1
रजनी एक पहेली
-मंजुल भटनागर
-मंजुल भटनागर
बादल गरज रहा है
गहराती बदली है
सपने हवा संग
शाम गोधूली है।
ओस कण झर रहे
चाँद दूर तक रहा
चाँदनी फलक पर
दिल हम जोली है।
हवा बर्फ बन रही
पगडण्डी सांय सांय
सपन बैठ आँख में
बुनता डर सहेली है।
चंपा मौलसरी बहक रही
रात रानी जग रही
गेंदा गुलाब दूर खड़े
रजनी एक पहेली है.
2
मिलने की हो आस
दस्तक दे दरवाजे पर
जब सूनी यादें बहती
हैं
पंख पसारे धुँधली- सी छवि
सन्मुख आ कर बैठी है।
बारिश बदली संग लिये वो
रहती दिल के कोने में
रोज सहेली बन बैठी जब
रोती हूँ में कोने में।
इन्द्रधनुष जब सज जाते हैं
बादल कोई गाता है
जुगलबंदी संग जैसे कोई
पास मुझे बुलाता हो।
आकारों के महल बने हैं
दिन, पल के साज
गीत उभर आता है मन में
जब मिलने की हो आस।
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