वे डूब जाते हैं रंग- बिरंगे कपड़ों की मस्ती में
जर्मनी में कार्निवल की धूम देखते ही बनती है। इस दौरान रंगों की कुछ वैसी ही छटा देखने को मिलती हैं जैसी होली के दौरान भारत में उसी तरह की मस्ती होती है और लोगों में उसी तरह का उत्साह होता है। बस फर्क इतना है कि कार्निवल में वहां के लोग रंग से नहीं खेलते बल्कि रंग बिरंगी ड्रेस पहनते हैं।
जर्मनी में राइनलैंड और कई दूसरे इलाक़ों में कार्निवल के सबसे महत्वपूर्ण त्योहार में कोई तितली बना तो कोई फूल। कोई शेर तो कोई बिल्ली। कोई दरबान बनकर ही ख़ुश रहा तो कोई शहंशाह बना फिरता रहा। इस पर्व पर जर्मन के शहरों में अचानक बेशुमार समुद्री लुटेरे, जादूगरनियां, पादरी और काउब्वॉय दिखाई देते हैं पर सचमुच में नहीं, कार्निवल की मस्ती में डूबे लोग इन ड्रेसों को पहने घूम रहे हैं।

कार्निवल की कुछ पारंपरिक ड्रेसों से अलग कुछ लोग नई ड्रेसें भी आज़माते हैं, जो परियों की कहानियों, फि़ल्मों और फ़ंतासी के किरदारों से जुड़ी होती हैं। एलेना ने अपनी ड्रेस ख़ुद ही तैयार की। उसकी लंबी ड्रेस काली और उस पर पंख लगे थे, वह कहती हैं, 'मैं इस साल काली परी बनी हूं क्योंकि मैंने सोचा कि हर कोई सफ़ेद परी के कपड़े पहनता हैं तो क्यों न काली परी बना जाए।
हेल्गा रेश कार्निवल के दौरान ड्रेसों पर एक किताब लिख चुकी हैं। कार्निवल मनाने के लिए वह कुछ नसीहतें भी देती हैं, 'जब कार्निवल आता है तो आपको कुछ हटकर पहनना होता है। म्यूनिख के मुक़ाबले कोलोन में ख़ास बात यह है कि आपकी ड्रेस मज़ाकिया और मसखरी होनी चाहिए। जरूरी नहीं कि वह सेक्सी हो। कोलोन में बेहतर होगा आप जोकर बनिए या फिर औरतें आदमियों के कपड़े पहनें। मसलन सैनिक या फिर समुद्री लुटेरे।'
ब्राजील के शहर रिओ डि जेनेरिओ के हॉट कार्निवल से अलग जर्मनी में जब कार्निवल मनाया जाता है तो मौसम काफ़ी ठंडा होता है। इसलिए बहुत से लोगों ने अपने लिए ऐसी ड्रेसें चुनी जो उन्हें गर्म रख सकें। मसलन भालू, खऱगोश या फिर फर वाले मेंढक।
जब बात कार्निवल की आती है तो आर्थिक संकट का कहीं कोई असर नजऱ नहीं आता। ज़्यादातर लोग अपने लिए कार्निवल की अच्छी सी ड्रेस के लिए कम से 40 यूरो यानी ढ़ाई हज़ार रुपये ख़र्च करने को तैयार हैं। येक्केन को पूरे साल अपने लिए ऐसी बेहतरीन ड्रेस की तलाश रहती हैं जिसे आने वाले कार्निवल पर पहन सकें। दरअसल येक्केन का मतलब होता है भांड और यह वह उपाधि है जो राइनलैंड के कार्निवल मसखरे अपने आपको देते हैं।
स्ट्रीट यानी गलियों और सड़कों पर कार्निवल की शुरूआत जिस गुरुवार को हुई इस दिन को महिला कार्निवल के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इस दिन महिलाओं का राज होता है। पारंपरिक तौर पर वे पुरुषों की टाई काटती हैं। कई तो इन कटी हुई टाइयों को ट्रॉफ़ी के तौर पर संजोकर भी रखती हैं।
कार्निवल में अब धीरे-धीरे भारतीय ड्रेसों का भी चलन बढ़ रहा है। कई बार आपको हिंदुस्तानी राजा महाराजा दिखते हैं तो कहीं तलवार लिए और घोड़े पर सवार होने को बिल्कुल तैयार दूल्हा। कहीं सजना के साथ जाने के लिए सजी संवरी दुल्हन और हाथों में चूड़ा और सलवार कमीज पहने लड़कियां। बेशक यह सब यहां दिन ब दिन लोकप्रिय होती बॉलीवुड फि़ल्मों का असर है।
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