तथा फिल्म दिल्ली 6 में गाए गए
गीत के बोल-
ओय होय ओय होय-
होय होय होय होय होय होय .....(4)
सैंया छेड़ देवें, ननद चुटकी लेवे ससुराल गेंदा फूल
सास गारी देवे, देवरजी समझा लेवे, ससुराल गेंदा फूल
छोड़ा बाबुल का अंगना, भावे डेरा पिया का हो
सास गारी देवे, देवरजी समझा लेवे ससुराल गेंदा फूल...
सैंया है व्यापारी, चले है परदेश
सुरतिया निहारूं जियरा भारी होवे, ससुराल गेंदा फूल....
सास गारी देवे देवरजी समझा लेवे, ससुराल गेंदा फूल
सैंया छेड़ देवे, ननद चुटकी लेवे, ससुराल गेंदा फूल...
छोड़ा बाबुल का अंगना भावे डेरा पिया का हो !
बुशर्ट पहिने खाईके बीड़ा पान, पूरे रायपुर से अलग है
सैंया...जी की शान ससुराल गेंदा फूल ....
सैंया छेड़ देवे, ननद चुटकी लेवे ससुराल गेंदा फूल ...
सास गारी देवे, देवरजी समझा लेवे ससुराल गेंदा फूल
छोड़ा बाबुल का अंगना ,भावे डेरा पिया का हो ....
ओय होय ओय होय-
होय होय होय होय होय होय .....(4)
इस गीत को रेखा भारद्वाज, श्रद्धा पंडित और सुजाता मजुमदार ने बेहद सुरीली आवाज में मिठास के साथ गाया है। रहमान ने इसमें छत्तीसगढ़ के बांस गीत की धुन का इस्तेमाल भी किया है ऐसा बताया जा रहा है, इसमें कितनी सच्चाई है पता लगाना बाकी है। फिल्म में इस गीत के दृश्य में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने तो अपनी खास अदा में नृत्य किया ही हैं साथ ही अपने समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना वहीदा रहमान ने भी ठुमके लगाए हैं।
फिल्म के गीत और छत्तीसगढ़ के इस मूल गीत को सुनने के बाद महसूस हुआ कि दिल्ली 6 के निर्माता, निर्देशक, गीतकार और संगीतकार यदि इस बात की पुष्टि कर लेते कि इस गीत के वास्तविक बोल क्या हैं, तो गीत को और भी अधिक सुंदर बनाया जा सकता था।
इसके बाद भी हम छत्तीसगढ़ वासियों को खुश होना चाहिए कि उनके क्षेत्र का एक लोक गीत अब पूरे देश में लोगों की जुबान पर होगा, इससे छत्तीसगढ़ को एक विशेष पहचान तो मिलेगी ही साथ ही यहां का लोकसंगीत भी राजस्थान के लोक संगीत की तरह दुनिया के अन्य कोने में भी अपनी पहचान कायम कर पाएगा। रहमान का नाम यूं भी इन दिनों अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाया हुआ है, वे ऑस्कर के हकदार माने जा रहे हैं। ऐसे में उनके संगीत निर्देशन में छत्तीसगढ़ के लोक धुन और लोक गीत पर संगीत देना बड़ी बात है। खासकर एक ऐसे दौर में जब हम अपनी लोक कलाओं को सहेजने की दिशा में विशेष प्रयत्नशील नजर नहीं आते।
(उदंती फीचर्स)
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