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May 25, 2010

यात्रा

चोपता की वह चांदनी रात...
- मुन्ना के. पाण्डेय
इस तीखे मोड़ से मुड़ते ही चोपता अपनी सारी खूबसूरती आपके आंखों में भर देता है, और आप फटी- फटी आंखों और खुले मुंह से इस दृश्य और वहां पसरी अलौकिक शान्ति को बस देखते ही रह जाते हैं।
गढ़वाल वैसे तो अनेकानेक सुंदर-सुंदर जगहों से भरा पड़ा है। पर हम जिस जगह की बात कर रहे हैं वह चोपता है। चोपता गोपेश्वर से 38 किलोमीटर की दूरी पर केदारनाथ वन्य -जीव प्रभाग के मध्य स्थित एक छोटी किंतु बेहद ही खूबसूरत जगह है। यहां पहुंचने के दो रास्ते हैं- पहला जो अधिक आसान और सीधा है वह गोपेश्वर, मंडल होकर तथा दूसरा उखीमठ होकर। उखीमठ केदारनाथ बाबा की शारदीय पीठ है। चोपता को गढ़वाल का चेरापूंजी कहा जाता है। कारण यहां बदल कभी भी आकर आपके ऊपर हलकी- तेज फुहार छोड़ जाते हैं। जैसे ही आप गोपेश्वर की तरफ से आते हैं और जब माईल स्टोन यहां शो करता है कि चोपता 1 किलोमीटर रह गया है तभी आप अपने पैर अपनी गाड़ी के ब्रेक पर तेजी से लगाने को मजबूर हो जाते हैं। ना.. ना.. बात ज्यादा खतरे की नहीं है। दरअसल, इस तीखे मोड़ से मुड़ते ही चोपता अपनी सारी खूबसूरती आपके आंखों में भर देता है, और आप फटी- फटी आंखों और खुले मुंह से इस दृश्य और वहां पसरी अलौकिक शान्ति को बस देखते ही रह जाते हैं।
सामने दूर-दूर तक फैला विराट दुधिया हिमालय अपनी मौन तपस्या करता जान पड़ता है, आप बस इस दृश्य को पूरा जी लेना चाहते हैं। एक सलाह है, जहां तक सम्भव हो, कैमरे की क्लिक के बजाये दिल के कैमरे में इसे पहले क्लिक करें फिर कहीं और क्योंकि, चोपता मन नहीं भरने देता हां,आपकी छुट्टियां ही कम पड़ जाती हैं। यह जगह अपने दूर- दूर तक फैले हरे- हरे बुग्यालों के लिए मशहूर है (बुग्याल- हरे घास के वो मैदान हैं जो उंचाई पर बर्फीली चोटियों से लगे हुए हैं)।
चोपता से 4 किलोमीटर ऊपर पंचकेदारों में से सबसे उंचाई पर स्थित तुंगनाथ का मन्दिर है। यहां तक जाने के लिए बढिय़ा ट्रेल पी.डबल्यू.डी. के सौजन्य से बनी हुई है।
चोपता आपको आम हिल स्टेशनों से अलग इस कारण भी लगेगा क्योंकि यहां टूरिस्टों के झुंड- चौड़े जत्थे उनका कूड़ा- कचरा, पोलीथिन के ढेर नहीं दिखते और एक बात, यहां आज भी दुकान वाला गैस की बजाय लकड़ी पर ही खाना बना कर देता है, वो भी लोकल सब्जियों के साथ। चूंकि यहां साल भर बेहद ठंडा वातावरण होता है तो आप यहां के होटलों में मडुवे की रोटी और लहसन की चटनी की मांग कीजिये (जो सामान्तया मिल जाती है)।
अब, इस जगह के बारे में कुछ बेहद जरुरी। यह क्षेत्र सघन वन क्षेत्र है अत: रात- विरात देख- भाल कर निकलिए। चोपता में इस जगह से लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक ऊंचा टॉवर जंगलात विभाग ने बना रखा है, आप यहां से रात में दुर्लभ और लगभग गुम हो चुके जानवरों की प्रजातियां देख सकते हैं, जैसे कि 'कस्तूरी मृग, हिमालयन रीछ, और बाघ इत्यादि, पर इसके लिए चांदनी रात का होना जरुरी है। क्योंकि 'चोपता' की चांदनी रात बेहद खूबसूरत होती है... जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल है। यहां जब चांदनी हिम, शिखरों पर पड़ती है तब दिमाग की खिड़कियां बंद हो जाती हैं और दिल धड़कना भूल जाता है।
चोपता को एक बेस कैम्प की तरह यूज कीजिये क्योंकि मैं जिस चांदनी की बात कर रहा हूं वह केवल शरद पूर्णिमा के चांद की है। इस समय यहां का सारा इलाका बर्फ की सफेद चादर ओढ़ लेता है और जब बर्फ की इन चादरों पे चांदनी पसरती है... जी चाहता है कि बस सारी कायनात यहीं रुक जाए । वैसे भी इस पूर्णिमा में चांद का दीदार चोपता के ऊपर लगभग 4200 मी. पर स्थित चंद्रशिला से करना अधिक ठीक होता है जो तुंगनाथ मन्दिर से सीधी 1 किलोमीटर की चढ़ाई पर है। एक रात यहां गुजार लेने का दम सभी के बूते के बाहर की ची•ा है। और यह शौक अच्छी तैयारी और साजो- सामान की मांग करता है। इस मौसम में जबकि ऊपर कुछ भी नहीं मिलता खाने और गाईड के बगैर जाना जान- जोखिम में डालना है। यह वह मौसम होता है जब कई ट्रैकर्स गोपेश्वर से लगभग 23 किलोमीटर की ट्रेकिंग करके सीधे तुंगनाथ मन्दिर के सामने पहुंचते हैं। मन्दिर के कपाट शीतकाल के लिए पहले ही बंद कर दिए जाते हैं, और आपके पास इस चांदनी रात में चांद को निहारने का सुख पाने के लिए अपने साथ लाये टेंट या फिर मन्दिर के पीछे बनी एक छतरी के इर्द- गिर्द अपने को पूरी तरह बंद और अपने साथ लाए गर्म भारी कपड़ों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यह पूरी रात एक ऐसी याद दिल में छोड़ जाती है जिसे ना आप भूल पाते हैं ना ये खुद को आपको भूलने देती है।
अगले दिन चांद की पहाड़ी यानी चंद्रशिला से सूर्योदय देखिये। यह रात से कम खूबसूरत किसी भी सूरत में नहीं होती। सूर्य की पहली किरण जब सामने दूर- दूर तक पसरे चौखम्बा, गंगोत्री, केदार डोम, सतोपंथ नंदा घुंटी के शिखरों पर पड़ती है तो लगता है जैसे इन शिखरों ने स्वर्ण मुकुट धारण कर लिया है और सूर्य ने अपनी स्वर्ण- रश्मियों से इनका अभिषेक कर दिया है... पर जल्दी कीजिये यहां बादल शीघ्र घिर आते हैं...
तो फिर सोचना क्या है... हो आइये एक बार चोपता... फिर बताइए कैसी कही आपकी चांदनी रात?
वहां जाने के लिए ऋ षिकेश से एन.एच. 58 के साथ- साथ देवप्रयाग, नन्द प्रयाग, रुद्र प्रयाग, चमोली गोपेश्वर होते हुए मंडल के रास्ते 'चोपता' और क्या...।
संपंर्क- सेक्टर 41, माल अपार्टमेंट (गेट नं.-1) माल रोड (दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास) दिल्ली-110 054 , मोबाइल: 09968734648,
Email- kunal23rs@gmail.कॉम, jaaneanjaane.blogspot.com


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