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Mar 21, 2009

इस अंक के रचनाकार


आचार्य रमेन्द्रनाथ मिश्र
44 वर्षों से अध्यापन से सम्बद्ध रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर। पूर्व विभागाध्यक्ष इतिहास, प्राचीन भारतीय, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग व संकाय। पूर्व अध्यक्ष मध्यप्रदेश इतिहास परिषद, भोपाल। साहित्य, इतिहास, संस्कृति आदि पर लेखन, संपादन एवं प्रकाशन। संप्रति - अध्यक्ष, महाकौशल, मध्यप्रदेश इतिहास परिषद (1920), सदस्य छत्तीसगढ़ी राज्यभाषा आयोग छत्तीसगढ़ शासन, रायपुर पता : विश्वविद्यालय परिसर रायपुर। फोन : 0771-2262636, मो. 98271 79479

रमेश शर्मा
शिक्षा - बीए, बीजे, 1983 से सक्रिय पत्रकारिता, युगधर्म रायपुर से शुरुआत, 1985 में दिल्ली प्रस्थान, वहां 1986-88 तक सुमन सौरभ पत्रिका का प्रभार, फिर दो वर्षों तक जमकर फ्रीलासिंग और नगण्य नौकरियां करते हुए 1991 में राष्ट्रीय सहारा में ठहराव मिला, राज्य बनते ही 2003 में छत्तीसगढ़ वापसी, खबरों और विश्लेषण में खास दिलचस्पी संप्रति - ब्यूरो प्रमुख, राष्ट्रीय सहारा दैनिक, छत्तीसगढ़। ईमेल : sharmarameshcg@gmail.com



अंजीव पांडे

जन्म तिथि - 01.01.1968, कार्य - अमृत संदेश में बतौर संवाददाता पत्रकारिता के कैरियर में कदम रखा। पत्रकारिता को तकनीकी रूप में समझने का मौका नवभारत, नागपुर से मिला। यहां लगभग 10 वर्ष तक संपादकीय विभाग के विभिन्न डेस्क पर कार्य किया। सकारात्मक और रचनात्मक पत्रकार के रूप में पहचान। युगधर्म, नागपुर तथा दैनिक भास्कर नागपुर से भी अल्प समयावधि के लिए संलग्न रहा। संप्रति- जनसत्ता, रायपुर में सिटी चीफ के पद पर कार्यरत। पता - जनसत्ता, आदर्श नगर, विधानसभा मार्ग, मोवा, रायपुर (छ.ग.) फोन (का.) 0771-2284929
ईमेल : anjeevpandey@yahoo.com

शैफाली

शिक्षा- माइक्रोबायोलॉजी में स्नातक कार्य- वेबदुनिया डॉट कॉम में तीन वर्षों तक उप-सम्पादक, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन कार्यक्रमों में संचालन, स्वतंत्र लेखन। रूचि- काव्य सृजन, काव्य पठन, अमृता प्रीतम, ओशो साहित्य एवं आध्यात्म का अध्ययन करना पता- शैफाली (नायिका), c/o विनय नायक, 22, संगम कॉलोनी, बलदेव बाग, जबलपुर (म.प्र.)।

जया जादवानी


जया जादवानी हिन्दी की उन विरल लेखिकाओं में से है जिनकी रचनाएं मनुष्य के अंतर्मन की यात्राएं करती हैं। अनुभूतियों के कोमल संपदनों को बुनने वाली जया का जन्म 1 मई 1959 कोतमा में हुआ। जीवन की रागात्मकता का उत्सव रचने वाली, उसे आध्यात्म प्रत्ययों की रोशनी में देखने वाली जया को तत्वमसि उपन्यास से लोकप्रियता मिली। उनके कथा संग्रह अन्दर के पानियों ने कोई सपना बहता है, मुझे होना है बार-बार, उससे पूछो, मैं अपनी मिट्टी में खड़ी हूं कांधे पे अपना हल लिए, की कहानियों ने प्रतिभूत कर देनेवाली संवेदना अर्पित की है। उनके कविता संग्रह मैं शब्द हूं, अनंत संभावनाओं के बाद भी और उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य इसका परिचायक है। उनकी कई कहानियों पर वृत्तचित्र बने हैं, वे कई संस्थानों से पुरस्कृत हुई हैं । उन्होंने हिमालय के अत्यंत बीहड़ व मनोरम स्थल की यात्राएं की हैं। उनके भीतर एक ऐसी आतुरता और भावाकुलता सांस लेती है जो सदैव किसी अच्छी रचना के लिए प्रतिश्रुत रहती है। इन दिनों वे बी-1/36 वीआईपी स्टेट, विधानसभा मार्ग रायपुर छत्तीसगढ़ में रहती हैं।

संजय तिवारी

संजय तिवारी के अनुसार अभी तक मानव सभ्यता ने जितने भी मीडिया माध्यमों का उपयोग किया है उनमें से अनूठा, प्रभावी और सर्वगुण संपन्न है इंटरनेट। विस्फोट.कॉम के माध्यम से वे जनहित के मुद्दों को उठाने का कार्य कर रहे हैं। पठन के लिये वे पसंद करते है रामचरित मानस, श्रीमद्भगवतगीता, योग वशिष्ठ, कर्म संन्यास, भारत की आत्मा, राग दरबारी, मुंशी प्रेमचंद, कबीर, एक वायलिन समंदर के किनारे एवं भक्ति योग सागर।
ईमेल : sanjaytiwari07@gmail.com

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