इस अंक में
अनकही- सामाजिक अवमूल्यन के चक्रव्यूह में
बुज़ुर्ग -डॉ. रत्ना वर्मा
पर्यटन- छत्तीसगढ़ की पावन धरती पर 'राम वनगमन पर्यटन परिपथ' -उदंती फीचर्स
पर्यावरण- गांधी के विचारों को नए सिरे से टटोलना -भारत डोगरा
आलेख- अँगुलिमाल और अशोक की संततियाँ -प्रेमकुमार मणि
सेहत- क्या वाकई 20 सेकंड हाथ धोना ज़रूरी
है? -स्रोत
प्रेरकः गांधी जयंतीः सादगी और मितव्ययता के पाँच पाठ
-हिन्दी ज़ेन
स्मृति शेष- जीवन का बोझ -रामधारी सिंह ‘दिनकर’
संस्मरण- आहत मासूमियत -प्रगति गुप्ता
कोविड 19- बच्चों में ‘लॉकडाउन मायोपिया’
-स्रोत
ताँका- लेके तेरा संदेशा -कमला निखुर्पा
माहिया- अब हुआ सवेरा है -डॉ. आशा पांडेय
नवगीत- बौराहिन लछमिनिया -शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
लघुकथा- जेनरेशन गैप -डॉ. जेन्नी शबनम
कहानी- टूटे सपने -विनय कुमार पाठक
व्यंग्य- घटनाओं की सनसनी -बी. एल. आच्छा
किताबें- विविध भावों से युक्त हाइकु
-रमेशकुमार सोनी
कलाकार- पंथी का देदीप्यमान सितारा-
राधेश्याम बारले -संजीव तिवारी
6 comments:
बेहतरीन नए अंक हेतु आ.रत्ना वर्मा जी एवं संपादक मण्डल सहित सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई। मेरी लघुकथा फर्क को अंक में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार।
बहुत सुंदर अंक हेतु सम्पादक मंडल एवं रचनाकारों को बहुत बहुत बधाई।
अद्भुत संयोजन मुख पृष्ठ तथा सम्मिलित सामग्री का. हार्दिक बधाई. सादर
हमेशा की तरह रोचक। मेरी कहानी 'टूटे सपने' को स्थान देने के लिए आभार।
एक और बेहतरीन अंक के लिए सम्पादक मण्डल को बधाई,अंक में सम्मिलित समस्त रचनाकारों को भी बधाई।
सुंदर अंक।संपादक मण्डल एवं समस्त रचनाकारों को बधाई।
Post a Comment