अभिनव तुझे सलाम...
28 सितंबर, 1982 को जन्में 23 वर्षीय शूटिंग स्टार अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर एयर राइफ़ल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा और भारतीय युवाओं के लिए एक मिसाल बन गए ।1980 के बाद भारत ने पहला स्वर्ण पदक जीता है। इसके पहले भारत को हॉकी में स्वर्ण पदक मिला था। अभिनव ने ओलंपिक के 112 वर्षों के इतिहास में पहली बार भारत की ओर से किसी व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक हासिल किया है। अपने लक्ष्य के लिए संकल्पित अभिनव ने बारह साल की उम्र में ही राइफ़ल थाम ली थी और तभी रोपड़ जि़ला निशानेबाज़ी चैंपियनशिप का खिताब जीत लिया था। अभिनव का अचूक निशाना देखकर उनके कोच लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस ढिल्लो ने पहले ही कह दिया था कि निशानेबाज़ी में अभिनव भारत का नाम रोशन करेंगे। ओलंपिक तक का सफऱ उनकी कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है। अभिनव बचपन से ही बंदूकों से खेलते थे। देहरादून में पैदा हुए और चंडीगढ़ में पले- बढ़े अभिनव जब पाँच साल के थे तभी से उनकी रुचि निशानेबाजी थी। अभिनव की इस रूचि को देखकर उसके माता- पिता ने उसे बढ़ावा दिया और उसके लिए बेहतर खेल का महौल तैयार किया। इसका नतीजा रहा कि अभिनव बिंद्रा वर्ष 2000 में सिडनी ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले सबसे कम उम्र के भारतीय खिलाड़ी बने। इसके बाद उन्होंने 2001 में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में छह स्वर्ण पदक, 2002 में मैनचेस्टर में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण और व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा में रजत पदक जीता। अभिनव ने 2004 में ओलंपिक का रिकॉर्ड तो तोड़ा पर मेडल लेने से चूक गए। एक शूटर होने के अलावा अभिनव ने एमबीए किया है। इस समय वे फ्यूचरिस्टिक कंपनी के सीईओ हैं। उन्हें सन् 2001 में अर्जुन पुरस्कार तथा राजीव गाँधी खेल रत्न भी मिल चुका है।अमिताभ के स्वर में गूंजेंगे गांधी के भजन
शीघ्र ही बाजार में एक ऐसा संगीत अलबम आने वाला है जिसमें महात्मा गांधी के प्रिय भजन संकलित हैं। इनमें से एक भजन 'ओ नम्रता के सागर' तो स्वयं महात्मा गांधी की रचना है। महात्मा गांधी द्वारा रचित इस दुर्लभ भजन के अस्तित्व के बारे में गांधी परिवार को भी कोई जानकारी नहीं थी। सर्वविदित है कि जीवन के अंतिम कुछ वर्षों में महात्मा गांधी बिरला परिवार के अतिथि रहे थे और वे दिल्ली स्थित बिरला हाउस में ही शहीद हुए थे। इसी बिरला भवन में बिरला परिवार को तीन वर्ष पहले अचानक यह भजन मिला। अब आदित्य बिरला समूह ने यह निर्णय किया है कि इसे सुरूचिपूर्ण ढंग से जनता को भेंट किया जाना चाहिए इस प्रकार यह विशिष्टï अलबम प्रस्तुत किया जा रहा है। इसकी खास बात यह है कि दक्षिण भारत के प्रसिद्ध संगीत निर्देशक इल्लायाराजा के संगीत निर्देशन में बने इस अलबम में महात्मा गांधी द्वारा रचित भजन 'ओ नम्रता के सागर' को अमिताभ बच्चन के स्वर में प्रस्तुत किया जा रहा है। अन्य भजन पं. भीमसेन जोशी, पं. अजय चक्रवर्ती और परवीन सुल्ताना से गवाये गये हैं। साथ में प्रसिद्ध संगीत निर्देशक स्वर्गीय नौशाद की कमेन्ट्री भी सुनाई देगी ।
विश्व में पहली बार
जर्मनी में डाक्टरों ने एक चमत्कार करके दिखा दिया। विश्व में पहली बार म्यूनिख शहर के डॉक्टरों ने छह वर्ष पहले एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा चुके 54 वर्षीय किसान के हाथों का प्रत्यारोपण करने में सफलता पाई है। एक व्यक्ति की मृत्यु के दो घंटे बाद कोहनी से उसके दोनों हाथ काटकर इस किसान के हाथों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया गया। पूरे विश्व ने इस चमत्कार को अजूबा कहा, पर यह अजूबा मेडिकल साईंस का कमाल है। अब उस किसान को अपने दोनों हाथ फिर से मिल गए हैं। अपनी दिनचर्या को सुचारु रुप से इन हाथों के जरिए करने में उसे दो वर्ष लगेंगे। क्योंकि उसकी उंगलियों में स्पंदन आना धीरे- धीरे आरंभ होगा। अब एक और नई कहावत बनेगी लूले को क्या चाहिए दो प्रत्यापित हाथ।
जर्मनी में डाक्टरों ने एक चमत्कार करके दिखा दिया। विश्व में पहली बार म्यूनिख शहर के डॉक्टरों ने छह वर्ष पहले एक दुर्घटना में अपने दोनों हाथ गंवा चुके 54 वर्षीय किसान के हाथों का प्रत्यारोपण करने में सफलता पाई है। एक व्यक्ति की मृत्यु के दो घंटे बाद कोहनी से उसके दोनों हाथ काटकर इस किसान के हाथों में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित कर दिया गया। पूरे विश्व ने इस चमत्कार को अजूबा कहा, पर यह अजूबा मेडिकल साईंस का कमाल है। अब उस किसान को अपने दोनों हाथ फिर से मिल गए हैं। अपनी दिनचर्या को सुचारु रुप से इन हाथों के जरिए करने में उसे दो वर्ष लगेंगे। क्योंकि उसकी उंगलियों में स्पंदन आना धीरे- धीरे आरंभ होगा। अब एक और नई कहावत बनेगी लूले को क्या चाहिए दो प्रत्यापित हाथ।
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