लघुकथाएँ
डर
दंगाइयों से किसी तरह अपनी जान बचा कर वह भाग निकली । भागते-भागते वह एक जंगल में पहुंच गई। जंगल बहुत सुनसान था लेकिन उसे डर नहीं लगा। फिर रात हो गई और अंधेरा छा गया लेकिन उसे अंधेरे से डर नहीं लगा। अंधेरी रात में जंगली जानवरों की आवाजे आने लगी लेकिन उसे डर नहीं लगा। चलते-चलते वह एक बस्ती में पहुँच गई, वहां उसे कुछ आदमी दिखाई दिये जिन्हें देखते ही वह डर से कांपने लगी और वापस जंगल की तरफ भाग गई ।
आंखे
डॉक्टर ने आंख चेक कर कहा - दिखाई भी ठीक देता है, आंखे जलती भी नहीं है, पानी भी नहीं बहता, दिखने में भी लाल नहीं है , आखिर आंखों से आपको समस्या क्या है ?
मरीज ने कहा - ये सपने बहुत ज्यादा देखती है।
लडक़ी का नाम - खामोशी।
लडक़े का नाम - चुप ।
गाँव का मुखिया - शोर ।
कहानी का अंत - पारंपरिक ।
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