राष्ट्र मंडल खेलों को लेकर पिछले दिनों बहुत सारी गड़बडिय़ों की चर्चा रही। देश की बदनामी से आहात भारत की जनता अपना गुस्सा कलमाड़ी पर एसएमएस के माध्यम से व्यक्त करती रही। पढि़ए उसी गुस्से की कुछ बानगी जो जवाहर चौधरी ने हमें भेजे हैं-
क्त नाम पर सहमति न बन पाने के कारण कलमाड़ी साहब के हाथ से एक कुकरी शो का ऑफर निकल गया...चैनल शो का नाम 'खाना-खजाना' रखना चाहता था और कलमाड़ी इस जिद्द पर अड़े थे कि उसका नाम 'खाना खा जाना' रखा जाए!
क्त कलमाड़ी को भारत रत्न दिए जाने की मांग के बीच पाक सरकार ने कलमाड़ी को निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान से नवजाने का फैसला किया है... उसका मानना है कि भारत की जितनी बदनामी वो पिछले साठ सालों में नहीं कर पाए उससे ज्यादा इस शख्स ने पिछले छह दिनों में करवा दी है!
क्त कलमाड़ी ने हाथ दे कर रिक्शे वाले को रोका और पूछा... बस स्टैंड चलना है... कितने पैसे दोगे?
क्त कलमाड़ी का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है... पहले उन्हें बताया गया था कि खेल दो हजार दस में नहीं दस हजार दो में होने हैं!
क्त कलमाड़ी को काटने के लिए मच्छरों का कल एक इवेंट होना था... मगर... आखरी वक्त पर ज्यादातर मच्छरों ने अपना नाम वापिस ले लिया!
क्त खबर है कि पिछले तीन दिनों में एक लाख लोगों ने नाम परिवर्तन की सूचना अखबारों में दी है.... और क्या ये महज इत्तेफाक है कि इन सभी के नाम सुरेश हैं!
क्त अधूरी तैयारियों से परेशान कलमाड़ी ने अपना सिर पीटा... कहा स्साला कोई भी अपना वादा नहीं निभाता... आतंकी कह गए थे... खेल नहीं होने देंगे... पता नहीं कहां रह गए?
क्त दोस्तों, रात को जूतों की एक माला कलमाड़ी के पोस्टर पर डाली थी...सुबह उठ कर देखा रहा हूं तो उसमें से दो जूते गायब हैं!
क्त बेइज्जती की इंतहा... कलमाड़ी के कुत्ते ने उन्हें देख पूंछ हिलाना बंद कर दिया है।
ईमेल -jc.indore@gmail.com
क्त नाम पर सहमति न बन पाने के कारण कलमाड़ी साहब के हाथ से एक कुकरी शो का ऑफर निकल गया...चैनल शो का नाम 'खाना-खजाना' रखना चाहता था और कलमाड़ी इस जिद्द पर अड़े थे कि उसका नाम 'खाना खा जाना' रखा जाए!
क्त कलमाड़ी को भारत रत्न दिए जाने की मांग के बीच पाक सरकार ने कलमाड़ी को निशान-ए-पाकिस्तान सम्मान से नवजाने का फैसला किया है... उसका मानना है कि भारत की जितनी बदनामी वो पिछले साठ सालों में नहीं कर पाए उससे ज्यादा इस शख्स ने पिछले छह दिनों में करवा दी है!
क्त कलमाड़ी ने हाथ दे कर रिक्शे वाले को रोका और पूछा... बस स्टैंड चलना है... कितने पैसे दोगे?
क्त कलमाड़ी का कहना है कि उनके साथ धोखा हुआ है... पहले उन्हें बताया गया था कि खेल दो हजार दस में नहीं दस हजार दो में होने हैं!
क्त कलमाड़ी को काटने के लिए मच्छरों का कल एक इवेंट होना था... मगर... आखरी वक्त पर ज्यादातर मच्छरों ने अपना नाम वापिस ले लिया!
क्त खबर है कि पिछले तीन दिनों में एक लाख लोगों ने नाम परिवर्तन की सूचना अखबारों में दी है.... और क्या ये महज इत्तेफाक है कि इन सभी के नाम सुरेश हैं!
क्त अधूरी तैयारियों से परेशान कलमाड़ी ने अपना सिर पीटा... कहा स्साला कोई भी अपना वादा नहीं निभाता... आतंकी कह गए थे... खेल नहीं होने देंगे... पता नहीं कहां रह गए?
क्त दोस्तों, रात को जूतों की एक माला कलमाड़ी के पोस्टर पर डाली थी...सुबह उठ कर देखा रहा हूं तो उसमें से दो जूते गायब हैं!
क्त बेइज्जती की इंतहा... कलमाड़ी के कुत्ते ने उन्हें देख पूंछ हिलाना बंद कर दिया है।
ईमेल -jc.indore@gmail.com
No comments:
Post a Comment