जंगल में खिला है
पलाश
स्मृतियाँ हैं तुम्हारी
है बैंजनी आकाश
और
सूखे पत्तों से
घिरा मधुमास।
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स्मृतियों में है
कोई सुगन्ध, कुछ
रंग
गुज़र कर भी कहाँ
गुजरता है सब कुछ
जीवन से..।
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स्मृतियों में बसी
होती है
गोधूली बेला
और
गोधूली बेला में
स्मृतियों के सिवा
कुछ नहीं बचता....।
Email- rashmiarashmi@gmail.com
राँची, झारखंड
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