- रश्मि प्रभा
तुम एक वटवृक्ष हो
इसकी शाखाओं में
ऋतुओं के गीत हैं ...
पत्ते गिरते हैं
तो पत्ते आते भी हैं
वर्षों में
समय दर समय बने घोंसलों में
अनगिनत लम्हों के कलरव हैं ...
चलो गिनते हैं अपनी उँगलियों पर
उन सालों को
जब इसके हरे पत्तों पर
हम अपना नाम लिखा करते थे
देखो न
अब इन हरे पत्तों पर
हमारे बच्चों के नाम हैं...
तुम्हारे घनत्व में
कितने राहगीर सुकून पाते हैं
परत दर परत तुम्हारे तने में
जाने कितनी कहानियाँ हैं
कुछ इनकी कुछ उनकी
कुछ हमारी ...
एक नया साल
नई उम्मीदों के संग
लिपटा है तेरी टहनियों से
नए सपनों की सरसराहट है पत्तों में
तुम्हारे जड़ों की मजबूती
सपनों का हौसला ...
ईश्वर का प्रतिनिधित्व करो
कहो किसी मंत्र की तरह
मस्जिद के अजान की तरह
नया वर्ष,
सपनों से हकीकत तक का
स्वर्णिम सफऱ तय करे
हर दिन तुम्हारा हो
अपने अनुभवों का शंखनाद करो
2011 का जयघोष करो ....
मेरे बारे में...
सौभाग्य मेरा कि मैं कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हूं और मेरा नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया और मेरे नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियां मेरे नाम की... 'सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर- सुन्दर जग-जीवन'। शब्दों की पांडुलिपि मुझे विरासत में मिली है। अगर शब्दों की धनी मैं ना होती तो मेरा मन, मेरे विचार मेरे अन्दर दम तोड़ देते... मेरा मन जहां तक जाता है, मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं, यकीनन, ये शब्द ही मेरा सुकून हैं...
मेरा पता: NECO NX flat no- 42 near dutt mandir chauk viman nagar pune -14
मो। 09371022446, Email- rasprabha@gmail.com, www.urvija.parikalpnaa.com
- आशा भाटी
कोहरे की चादर ओढ़कर सोये हैं पेड़ सभी
नहीं है याद इन्हें मौसम की कोई
भोर की पहली किरण इन्हें जगाती है
तो नया वर्ष आता है।
मौसम का भरोसा क्या, ये तो आते जाते हैं
कभी- कभी कई बार ये बदलते भी हंै
कोई क्षण जीवन में ठहर जाता है।
तो नया वर्ष आता है।
कुछ दिन पहले बाग था वीरान
महकते फूलों के इंतजार में था
कली कोई मुसकुराती है
तो नया वर्ष आता है।
यूं तो इन्द्रधनुष धरा पर
बिखरते रहते हैं
कभी कोई रंग जीवन में निखर जाता है
तो नया वर्ष आता है।
मेरे बारे में...
हिन्दी और अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हूं। प्रकृति से प्रेम है। पढऩे- लिखने की शौकीन हूं। लखनऊ की एक साहित्यिक संस्था कादम्बिनी से जुड़ी हूं।
मेरा पता- शताक्षी, 13/89
इंदिरा नगर, लखनऊ
(उ. प्र.) 226016
फोन-0522 - २७१२४७७
खुशी के फूल
- डॉ. भावना कुंअर
1
सीढिय़ां चढ़े
संभलकर सभी
नये वर्ष में।
2
उलझे रास्ते
जल्द ही सुलझेंगे
नव वर्ष में।
3
मंगलमय
सभी को नव वर्ष
दिल से दुआ।
4
पुराने दिन
जो थे मुश्किल भरे
लो बीत चले।
5
डाकिया लाया
खुशियों भरे पत्र
नये साल में।
6
नये साल की
बगिया में खिलेंगे
खुशी के फूल।
7
लो बीत चला
एक और सफऱ
नई तलाश।
8
लो चल पड़े
नया साल खोजने
बर्फीले दिन।
9
आओ लें प्रण
हो न कोई गुनाह
इस वर्ष में।
10
ओढ़े हुए है
कोहरे की चादर
नूतन वर्ष।
11
सर्द हवाएं
करती आलिंगन
नव-वर्ष का।
12
पंछी-समूह
गाये मधुर गीत
नये साल में।
13
करें स्वागत
खुशियां ले के हम
नव-वर्ष का।
14
खड़ा द्वार पे
प्रेम संदेश लिये
ये नव-वर्ष।
15
ना बरसाए
पलकों की झालर
दु:ख के मोती।
16
प्रथम गान
नव-वर्ष बेला में
गाती कोयल।
17
इस साल में
ना उजड़े चमन
कोशिश यही।
18
खुशियां लाए
बिछड़ों के मध्यस्थ
ये नववर्ष।
19
ओस के कण
चुगती हुई आई
ये जनवरी।
20
सहमे पंछी
अब फिर झूमेंगे
नये साल में।
मेरे बारे में...
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूं पर मेरे अन्त:करण में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो कभी तो आत्ममंथन करती हैं और कभी शब्दों में ढलकर रचनाओं का रूप ले लेती हैं। वही सब आपके साथ बांटना चाहूंगी। पिछले वर्ष से आस्ट्रेलिया में अध्यापन कर रही हूं।
मेरा स्थायी पता- द्वारा श्री सी. बी. शर्मा, आदर्श कॉलोनी
(एसडी डिग्री कॉलेज के सामने) मुजफ्फरनगर (उप्र) 251001
Email- bhawnak2002@gmail.com
www.dilkedarmiyan.blogspot.com
इसकी शाखाओं में
ऋतुओं के गीत हैं ...
पत्ते गिरते हैं
तो पत्ते आते भी हैं
वर्षों में
समय दर समय बने घोंसलों में
अनगिनत लम्हों के कलरव हैं ...
चलो गिनते हैं अपनी उँगलियों पर
उन सालों को
जब इसके हरे पत्तों पर
हम अपना नाम लिखा करते थे
देखो न
अब इन हरे पत्तों पर
हमारे बच्चों के नाम हैं...
तुम्हारे घनत्व में
कितने राहगीर सुकून पाते हैं
परत दर परत तुम्हारे तने में
जाने कितनी कहानियाँ हैं
कुछ इनकी कुछ उनकी
कुछ हमारी ...
एक नया साल
नई उम्मीदों के संग
लिपटा है तेरी टहनियों से
नए सपनों की सरसराहट है पत्तों में
तुम्हारे जड़ों की मजबूती
सपनों का हौसला ...
ईश्वर का प्रतिनिधित्व करो
कहो किसी मंत्र की तरह
मस्जिद के अजान की तरह
नया वर्ष,
सपनों से हकीकत तक का
स्वर्णिम सफऱ तय करे
हर दिन तुम्हारा हो
अपने अनुभवों का शंखनाद करो
2011 का जयघोष करो ....
मेरे बारे में...
सौभाग्य मेरा कि मैं कवि पन्त की मानस पुत्री श्रीमती सरस्वती प्रसाद की बेटी हूं और मेरा नामकरण स्वर्गीय सुमित्रा नंदन पन्त ने किया और मेरे नाम के साथ अपनी स्व रचित पंक्तियां मेरे नाम की... 'सुन्दर जीवन का क्रम रे, सुन्दर- सुन्दर जग-जीवन'। शब्दों की पांडुलिपि मुझे विरासत में मिली है। अगर शब्दों की धनी मैं ना होती तो मेरा मन, मेरे विचार मेरे अन्दर दम तोड़ देते... मेरा मन जहां तक जाता है, मेरे शब्द उसके अभिव्यक्ति बन जाते हैं, यकीनन, ये शब्द ही मेरा सुकून हैं...
मेरा पता: NECO NX flat no- 42 near dutt mandir chauk viman nagar pune -14
मो। 09371022446, Email- rasprabha@gmail.com, www.urvija.parikalpnaa.com
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भोर की पहली किरण - आशा भाटी
कोहरे की चादर ओढ़कर सोये हैं पेड़ सभी
नहीं है याद इन्हें मौसम की कोई
भोर की पहली किरण इन्हें जगाती है
तो नया वर्ष आता है।
मौसम का भरोसा क्या, ये तो आते जाते हैं
कभी- कभी कई बार ये बदलते भी हंै
कोई क्षण जीवन में ठहर जाता है।
तो नया वर्ष आता है।
कुछ दिन पहले बाग था वीरान
महकते फूलों के इंतजार में था
कली कोई मुसकुराती है
तो नया वर्ष आता है।
यूं तो इन्द्रधनुष धरा पर
बिखरते रहते हैं
कभी कोई रंग जीवन में निखर जाता है
तो नया वर्ष आता है।
मेरे बारे में...
हिन्दी और अंग्रेजी साहित्य में स्नातक हूं। प्रकृति से प्रेम है। पढऩे- लिखने की शौकीन हूं। लखनऊ की एक साहित्यिक संस्था कादम्बिनी से जुड़ी हूं।
मेरा पता- शताक्षी, 13/89
इंदिरा नगर, लखनऊ
(उ. प्र.) 226016
फोन-0522 - २७१२४७७
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हाइकु खुशी के फूल
- डॉ. भावना कुंअर
1
सीढिय़ां चढ़े
संभलकर सभी
नये वर्ष में।
2
उलझे रास्ते
जल्द ही सुलझेंगे
नव वर्ष में।
3
मंगलमय
सभी को नव वर्ष
दिल से दुआ।
4
पुराने दिन
जो थे मुश्किल भरे
लो बीत चले।
5
डाकिया लाया
खुशियों भरे पत्र
नये साल में।
6
नये साल की
बगिया में खिलेंगे
खुशी के फूल।
7
लो बीत चला
एक और सफऱ
नई तलाश।
8
लो चल पड़े
नया साल खोजने
बर्फीले दिन।
9
आओ लें प्रण
हो न कोई गुनाह
इस वर्ष में।
10
ओढ़े हुए है
कोहरे की चादर
नूतन वर्ष।
11
सर्द हवाएं
करती आलिंगन
नव-वर्ष का।
12
पंछी-समूह
गाये मधुर गीत
नये साल में।
13
करें स्वागत
खुशियां ले के हम
नव-वर्ष का।
14
खड़ा द्वार पे
प्रेम संदेश लिये
ये नव-वर्ष।
15
ना बरसाए
पलकों की झालर
दु:ख के मोती।
16
प्रथम गान
नव-वर्ष बेला में
गाती कोयल।
17
इस साल में
ना उजड़े चमन
कोशिश यही।
18
खुशियां लाए
बिछड़ों के मध्यस्थ
ये नववर्ष।
19
ओस के कण
चुगती हुई आई
ये जनवरी।
20
सहमे पंछी
अब फिर झूमेंगे
नये साल में।
मेरे बारे में...
मुझे साहित्य से बहुत प्यार है। साहित्य की वादियों में ही भटकते रहने को मन करता है। ज्यादा जानती नहीं हूं पर मेरे अन्त:करण में बहुत सी ऐसी बातें हैं जो कभी तो आत्ममंथन करती हैं और कभी शब्दों में ढलकर रचनाओं का रूप ले लेती हैं। वही सब आपके साथ बांटना चाहूंगी। पिछले वर्ष से आस्ट्रेलिया में अध्यापन कर रही हूं।
मेरा स्थायी पता- द्वारा श्री सी. बी. शर्मा, आदर्श कॉलोनी
(एसडी डिग्री कॉलेज के सामने) मुजफ्फरनगर (उप्र) 251001
Email- bhawnak2002@gmail.com
www.dilkedarmiyan.blogspot.com
3 comments:
सभी रचनायें एक से बढ़कर एक हैं पर इन पंक्तियों में जो बात है वो अभिभूत करती है ...
एक नया साल
नई उम्मीदों के संग
लिपटा है तेरी टहनियों से
नए सपनों की सरसराहट है पत्तों में
तुम्हारे जड़ों की मजबूती
सपनों का हौसला
रश्मि दी की इस रचना प्रस्तुति के लिये आपका आभार ।
पहली दोनों कविता बहुत सुन्दर है ... और फिर हाइकुओं कि लड़ी भी अनुपम है ...
रश्मिदी की यह कविता मुझे बहुत अच्छी लगी .. परंपरा के साथ नए ज़माने की बात करती हुई ..
नए वर्ष पर रश्मि प्रभा आशा भाटी और भावना कुँअर की रचनाएँ बहुत प्रभावशाली हैं । तीनो कविताओं में सजीव चित्रण किया गया है.
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