स्वाइन फ्लू दिमाग से डर निकाल दीजिए
मार्च में मैक्सिको में शुरू हुआ स्वाइन फ्लू धीमे - धीमे भारत को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। मगर फ्लू से डरने के बजाय जरूरत इसके लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने की है। इस बीमारी से लडऩे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। क्या है एच 1 एन 1 स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी एक बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच 1 एन 1 के नाम से जाना जाता है। कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक, या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। ये कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, की बोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी ये वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया है। लक्षण बुखार, बहुत तेज जुकाम, जिसमें नाक से पानी बहता रहता है और गले में खराश, डायरिया, लगातार उबकाई महसूस होना या उलटी होना, सुस्ती और भूख न लगना, कफ और इस वजह से सांस लेने में तकलीफ। कौन रहे ज्यादा सावधान 5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं, इसके अलावा जिन लोगों को फेफड़ों, किडनी या दिल से जुड़ी बीमारी, मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल)बीमारी मसलन, पर्किन्सन, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग- डायबीटीज के रोगी, ऐसे लोग जिनको पिछले 3 साल में कभी भी अस्थमा की शिकायत रही हो या अब भी हो। संदिग्ध मरीजों को सलाह घर में बाकी लोगों से दूर रहें, घर से बाहर न निकलें, मरीज और उसके संपर्क में आने वाले सभी लोग मास्क पहनें, आराम करें और लिक्विड चीजें ज्यादा लें, डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा आदि लें। स्वाइन फ्लू न हो, इसके लिए क्या करें - बुखार, सर्दी, खांसी और नाक बहने जैसे लक्षण दिखते हैं तो फौरन हॉस्पिटल जाएं। - बीमारी के बाद के पहले तीन दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इसी स्टेज पर इलाज शुरू हो जाए तो मरीज के ठीक होने की 100 फीसदी गारंटी रहती है। - मरीज हर समय मास्क पहन कर रखें। - मरीज को खांसते या छींकते समय हमेशा रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए। - मरीज को अच्छी तरह हवादार कमरे में रखें। - वह आराम करे और खुले में न तो थूके, न खांसे और न ही छींके। - अच्छा और न्यूट्रीशियस फूड लें और बाहर और दूसरे के संपर्क में न जाएं। - मरीज को घर के ऐसे कॉमन एरिया में न जाने दें, जहां परिवार के दूसरे सदस्य रहते हैं। - कोशिश करें कि मरीज रूम में अकेला ही सोए। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो ध्यान रखें कि मरीज और रूम शेयर करने वाले दूसरे आदमी का मुंह सोते समय विपरीत दिशा में हो। - अगर मास्क उपलब्ध न हो तो साफ कपड़े के टुकड़े, रूमाल या टिश्यू पेपर से मुंह और नाक को पूरी तरह ढक कर रखें। - इस्तेमाल किए गए मास्क, टिश्यू पेपर आदि को ढक्कनदार और पॉलीथीन से कवर्ड डस्टबिन में ही फेंकें। - अपने हाथ बार- बार साबुन या किसी और हैंडवॉश से साफ करें। कुछ और सावधानियां एक ब्रिटिश स्टडी के मुताबिक 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टैमीफ्लू दवा देते समय इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में सतर्क रहना चाहिए। स्वाइन फ्लू की गलत डोज लेने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
मार्च में मैक्सिको में शुरू हुआ स्वाइन फ्लू धीमे - धीमे भारत को अपनी चपेट में लेता जा रहा है। मगर फ्लू से डरने के बजाय जरूरत इसके लक्षणों के बारे में जानने और सावधानी बरतने की है। इस बीमारी से लडऩे के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। क्या है एच 1 एन 1 स्वाइन फ्लू इनफ्लुएंजा स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी एक बीमारी है, जो ए टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच 1 एन 1 के नाम से जाना जाता है। कैसे फैलता है स्वाइन फ्लू जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक, या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में आ जाता है। ये कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, की बोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी ये वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया है। लक्षण बुखार, बहुत तेज जुकाम, जिसमें नाक से पानी बहता रहता है और गले में खराश, डायरिया, लगातार उबकाई महसूस होना या उलटी होना, सुस्ती और भूख न लगना, कफ और इस वजह से सांस लेने में तकलीफ। कौन रहे ज्यादा सावधान 5 साल से कम उम्र के बच्चे, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और गर्भवती महिलाएं, इसके अलावा जिन लोगों को फेफड़ों, किडनी या दिल से जुड़ी बीमारी, मस्तिष्क संबंधी (न्यूरोलॉजिकल)बीमारी मसलन, पर्किन्सन, कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोग- डायबीटीज के रोगी, ऐसे लोग जिनको पिछले 3 साल में कभी भी अस्थमा की शिकायत रही हो या अब भी हो। संदिग्ध मरीजों को सलाह घर में बाकी लोगों से दूर रहें, घर से बाहर न निकलें, मरीज और उसके संपर्क में आने वाले सभी लोग मास्क पहनें, आराम करें और लिक्विड चीजें ज्यादा लें, डॉक्टर की सलाह के मुताबिक दवा आदि लें। स्वाइन फ्लू न हो, इसके लिए क्या करें - बुखार, सर्दी, खांसी और नाक बहने जैसे लक्षण दिखते हैं तो फौरन हॉस्पिटल जाएं। - बीमारी के बाद के पहले तीन दिन काफी महत्वपूर्ण होते हैं। इसी स्टेज पर इलाज शुरू हो जाए तो मरीज के ठीक होने की 100 फीसदी गारंटी रहती है। - मरीज हर समय मास्क पहन कर रखें। - मरीज को खांसते या छींकते समय हमेशा रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए। - मरीज को अच्छी तरह हवादार कमरे में रखें। - वह आराम करे और खुले में न तो थूके, न खांसे और न ही छींके। - अच्छा और न्यूट्रीशियस फूड लें और बाहर और दूसरे के संपर्क में न जाएं। - मरीज को घर के ऐसे कॉमन एरिया में न जाने दें, जहां परिवार के दूसरे सदस्य रहते हैं। - कोशिश करें कि मरीज रूम में अकेला ही सोए। अगर ऐसा नहीं हो सकता है तो ध्यान रखें कि मरीज और रूम शेयर करने वाले दूसरे आदमी का मुंह सोते समय विपरीत दिशा में हो। - अगर मास्क उपलब्ध न हो तो साफ कपड़े के टुकड़े, रूमाल या टिश्यू पेपर से मुंह और नाक को पूरी तरह ढक कर रखें। - इस्तेमाल किए गए मास्क, टिश्यू पेपर आदि को ढक्कनदार और पॉलीथीन से कवर्ड डस्टबिन में ही फेंकें। - अपने हाथ बार- बार साबुन या किसी और हैंडवॉश से साफ करें। कुछ और सावधानियां एक ब्रिटिश स्टडी के मुताबिक 12 साल से कम उम्र के बच्चों को टैमीफ्लू दवा देते समय इसके साइड इफेक्ट्स के बारे में सतर्क रहना चाहिए। स्वाइन फ्लू की गलत डोज लेने से किडनी को नुकसान पहुंच सकता है।
मास्क
- सिर्फ ट्रिपल लेयर और एन 95 मास्क ही वायरस से बचाव में कारगर हैं।
- सिंगल लेयर मास्क की 20 परतें लगाकर भी बचाव नहीं हो सकता है।
स्वाइन फ्लू के लिए दो तरह के मास्क हैं। 1. थ्री लेयर सर्जिकल मास्क 2. एन- 95
कितनी देर करता है काम - स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए सामान्य मास्क बिल्कुल कारगर नहीं होता है। लेकिन थ्री लेयर सर्जिकल मास्क को चार घंटे तक और एन- 95 मास्क को आठ घंटे तक लगाकर रख सकते हैं। इसके बाद मास्क को फेंक देना होता है।
कितनी रहती है सिक्युरिटी - ट्रिपल लेयर सर्जिकल मास्क लगाने से वायरस से 70 से 80 फीसदी तक बचाव रहता है और एन- 95 से 95 फीसदी तक बचाव संभव है।
कब मास्क पहननें
- अगर आपको फ्लू नहीं है, तो मास्क पहनना जरूरी नहीं है, लेकिन अगर आप किसी फ्लू पेशेंट की देखभाल कर रहे हैं, किसी ऐसी जगह जा रहे हैं, जहां फ्लू पेशेंट्स की आमद है, या किसी भीड़ वाली जगह जा रहे हैं, तो सावधानी के लिए मास्क लगाना जरूरी हो जाता है।
- जब भी किसी फ्लू पीडि़त के संपर्क में आएं तो उससे मुलाकात के फौरन बाद मास्क को फेंक दें और हाथों को धोएं।
- अगर यात्रा के दौरान लोग मास्क पहनना चाहें तो यह सुनिश्चित कर लें कि मास्क एकदम सूखा हो। अपने मास्क को बैग में रखें और अधिकतम चार बार यूज करने के बाद इसे बदल दें।
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