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Aug 15, 2008

इस अंक के लेखक

चन्द्र शेखर साहू
जन्म स्थान- ग्राम मानिक चौरी, विकासखंड अभनपुर। सृजन लेखन और ग्रामीण पत्रकरिता से करीबी का संबंध , 1975-1977 में जे पी आंदोलन में सक्रयि भूमिक, दो बार विधायक रहे 1985 और 1990 में। किसानों के अधिकरों के लिए समर्पित। विभिन्न पत्र- पत्रिकओं का संपादन व लेखन। समग्र ग्रामीण सूचना सेवा का गठन एवं संचालन। संप्रति अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राज्य बीज एवं विकस निगम। पता: एच. आई. जी. सी-फ्०, सेक्ट0र-1 देवेन्द्र नगर- रायपुर (छ. ग.)
विनोद साव
मूलत: व्यंग्य लेखक हैं, पर इन दिनों हंस, पहल और ज्ञानोदय जैसी पत्रिकाओं में कहानियां भी लिख रहे हैं। साथ ही यात्रा वृतांत भी। अपने प्रयोगधर्मी लेखन में सामयिक सन्दर्भ में उठाए गए मुद्दों के लिए भी चर्चित। उनके नए उपन्यास भोंगपुर-30 कि. मी. के लिए रांची में सम्मान। पता: मुक्‍त नगर, दुर्ग । मोबाईल: 9907196626
ललित कुमार
भिलाई इस्पात संयंत्र के जनसंपर्क विभाग में सहायक प्रबंधक लंबे समय से कहानी, लेख और कविताओं के साथ ही लोक कलाओं के कर्य में रूचि। पता: 184 सी. रूऑबांधा सेक्‍टर भिलाई, छत्तीसगढ़।
हरिहर वैष्णव
जन्म: 19.01.1955, दन्तेवाड़ा (बस्तर-छत्तीसगढ़), हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर। मूलत: कथाकर एवं कवि। साहित्य की अन्य विधाओं में भी समान लेखन-प्रकशन। सम्पूर्ण लेखन-कर्म बस्तर पर केन्द्रित। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकओं में कहानी-कविता के साथ-साथ महत्वपूर्ण शोधपरक रचनाएँ व किताबें प्रकशित। सांस्कृठतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के अन्तर्गत आस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैण्ड तथा इटली प्रवास। पता: सरगीपाल पारा, कोंडागांव, 494226, बस्तर-छत्तीसगढ़। मोबाईल : 930049264, email ID- lakhijag@sancharnet.in
महेश परिमल

जीवन यात्रा जून 1957 से. भोपाल में रहने वाला, छत्तीसगढ़िया गुजराती। हिन्दी में एमए और भाषा विज्ञान में पीएच.डी.। 1980 से पत्रकरिता और साहित्य से जु़डाव। अब तक देश भर के समाचार पत्रों में करीब 700 समसामयिक आलेखों व ललित निबंधों क प्रकशन। संप्रति भास्कतर ग्रुप में अंशकलीन समीक्षक। ब्लॉग- संवेदनाओं के पंख। पता: 403, भवानी परिसर, इंद्रपुरी भेल, भोपाल-462022। email ID- parimalmahesh@gmail.com
प्रताप सिंह राठौर
मुख्यत: पढ़ने के शौकीन। भारतीय साहित्य, संस्कृ।ति, इतिहास, समाज शास्त्र तथा नेचरल साईंस से संबधित किताबों का अध्ययन। देश व दुनिया के बारे में जानने के लिये पर्यटन। भारत के साथ यूरोप का विस्तृत भ्रमण। इतिहास व सामाजिक विषयों पर विभिन्न पत्र- पत्रिकओं में कई आलेख प्रकशित। पता: बी-403, सुमधुर- II अपार्टमेन्ट्स, अहमदाबाद- 380015
सूरज प्रकाश
पिछले 32 बरस से हिन्दी और अनुवाद से निकट का नाता। मूल कार्य: अधूरी तस्वीर (कहानी संग्रह), हादसों के बीच (उपन्यास) देस बिराना (उपन्यास) छूटे हुए घर (कहानी संग्रह) जऱा संभल के चलो (व्यंग्य संग्रह)। अंग्रेजी से अनुवाद: जॉर्ज आर्वेल का उपन्यास एनिमल फार्म, गैब्रियल गार्सिया मार्खेज के उपन्यास Chronicle of a death foretold ऐन फैंक ज़ी डायरी ,चार्ली चैप्लिन ज़ी आत्म कथा, मिलेना (जीवनी) चार्ल्स डार्विन ज़ी आत्म कथा क अनुवाद तथा कई विश्व प्रसिद्ध कहानियों के अनुवाद प्रकशित। गुजराती की कई पुस्तकों का अनुवाद। मोबाईल: 9860094402 वेबसाइट- geocities.com/kathalar_surajprakash, Blogs: soorajprakash.blogspot.com,Kathaakar.blogspot.com,
email ID:kathaakar@gmail.com
लोकेन्द्र सिंह कोट
जन्म 1972 उज्जैन मध्यप्रदेश, विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से शिक्षा एम. एस. सी सांख्यिकी, एम. ए. अर्थशास्त्र, सागर वि. वि. से बेचलर एंड कम्यूानिकेशन। प्रेम भाटिया राष्ट्रीय फेलोशिप-नई दिल्ली एवं विकस संवाद फेलोशिप-मध्यप्रदेश। पुस्तक 'छोटी सी आशा` शीघ्र प्रकशित। नई आर्थिक नीति पर एक लघु शोध प्रबंध। लेख, लघुकथाए, व्यंग्य, ललित निबंध, कविताएं प्रकशित। संप्रति: स्वतंत्र पत्रकरिता एवं मेडिकल कालेज में सहायक प्राध्यापक। पता: लोकेन्द्र सिंह कोट 208-ए, पंचवटी कलोनी, एयरपोर्ट रोड, भोपाल- 462001, म. प्र. मोबाईल- email ID- lokendrasinghkot@yahoo.com
सुनीता वर्मा
सुनीता ने चित्रकला के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर के कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिसमें प्रमुख रुप से कालिदास पुरस्कार, मध्य दक्षिणी क्षेत्र नागपुर से फोक एंड कल्चर पुरस्कार, अनेक चित्रकला प्रदर्शनी एवं कार्यशाला में भागीदारी। वर्तमान में डीपीएस भिलाई में आर्ट टीचर। पता: वा. नं. त्त्-सी, से टर-  भिलाई।
सुनीता ने उदंती के इस अंक को विभिन्न पृष्ठों पर वॉटर कलर से सजाया है। सुनीता की चित्रकला उसकी अपनी पहचान है, जो उन्हें अन्य चित्रकारों से उन्हें अलग करती है। इस अँक को खूबसरती से सजाने के लिए सुनीता का आभार। 

1 comment:

Anonymous said...

आदरणीय रत्ना जी,
उदंती का नया अंक बहुत अच्छा है. आपको बधाई. चेतना की अभिव्यक्ति का एक हिस्सा बन रही उदंती को मेरा असीम प्रेम. आज शुचिता, सत्यता और सभ्यता की बातें कहने वाले उचित माध्यम तक नहीं पहुँच पाते. उम्मीद है उदंती वह माध्यम बनेगी..
शुभकामनाएं.......