जर्मनी में पर्यावरण संरक्षण की अनुकरणीय मिसालें
- अन्वेषा बोरठाकुर
जर्मनी को उसकी पर्यावरणीय जागरूकता के लिए जाना जाता है। यह देश विभिन्न पर्यावरणीय सुरक्षा और संरक्षण प्रयासों में सदैव आगे रहा है। जर्मनी में एक इंटर्न के रूप में मुझे वहाँ पर्यावरण संरक्षण सम्बन्धी प्रयासों का प्रत्यक्ष अनुभव करने का मौका मिला। प्रवास के दौरान मैंने जर्मनी के फेडरल प्रांत हेसन स्थित केलरवाल्ड-एडरसी राष्ट्रीय उद्यान और बार्गवाल्ड नेचर पार्क का भ्रमण किया।
आइए सबसे पहले जर्मनी और यूरोप के संदर्भ में इन दोनों वन्यजीव उद्यानों के महत्त्व के बारे में जान लेते हैं। प्रसिद्ध केलरवाल्ड-एडरसी राष्ट्रीय उद्यान करीब 5700 हैक्टर में फैला हुआ है। मध्य यूरोप के सबसे अंतिम और प्राकृतिक बीच वृक्ष के जंगलों को यहाँ पूर्ण संरक्षण दिया गया है। इस जंगल में करीब 40 फीसदी बीच वृक्ष 120 साल से भी अधिक पुराने हैं। यहाँ कुछ विशालकाय वृक्ष तो 160 साल से अधिक पुराने हैं और ये केवल जर्मनी में ही नहीं, बल्कि पूरे यूरोप में अद्वितीय है। इसलिए केलरवाल्ड-एडरसी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित इन बीच वृक्षों को सुरक्षित रखने का काफी महत्त्व है।
बर्गवाल्ड नेचर पार्क न केवल जर्मनी के मध्य में, बल्कि पूरे यूरोप के लगभग बीच में ही स्थित है। सम्पूर्ण यूरोप के लिए इसका काफी पर्यावरणीय महत्त्व है। यहाँ के दलदल कार्बन सिंक के रूप में काम करते हैं और इस तरह जलवायु -परिवर्तन व वैश्विक तापमान को नियंत्रण में रखने में मददगार साबित होते हैं। इन दलदलों में पाई जानी वाली एक विशिष्ट वनस्पति बारलैप के कारण यहाँ का तापमान शेष मध्य यूरोप के तापमान की तुलना में हमेशा करीब 4 डिग्री सेल्सियस तक कम रहता है;इसलिए साफ है कि केलरवाल्ड-एडरसी राष्ट्रीय उद्यान और बर्गवाल्ड नेचर पार्क इन दोनों का यूरोप में पर्यावरणीय संरक्षण की दृष्टि से काफी महत्त्वपूर्ण स्थान है।
जर्मनी में इंटर्नशिप के दौरान मुझे विभिन्न गतिविधियों के कारिए काफी अनुभव मिला, जिनमें से कुछ का उल्लेख करना उचित होगा। इनमें से कुछ अनुभवों से काफी कुछ सीखा जा सकता है, खासकर पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में। इनसे हमारे देश में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों को भी काफी बल मिल सकता है।
ए-4 रोको अभियान
अपनी इंटर्नशिप के दौरान मैं एक बहुत ही रोचक कार्यक्रम- स्टॉप ए-4 का भी हिस्सा रही। ए-4 एक एक्सप्रेस हाइवे है, जिसका बर्गवाल्ड नेचर पार्क से गुकारना प्रस्तावित है। लेकिन इस नेचर पार्क से सटे एक कस्बे विटर के निवासी जानते थे कि अगर यह हाइवे बन गया तो यह पर्यावरण के लिए कितना घातक साबित होगा। एक्सप्रेस हाइवे के निर्माण से नेचर पार्क में रहने वाले प्राणियों को गम्भीर नुकसान पहुँचेगा। इस हाइवे पर तेज़ गति से गु्ज़रने वाले वाहनों की चपेट में आकर कई वन्य प्राणी अपनी जान गँवा देंगे। इसके अलावा हाइवे से वायु प्रदूषण में भी भारी इकााफा होगा, जिसका असर अंतत: विटर के निवासियों पर पड़ेगा। हवा की दिशा और गति का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुँचे थे कि साल के अधिकांश दिनों में वाहनों का शोरगुल हवाओं के साथ इस कस्बेे में पहुँचता रहेगा। हालांकि कस्बे के लोग ध्वनि प्रदूषण के कारण उन्हें होने वाली परेशानियों से भी ज़्यादा ंिचंतित नेचर पार्क और वहाँ रहने वाले वन्य प्राणियों को पहुँचने वाले संभावित नुकसान को लेकर थे।
इस हाइवे के निर्माण के खिलाफ उन्होंने अद्भुत विरोध अभियान शुरू किया। इस अभियान के तहत उन्होंने उस मार्ग पर पौधों का रोपण किया जहाँ से प्रस्तावित हाइवे गुज़रने वाला था। वे हर माह पौधारोपण करते थे और इस तरह से वे हाइवे निर्माण के खिलाफ अपना विरोध जताते। चूंकि जर्मनी में किसी भी पेड़ को काटने के खिलाफ बेहद सख्त कानून है, इसलिए निश्चित रूप से यह तरीका हाइवे के निर्माण में रुकावटें पैदा करता। किसी विशिष्ट मुद्दे पर नागरिकों द्वारा इस तरह का विरोध प्रदर्शन भारत में नकार नहीं आता। यह विरोध इतना शांतिपूर्ण था कि इससे कस्बे के लोगों के दैनिक कार्यों में बाधा नहीं पड़ी और सम्बंधित अधिकारियों तक यह संदेश भी पहुँच गया कि क्षेत्र के नागरिक एक्सप्रेस हाइवे के खिलाफ हैं।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि पर्यावरण के प्रति जागरूक विटर के नागरिकों ने पौधों का रोपण बगैर सोचे-समझे नहीं किया था। उन्होंने पौधारोपण कार्यक्रम पर पूरी निगरानी रखी और बाहरी प्रजातियों के पौधों के स्थान पर देसी प्रजातियों के पौधों को वरीयता दी। वे इस वैज्ञानिक तथ्य से भलीभांति अवगत थे कि भविष्य में बाहरी प्रजातियों की वनस्पतियाँ देसी वनस्पतियों पर आधिपत्य स्थापित कर लेंगी और इस तरह क्षेत्र के इकोसिस्टम को बदल देंगी। विटर कस्बे के नागरिकों में इस कार्यक्रम के प्रति काफी उत्साह देखने को मिला। लगभग हर नागरिक ने इस कार्यक्रम में सक्रिय हिस्सेदारी दिखाई। वे सभी बर्गवाल्ड नेचर पार्क से गुकारने वाले हाइवे के निर्माण को रोकने के लिए कृत संकल्पित थे।
मेंढकों का संरक्षण
केलरवाल्ड-एडरसी राष्ट्रीय उद्यान में कार्य करते हुए हमने जर्मनी में पर्यावरण संरक्षण के कुछ अद्भुत प्रयासों का अध्ययन किया। ऐसा ही एक प्रयास मेंढकों के संरक्षण का था। जिस तरह का एक्सप्रेस हाइवे बर्गवाल्ड नेचर पार्क में प्रस्तावित किया गया था, वैसा ही एक अन्य एक्सप्रेस हाइवे जर्मनी के ऐसे वन्य क्षेत्रों से गुकारता है, जहाँ मेंढकों की आबादी काफी ज़्यादा है। मेंढक भोजन की तलाश या अन्य कारणों से अक्सर हाइवे को पार करते थे। इस प्रयास में अनेक मेंढक तेज़ गति से चलते वाहनों की चपेट में आकर जान गँवा देते थे। मेंढकों के इस तरह से मारे जाने से वन्य जीव क्षेत्रों के संरक्षण के प्रयासों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया। इसे रोकने के लिए सम्बंधित अधिकारियों ने मेंढकों की अधिक आबादी वाले इलाकों में ऐसे ओवरब्रिज बनाने का फैसला किया, जिनके ज़रिए मेंढक आसानी से हाइवे को पार कर जाएँ। जंगल से गुज़रने वाले हाइवे के आसपास प्राकृतिक बागड़ लगा दी गई। इन ओवरब्रिजों को लताओं के जरिए प्राकृतिक स्वरूप दिया गया। इस क्षेत्र के मेंढकों को इस तरह से मोड़ा गया कि वे बड़ी आसानी से ओवरब्रिज पर चढक़र बगैर किसी बाधा के हाइवे पार कर जाए।
जर्मनी पर्यावरण को लेकर बहुत ही सजग राष्ट्र है। अपने प्राकृतिक संसाधनों और वन्य जीवन को बचाने के लिए वहाँ किए जा रहे प्रयास वाकई सराहनीय हैं। वहाँ पर्यावरण- संरक्षण के लिए जिस मॉडल का अनुसरण किया जा रहा है, वह भारत जैसे विकासशील देशों के लिए भी अनुकरणीय हो सकता है। पर्यावरण संरक्षण को लेकर जर्मन नागरिकों में जागरूकता का जो स्तर है, वह उस देश के लिए एक वरदान है। (स्रोत फीचर्स)
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