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Jan 1, 2021

उदंती.com, जनवरी, 2021

वर्ष-13, अंक-5

हर दिवस शाम में ढल जाता है,

हर तिमिर धूप में जल जाता है,

मेरे मन! इस तरह न हिम्मत हार

वक्त कैसा हो, बदल जाता है।

-गोपाल दास नीरज

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इस अंक में

अनकहीः नए विश्वास के साथ... - डॉ. रत्ना वर्मा

आलेखः कोविड और 2020: एक अनोखा वर्ष -स्रोत फीचर्स

आलेखः नए वर्ष का स्वागत मुस्कान के साथ... - सुदर्शन रत्नाकर

आलेखः कोरोना की भयावहता के बीच 2020 की विदाई  - डॉ. महेश परिमल

संस्मरणः सोहराई पेंटिंग का जादू  -रश्मि शर्मा

कविताः करो भोर का अभिनंदन -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

आलेखः सूरज का पर्दा  - रावी

चोकाः  पीले गुलाब  - सुधा गुप्ता

कहानीः आखिरी पड़ाव का दु:ख - सुभाष नीरव

व्यंग्यः  वैक्सीन की जमाखोरी की योजना - गिरीश पंकज

लघुकथाः पेट पर लात - विक्रम सोनी

किताबेंः अनुभूतिपरक रचनाएँ मौन की आहटें डॉ. कविता भट्ट शैलपुत्री

कविताः नूतनता के विभ्रम में - डॉ. कुँवर दिनेश सिंह

लघुकथाएँः 1.अकृतज्ञ 2.छंगू भाई  3.बेरोज़गारी 4.धर्म - डॉ. शैलेष गुप्त वीर

क्षणिकाएँः पहरे पर होता चाँद - रचना श्रीवास्तव 

बालकथाः लॉक डाउन - मंजूषा मन

क्षणिकाएँः माँ वो ख़त तुम्हारा ही है ना! - मीनू खरे

जीवन- दर्शनः  अहंकार के अंत का सरल सूत्र  - विजय जोशी

प्रेरकः संघर्ष - निशांत

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