- प्रभुदयाल श्रीवास्तव
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी,
फुरर-फुरर कर कहाँ
चली।
दादी अम्मा जहाँ
सुखातीं,
छत पर बैठीं
मूँगफली।
चिड़िया रानी चिड़िया
रानी,
मूँगफली कैसी होती।
मूँगफली होती है
जैसे,
लाल रंग का हो मोती।
चिड़िया रानी चिड़िया
रानी,
मोती मुझे खिलाओ न।
बगुला भगत बने क्यों
रहते,
बनकर हंस दिखाओ न।
चिड़िया रानी चिड़िया
रानी,
हंस कहाँ पर रहते
हैं।
काम भलाई के जो करते,
हंस उन्हीं को कहते
हैं।
चिड़िया रानी चिड़िया
रानी,
भले काम कैसे करते ।
सूरज भैया धूप भेजकर,
जैसे अंधियारा
हरते ।
चिड़िया रानी चिड़िया
रानी,
सूरज से मिलवाओ न।
अपना ज्ञान बाँटकर
सबको,
खुद सूरज बन जाओ न।
सम्पर्कः12 शिवम सुन्दरम नगर छिन्दवाड़ा मध्य प्रदेश 48000
2 comments:
वाहह! कितनी सुन्दर कविता है! बाल मन को आनंदित करती रचना 🌹🌹🙏 सर
उड़िया में अनुवाद करें।
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