प्रेम पावस
मिटा दे अन्तर्दाह
बरसा प्यार
जमीं आसमाँ
मन उड़ता फिरे
न जाने कहाँ
मन बेहाल
स्मृति मकड़ियाँ हा!
बुनती जाल
आओ मैं देखूँ
निज मन में प्रिय
तुम्हें समेटूँ
उर-कमल
मुरझाया प्रिय बिन
साँसें विकल
स्मृति- रथ
हो सवार चला है
मन तू कहाँ
स्मृति की रीत
छीन एकांत करे
अनुग्रहीत
भूलो संताप
बीती बिसारो अब
मुस्करा भी दो
अपरिमित
प्रेम हा! प्रिय रहा
अपरिचित
बिछा पलक
निहारूँ राह प्रिय
दे दो झलक
ओ मनमीत
हूँ मन्त्रमुग्ध सुन
प्रणय गीत
विरह पीर
मिटी कान्हा ज्यों देखे
जमुना -तीर
लेखक के बारे में- जन्म - 3 सितम्बर 1986,
तहसील बाह, जिला आगरा उत्तर प्रदेश
शिक्षा - एम ए ( शिक्षाशास्त्र ), बी एड,शोधार्थी सी एस जे एम विश्वविद्यालय कानपुर,
रचना प्रकाशन - त्रिवेणी, हिन्दी हाइकु, हिन्दी चेतना, सहज साहित्य, सेतु, भारत दर्शन, हम हिन्दुस्तानी, साहित्य मंजरी, रचनाकार, स्वर्ग विभा एवं हिन्दी कुंज डॉट कॉम।
मिटा दे अन्तर्दाह
बरसा प्यार
जमीं आसमाँ
मन उड़ता फिरे
मन बेहाल
स्मृति मकड़ियाँ हा!
बुनती जाल
आओ मैं देखूँ
निज मन में प्रिय
तुम्हें समेटूँ
उर-कमल
मुरझाया प्रिय बिन
साँसें विकल
स्मृति- रथ
हो सवार चला है
मन तू कहाँ
स्मृति की रीत
छीन एकांत करे
अनुग्रहीत
भूलो संताप
बीती बिसारो अब
मुस्करा भी दो
अपरिमित
प्रेम हा! प्रिय रहा
अपरिचित
बिछा पलक
निहारूँ राह प्रिय
दे दो झलक
ओ मनमीत
हूँ मन्त्रमुग्ध सुन
प्रणय गीत
विरह पीर
मिटी कान्हा ज्यों देखे
जमुना -तीर
लेखक के बारे में- जन्म - 3 सितम्बर 1986,
तहसील बाह, जिला आगरा उत्तर प्रदेश
शिक्षा - एम ए ( शिक्षाशास्त्र ), बी एड,शोधार्थी सी एस जे एम विश्वविद्यालय कानपुर,
रचना प्रकाशन - त्रिवेणी, हिन्दी हाइकु, हिन्दी चेतना, सहज साहित्य, सेतु, भारत दर्शन, हम हिन्दुस्तानी, साहित्य मंजरी, रचनाकार, स्वर्ग विभा एवं हिन्दी कुंज डॉट कॉम।
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