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Nov 25, 2016

नियत से नियति तक

 नियत से नियति तक  
 - विजय जोशी (पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक भेल, भोपाल)    
नियत जिसे अंग्रेजी में इंटेन्शन कहा जाता है उसका हमारे जीवन में बेहद महत्त्व है। दरअसल यह हमारे जीवन जीने के तरीकों की प्रतिध्वनि है। कोई भी काम करते समय हमारा जो भी इरादा या मनोभाव रहता है, वही हमारे काम करने के मार्ग तय करता है और अंतत: परिणाम में उभरता है। अच्छी नियत से कि काम के परिणाम भी सकारात्मक तथा बदनियती से किये गये काम के नकारात्मक और कभी कभी घातक परिणाम तक हो सकते हैं। अच्छी नियत से किये कार्य हमेशा सुखदायी होते हैं हमारे लि भी एवं दूसरों के लि भी। आइए अब इसके सोपानों पर गौर करें -
1- विचार - हमारे विचार ही हमारे जीवन की दशा और दिशा दोनों तय करते हैं। स्वस्थ एवं स्वच्छ विचारयुक्त आदमी का जीवन भी बड़ा सरल, सहज और सदाशयतापूर्ण होता है। आपके विचार ही आपको समाज में प्रतिष्ठा प्रदान करते हैं. अत: अपने विचारों पर समुचित ध्यान दें, वे आपके शब्द बनेंगे।
2- शब्द - शब्द विचार का वाहक हैं. आपके विचार मस्तिष्क से शब्दों के माध्यम से ही जन मानस के समक्ष व्यक्त होते हैं। अत: इनके उपयोग एवं प्रयोग में पूरी सावधानी नितांत आवश्यक है। शब्द ही अंतत: विचार को कार्यरूप में परिणित भी करते हैं। अतएव अपने शब्दों पर समुचित ध्यान दें, वे आपके कार्य बनेंगे।
3- कार्य - कार्य ही जीवन का प्रयोजन है। कहा ही गया है कि कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहीं सो तस फल चाखा। एक बात और जैसे अच्छे कर्म का फल अच्छा होता है वैसे ही बुरे काम का बुरा नतीजा भी। सो अपने कार्यों पर समुचित ध्यान दें, वह आपकी आदत बनेगी।
4- आदत - आपने देखा ही होगा कि हर दिन एक सा काम करते करते हम उसके आदी हो जाते हैं और उस काम का शुमार हमारी आदत में हो जाता है। यही आदत शनै: शनै: हमारे आचरण में आ जाती है। अत: अपनी आदतों का आत्मविश्लेषण भी हमारी आदत का अंग होना चाहिये। अपनी आदतों पर समुचित ध्यान दें, वह आपका चरित्र बनेगी।
5-चरित्र - चरित्र जीवन में सर्वोपरि है। कहा भी गया है कि यदि धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया, लेकिन यदि चरित्र गया तो सब कुछ चला गया। आपका चरित्र ही अंतत: आपका सर्वस्व तय करता है; इसलि अपने चरित्र पर समुचित ध्यान दें, वह आपकी नियति बनेगी।
याद रखि एक बात तो तयशुदा है कि अंतत: आपकी नियत ही आपकी नियति तय करेगी और उसके लिये अत्यावश्यक है कि न केवल आपके विचारों, शब्दों, कार्यों और आदतों में सामंजस्य हो, अपितु आपके सोच में साफ सुथरे कार्यों के प्रति ललक, लगन और लक्ष्य बोध हो। यही  जीवन का सरलतम सूत्र।
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