- डॉ. अनीता कपूर
प्रवासी भारतीय के मन में कुछ अर्सा पहले जो सवाल उठता था कुछ धुंधला सा होता जा रहा है यह सवाल था 'अपना देश छोड़ कर हम यहाँ क्यों आ बसे हैं। हमारे इस फैसले से कहीं हमारे बच्चें अपनी संस्कृति और धर्म से दूर तो नहीं हो जायेंगे?...' आदि- आदि। लेकिन ऐसी बात नहीं है। भारत से बाहर विदेशी धरती पर रहते हुए भी भारतीय अपनी संस्कृति और धर्म को विरासत में अपने बच्चों को देते आ रहे हैं। बाहर रहते हुए भी वे अपने सभी भारतीय त्यौहार बिलकुल वैसे ही मनाते हंै जैसे भारत में। आप स्वयं देखकर भी विश्वास नहीं कर पायेगें, कि आप भारत में न होकर किसी विदेशी धरती पर हैं।
मुझे अमरीका के अलावा अन्य देशों में रह रही अपनी मित्रों से 'होली' के त्यौहार पर बात करने का मौका मिला... जो आपसे सांझा कर
रही हूँ-
लंदन में रहने वाली शिखा वाष्र्णेय जी से बात करने पर उन्होंने बताया कि लंदन एक कोस्मोपोलेटन शहर है अत: यहाँ सभी धर्म और जाति के उत्सव खूब धूमधाम से मनाये जाते हैं।
होली का त्योहार लंदन और लंदन के बाहर सभी बड़े शहरों में व्यापक रूप से मनाई जाती है। मुखत: धर्म संस्थानों और स्थलों (मंदिर आदि) पर विभिन्न संगठनों के लोग मिलकर इस उत्सव का आयोजन करते हैं, जहाँ होली मिलन, होली खेलना और जलपान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
बाजारों में भारतीय दुकानों में टेसू के रंग भी आसानी से मिलते हैं। आयोजन स्थलों पर व्यक्तिगत सुरक्षा और सफाई का पूरा -पूरा ध्यान रखा जाता है और किसी को भी हानिकारक रंगों का या गलत तरीके से इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता। उत्सव की इतनी उत्सुकता देखने को मिलती है कि अभारतीय और यहाँ तक की वहाँ मौजूद सुरक्षा कर्मी भी इसके आकर्षण से अछूते नहीं रह पाते। और सभी इस खूबसूरत प्रेम मिलन के उत्सवी रंग में सरोवर हो जाते हैं। सभी लोग अपनी पसंद के आयोजन स्थल पर जाकर बहुत ही उल्लास और प्रेम के साथ आपस में होली खेलते हैं। फिर जलपान करके अपने- अपने घरों को जाते हैं। शाम को सभी मित्रों और शुभचिंतकों से मिलने का सिलसिला शुरू होता है। इन्हीं स्थानों पर धुलहण्डी से एक दिन पहले होलिका जलाने का भी आयोजन किया जाता है।
बहुत वर्षों से न्यूयॉर्क में रहने वाली दक्षिण अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट में स्थित गुयाना की, कौसविला जी यहाँ रहते हुए भी गुयाना में मनाए जाने वाली होली को भुला नहीं पाती हैं। होली के दिन के उत्साह को याद करके वे रोमांचित हो उठीं। उन्होंने बताया कि, वहाँ लोग होली को फगवा भी कहते है और होली का विशेष गाना छौताल गाते हंै एक दूसरे पर रंगों का छिड़काव करते हैं... एक महीने पहले अरंडी के पौधे के रोपण के साथ शुरू होकर एक महीने बाद होलिका के रूप में उस पौधे को जला दिया जाता है, प्रहलाद की विष्णु भक्ति तथा बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए पौराणिक कहानी का रूप दिखाते हुए। चूंकि गुयाना में 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हिन्दू रहते हैं इसीलिए होली के दिन वहाँ छुट्टी रहती है और लोग अपने परिवारों के साथ होली का दिन बिताना पसंद करते हैं।
सूरीनाम में रहने वाली और हिन्दी के लिए काम कर रही भावना सक्सेना जी से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि सूरीनाम में भारतीयों की एक बड़ी संख्या है जो वहाँ उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर बसा है। इसीलिए होली वहाँ बहुत खुशी और उत्साह से मनाई जाती हैं और बिलकुल वैसे ही मनाई जाती है जैसे भारत में मनाते है... यहाँ के लोग होली गीत गाते हुए एक दूसरे पर रंग छिड़काव करते हैं, एक दूसरे के गले मिलते हैं। होलिका को, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, होली की पूर्व संध्या पर जला दिया जाता है। यहाँ भी गुयाना की तरह ही अरंडी का पौधा रोपा जाता है, और बाद में इस पौधे को होलिका के रूप में जलाया जाता है। गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और सूरीनाम में हिन्दुओं की संख्या बहुतायत से होने के कारण होली और बाकी त्यौहारों को मनाए जाने में बिलकुल समानता दिखती है। इन दिनों लोग एक दूसरे के घरों में या मंदिरों में छौताल और तान गायन में संलग्न रहते हैं। गुलगुले, चना, खीर या मीठे चावल का प्रसाद चढ़ाकर मिल -बाँटकर खाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में बसे भारतीयों की एक बड़ी आबादी है, इसी कारण होली बहुत उल्लास और धूमधाम के साथ मनाई जाती है। भारतीयों और धार्मिक संगठनों द्वारा गठन विभिन्न समाजों के लोगों को इस खुशी का जश्न मनाने के लिए और अपनी सांस्कृतिक जड़ों के करीब महसूस करने में मदद करते हैं। संगीत कार्यक्रमों और होली की बैठक भी उनके द्वारा आयोजित होती है इस अवसर पर। इससे नई पीढ़ी में अपनी सांस्कृतिक जड़ के साथ की पहचान में मदद मिलती है। बच्चे त्योहारों के महत्त्व को समझने और उनके साथ जुड़े किंवदंतियों को सीखते हैं।
त्योहार के लिए महान उत्साह विशेष रूप से उन शहरों में, जहाँ भारतीयों बड़ी संख्या में बसे है, में देखा जा सकता है।
चूंकि अमरीका में त्योहार अवकाश के दिन मनाए जाते हैं इसीलिए शायद ही कोई भारतीय होगा जो रंग के साथ न खेलते देखा जाता हो, बल्कि पूरे वर्ष सब होली का इंतजार करते हैं, अमरीकी मूल के लोग भी भागीदारी करते हैं। सब लोग या तो घरों में या फिर कम्यूनिटी सेंटर में एकत्र होते हंै और रंगों से होली खेलते हैं। बाकायदा गुझिया तथा होली के अन्य पकवान बनते हंै और सब मिल कर खाते हैं।
त्योहार के लिए उत्साह दुगना हो जाता है जब होली मनाने के साथ विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जैसे नृत्य प्रदर्शन, फैशन शो और संगीत समारोह जो उत्सव मनाने की भावना को दुगना कर देते हैं। विदेश में रहने के कारण प्रवासी भारतीय किसी में देश में क्यों न हो वो वहाँ एक अपना भारत बना ही लेते हैं।
संपर्क- c/o श्री लछमन स्वरूप अरोड़ा, हाउस नं. ई-169/1 फस्र्ट फ्लोर, जीवन नगर आश्रम, नई दिल्ली -10014, मो. 09313883021 Email- anitakapoor.us@gmail.com
बाजारों में भारतीय दुकानों में टेसू के रंग भी आसानी से मिलते हैं। आयोजन स्थलों पर व्यक्तिगत सुरक्षा और सफाई का पूरा -पूरा ध्यान रखा जाता है और किसी को भी हानिकारक रंगों का या गलत तरीके से इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता। उत्सव की इतनी उत्सुकता देखने को मिलती है कि अभारतीय और यहाँ तक की वहाँ मौजूद सुरक्षा कर्मी भी इसके आकर्षण से अछूते नहीं रह पाते।
मुझे अमरीका के अलावा अन्य देशों में रह रही अपनी मित्रों से 'होली' के त्यौहार पर बात करने का मौका मिला... जो आपसे सांझा कर
रही हूँ-
लंदन में रहने वाली शिखा वाष्र्णेय जी से बात करने पर उन्होंने बताया कि लंदन एक कोस्मोपोलेटन शहर है अत: यहाँ सभी धर्म और जाति के उत्सव खूब धूमधाम से मनाये जाते हैं।
होली का त्योहार लंदन और लंदन के बाहर सभी बड़े शहरों में व्यापक रूप से मनाई जाती है। मुखत: धर्म संस्थानों और स्थलों (मंदिर आदि) पर विभिन्न संगठनों के लोग मिलकर इस उत्सव का आयोजन करते हैं, जहाँ होली मिलन, होली खेलना और जलपान के अलावा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
बाजारों में भारतीय दुकानों में टेसू के रंग भी आसानी से मिलते हैं। आयोजन स्थलों पर व्यक्तिगत सुरक्षा और सफाई का पूरा -पूरा ध्यान रखा जाता है और किसी को भी हानिकारक रंगों का या गलत तरीके से इस्तेमाल करने नहीं दिया जाता। उत्सव की इतनी उत्सुकता देखने को मिलती है कि अभारतीय और यहाँ तक की वहाँ मौजूद सुरक्षा कर्मी भी इसके आकर्षण से अछूते नहीं रह पाते। और सभी इस खूबसूरत प्रेम मिलन के उत्सवी रंग में सरोवर हो जाते हैं। सभी लोग अपनी पसंद के आयोजन स्थल पर जाकर बहुत ही उल्लास और प्रेम के साथ आपस में होली खेलते हैं। फिर जलपान करके अपने- अपने घरों को जाते हैं। शाम को सभी मित्रों और शुभचिंतकों से मिलने का सिलसिला शुरू होता है। इन्हीं स्थानों पर धुलहण्डी से एक दिन पहले होलिका जलाने का भी आयोजन किया जाता है।
बहुत वर्षों से न्यूयॉर्क में रहने वाली दक्षिण अमेरिका के उत्तर पूर्वी तट में स्थित गुयाना की, कौसविला जी यहाँ रहते हुए भी गुयाना में मनाए जाने वाली होली को भुला नहीं पाती हैं। होली के दिन के उत्साह को याद करके वे रोमांचित हो उठीं। उन्होंने बताया कि, वहाँ लोग होली को फगवा भी कहते है और होली का विशेष गाना छौताल गाते हंै एक दूसरे पर रंगों का छिड़काव करते हैं... एक महीने पहले अरंडी के पौधे के रोपण के साथ शुरू होकर एक महीने बाद होलिका के रूप में उस पौधे को जला दिया जाता है, प्रहलाद की विष्णु भक्ति तथा बुराई पर अच्छाई की विजय के लिए पौराणिक कहानी का रूप दिखाते हुए। चूंकि गुयाना में 40 प्रतिशत से भी ज्यादा हिन्दू रहते हैं इसीलिए होली के दिन वहाँ छुट्टी रहती है और लोग अपने परिवारों के साथ होली का दिन बिताना पसंद करते हैं।
सूरीनाम में रहने वाली और हिन्दी के लिए काम कर रही भावना सक्सेना जी से जब बात हुई तो उन्होंने बताया कि सूरीनाम में भारतीयों की एक बड़ी संख्या है जो वहाँ उत्तर प्रदेश और बिहार से आकर बसा है। इसीलिए होली वहाँ बहुत खुशी और उत्साह से मनाई जाती हैं और बिलकुल वैसे ही मनाई जाती है जैसे भारत में मनाते है... यहाँ के लोग होली गीत गाते हुए एक दूसरे पर रंग छिड़काव करते हैं, एक दूसरे के गले मिलते हैं। होलिका को, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, होली की पूर्व संध्या पर जला दिया जाता है। यहाँ भी गुयाना की तरह ही अरंडी का पौधा रोपा जाता है, और बाद में इस पौधे को होलिका के रूप में जलाया जाता है। गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो और सूरीनाम में हिन्दुओं की संख्या बहुतायत से होने के कारण होली और बाकी त्यौहारों को मनाए जाने में बिलकुल समानता दिखती है। इन दिनों लोग एक दूसरे के घरों में या मंदिरों में छौताल और तान गायन में संलग्न रहते हैं। गुलगुले, चना, खीर या मीठे चावल का प्रसाद चढ़ाकर मिल -बाँटकर खाते हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका में बसे भारतीयों की एक बड़ी आबादी है, इसी कारण होली बहुत उल्लास और धूमधाम के साथ मनाई जाती है। भारतीयों और धार्मिक संगठनों द्वारा गठन विभिन्न समाजों के लोगों को इस खुशी का जश्न मनाने के लिए और अपनी सांस्कृतिक जड़ों के करीब महसूस करने में मदद करते हैं। संगीत कार्यक्रमों और होली की बैठक भी उनके द्वारा आयोजित होती है इस अवसर पर। इससे नई पीढ़ी में अपनी सांस्कृतिक जड़ के साथ की पहचान में मदद मिलती है। बच्चे त्योहारों के महत्त्व को समझने और उनके साथ जुड़े किंवदंतियों को सीखते हैं।
त्योहार के लिए महान उत्साह विशेष रूप से उन शहरों में, जहाँ भारतीयों बड़ी संख्या में बसे है, में देखा जा सकता है।
चूंकि अमरीका में त्योहार अवकाश के दिन मनाए जाते हैं इसीलिए शायद ही कोई भारतीय होगा जो रंग के साथ न खेलते देखा जाता हो, बल्कि पूरे वर्ष सब होली का इंतजार करते हैं, अमरीकी मूल के लोग भी भागीदारी करते हैं। सब लोग या तो घरों में या फिर कम्यूनिटी सेंटर में एकत्र होते हंै और रंगों से होली खेलते हैं। बाकायदा गुझिया तथा होली के अन्य पकवान बनते हंै और सब मिल कर खाते हैं।
त्योहार के लिए उत्साह दुगना हो जाता है जब होली मनाने के साथ विशेष कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जैसे नृत्य प्रदर्शन, फैशन शो और संगीत समारोह जो उत्सव मनाने की भावना को दुगना कर देते हैं। विदेश में रहने के कारण प्रवासी भारतीय किसी में देश में क्यों न हो वो वहाँ एक अपना भारत बना ही लेते हैं।
संपर्क- c/o श्री लछमन स्वरूप अरोड़ा, हाउस नं. ई-169/1 फस्र्ट फ्लोर, जीवन नगर आश्रम, नई दिल्ली -10014, मो. 09313883021 Email- anitakapoor.us@gmail.com
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