
बेखबरी का फायदा
खिड़की में से बाहर झाँकनेवाला आदमी उसी जगह दोहरा हो गया।
लबलबी थोड़ी देर बाद फिर दबी– दूसरी गोली भिनभिनाती हुई बाहर निकली।
सड़क पर माशकी की मश्क फटी, वह औंधे मुँह गिरा और उसका लहू मश्क के पानी में हल होकर बहने लगा।
लबलबी तीसरी बार दबी- निशाना चूक गया, गोली एक गीली दीवार में जज़्ब हो गई।
चौथी गोली एक बूढ़ी औरत की पीठ में लगी, वह चीख भी न सकी और वहीं ढेर हो गई।
पाँचवी और छठी गोली बेकार गई, न कोई हलाक हुआ और न कोई जख्मी।
गोलियाँ चलाने वाला भिन्ना गया।
दफ्तन सड़क पर एक छोटा- सा बच्चा दौड़ता हुआ दिखाई दिया।
गोलियाँ चलाने वाले ने पिस्तौल का मुहँ उसकी तरफ मोड़ा।
उसके साथी ने कहा- यह क्या करते हो?
गोलियां चलाने वाले ने पूछा- क्यों?
गोलियां तो खत्म हो चुकी हैं!
तुम खामोश रहो... इतने- से बच्चे को क्या मालूम?
करामात
लोग डर के मारे लूटा हुआ माल रात के अंधेरे में बाहर फेंकने लगे, कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने अपना माल भी मौका पाकर अपने से अलहदा कर दिया, ताकि कानूनी गिरफ्त से बचे रहें।
एक आदमी को बहुत दिक्कत पेश आई। उसके पास शक्कर की दो बोरियाँ थी जो उसने पंसारी की दुकान से लूटी थीं। एक तो वह जूँ-तूँ रात के अंधेरे में पास वाले कुएँ में फेंक आया, लेकिन जब दूसरी उसमें डालने लगा खुद भी साथ चला गया।
शोर सुनकर लोग इकट्ठे हो गये। कुएँ में रस्सियाँ डाली गईं।
जवान नीचे उतरे और उस आदमी को बाहर निकाल लिया गया।
लेकिन वह चंद घंटों के बाद मर गया।
दूसरे दिन जब लोगों ने इस्तेमाल के लिए उस कुएँ में से पानी निकाला तो वह मीठा था।
उसी रात उस आदमी की कब्र पर दीए जल रहे थे।
खबरदार
हलाल और झटका
मैंने उसकी शहरग पर छुरी रखी, हौले- हौले फेरी और उसको हलाल कर दिया।
यह तुमने क्या किया?
क्यों?
इसको हलाल क्यों किया?
मजा आता है इस तरह।
मजा आता है के बच्चे...तुझे झटका करना चाहिए था... इस तरह।
और हलाल करने वाले की गर्दन का झटका हो गया।
(शहरग- शरीर का सबसे बड़ा शिरा जो हृदय में मिलता है)
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