चिम्पांजी बने दूल्हा दुल्हन
भारत में बारिश न होने पर टोटके के रुप में मेंढक- मेंढकी का ब्याह रचाने के समाचार तो आते ही रहते हैं पर पिछले दिनों पूर्वी चीन के एन्हुई प्रांत की राजधानी हेफी के वाइल्डपार्क में दो चिम्पांजियों का पार्क के सदस्यों ने मिलकर बाकायदा विधिवत ब्याह रचाकर एक शानदार पार्टी का आयोजन किया। दुल्हन बनी मादा चिम्पांजी का नाम वेंनजिंग है जो एन्हुई प्रांत में पैदा होने वाली पहली चिम्पांजी है तथा दूल्हा बने चिम्पांजी को गिनीया से कुछ साल पहले लाया गया था। इस शादी से बाराती और घराती तो खुश थे ही लेकिन सबसे ज्यादा खुश नजर आ रहे थे यह नवविवाहित जोड़ा। जरा देखिए तो हाथों में हाथ डाले यह जोड़ा एक- दूसरे का साथ पाकर खुशी से फूला नहीं समा रहा है। आइए हम सब मिलकर इनके सफल दामपत्य जीवन की कामना करें।
मोटर साइकिल देवता का मंदिर!
जब आस्था की बात आती है तो फिर चाहे वह पत्थर की मूरत हो या फिर कोई मशीनी वस्तु, मानव की भक्ति देखते ही बनती है। ऐसी ही आस्था और भक्ति का केन्द्र बन गया है राजस्थान के जोधपुर मार्ग में पाली से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चोटिला गांव के नजदीक 'बुलेट बाबा' के नाम से मशहूर एक मंदिर, जहां 350 सीसी की एक रॉयल इनफील्ड मोटर साइकिल बुलेट देवता के रूप में विराजमान है। विश्वास तो नहीं होता पर है यह सत्य, क्योंकि इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना करने आते हैं।
इस मोटर साइकिल के मालिक का नाम ओम सिंह था। गांव वाले बताते हैं कि 21 साल पहले गर्मियों की एक रात ओम बाबा पाली से चोटिला लौट रहे थे तभी उनकी मोटर साइकिल फिसलकर एक पेड़ से टकरा गई और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
ओम बाबा की मौत के बाद उनकी मोटर साइकिल को पुलिस स्टेशन ले जाया गया, लेकिन दूसरे दिन वह मोटर साइकिल फिर उसी दुर्घटना स्थल पर पाई गई। इसे एक चमत्कार मान कर तब से ही गांव वाले अपनी सकुशल यात्रा के लिए इस मोटरसाइकिल की पूजा करने लगे। मंदिर में मोटर साइकिल के पीछे ओम सिंह की एक बड़ी सी तस्वीर लगा दी गई है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में रुककर प्रार्थना नहीं करता वह एक खतरनाक यात्रा पर होता है।
रोटी खाते ही शेरू बन गया अछूत!
इस दुनिया के ढंग निराले हैं। मालिक के लिए वफादार कहलाने वाले एक कुत्ते को भी जाति भेदभाव का शिकार होना पड़ा। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक राजपूत परिवार के पालतू कुत्ते, 'शेरू' को मानिकपुर गांव की एक दलित महिला सुनीता जाटव ने अमृतलाल किरार के पालतू कुत्ते को रोटी क्या खिला दी उसका मालिक अपने पालतू शेरू को घर ले जाने को तैयार ही नहीं हुआ।
किस्सा कुछ इस तरह है- रोज की तरह सुनीता खेतों में काम कर रहे अपने पति चंदन जाटव के लिए खाना लेकर गई थी। चंदन के खाना खाने के बाद एक रोटी बच गई तो उसकी पत्नी ने वह रोटी शेरू को खिला दी। लेकिन शेरू को यह रोटी खिलाना सुनीता के लिए मुसीबत की जड़ बन गया। शेरू के मालिक अमृतलाल ने उसे रोटी खिलाते देख लिया था वह सुनीता पर भड़क गया। अमृतलाल का कहना था कि रोटी खिलाकर सुनीता ने उसके कुत्ते को अछूत बना दिया है। इसके बाद मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कुत्ते पर फैसला करने के लिए गांव की पंचायत बुलानी पड़ी, जिसने यह फैसला दिया कि एक दलित महिला ने कुत्ते को अछूत बनाया है इसलिए अब उसे ही कुत्ते को पालना होगा। पंचायत ने महिला पर 15,000 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया। पंचायत के आदेश के मुताबिक शेरु को अब इस दलित महिला सुनीता के साथ ही रहना होगा। अब बेचारे शेरू को क्या पता था कि एक रोटी का टुकड़ा खाते ही उसे अछूत की तरह जिंदगी गुजारनी पड़ेगी।
मोटर साइकिल देवता का मंदिर!
जब आस्था की बात आती है तो फिर चाहे वह पत्थर की मूरत हो या फिर कोई मशीनी वस्तु, मानव की भक्ति देखते ही बनती है। ऐसी ही आस्था और भक्ति का केन्द्र बन गया है राजस्थान के जोधपुर मार्ग में पाली से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चोटिला गांव के नजदीक 'बुलेट बाबा' के नाम से मशहूर एक मंदिर, जहां 350 सीसी की एक रॉयल इनफील्ड मोटर साइकिल बुलेट देवता के रूप में विराजमान है। विश्वास तो नहीं होता पर है यह सत्य, क्योंकि इस मंदिर में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए प्रार्थना करने आते हैं।
इस मोटर साइकिल के मालिक का नाम ओम सिंह था। गांव वाले बताते हैं कि 21 साल पहले गर्मियों की एक रात ओम बाबा पाली से चोटिला लौट रहे थे तभी उनकी मोटर साइकिल फिसलकर एक पेड़ से टकरा गई और घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई।
ओम बाबा की मौत के बाद उनकी मोटर साइकिल को पुलिस स्टेशन ले जाया गया, लेकिन दूसरे दिन वह मोटर साइकिल फिर उसी दुर्घटना स्थल पर पाई गई। इसे एक चमत्कार मान कर तब से ही गांव वाले अपनी सकुशल यात्रा के लिए इस मोटरसाइकिल की पूजा करने लगे। मंदिर में मोटर साइकिल के पीछे ओम सिंह की एक बड़ी सी तस्वीर लगा दी गई है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर में रुककर प्रार्थना नहीं करता वह एक खतरनाक यात्रा पर होता है।
रोटी खाते ही शेरू बन गया अछूत!
इस दुनिया के ढंग निराले हैं। मालिक के लिए वफादार कहलाने वाले एक कुत्ते को भी जाति भेदभाव का शिकार होना पड़ा। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में एक राजपूत परिवार के पालतू कुत्ते, 'शेरू' को मानिकपुर गांव की एक दलित महिला सुनीता जाटव ने अमृतलाल किरार के पालतू कुत्ते को रोटी क्या खिला दी उसका मालिक अपने पालतू शेरू को घर ले जाने को तैयार ही नहीं हुआ।
किस्सा कुछ इस तरह है- रोज की तरह सुनीता खेतों में काम कर रहे अपने पति चंदन जाटव के लिए खाना लेकर गई थी। चंदन के खाना खाने के बाद एक रोटी बच गई तो उसकी पत्नी ने वह रोटी शेरू को खिला दी। लेकिन शेरू को यह रोटी खिलाना सुनीता के लिए मुसीबत की जड़ बन गया। शेरू के मालिक अमृतलाल ने उसे रोटी खिलाते देख लिया था वह सुनीता पर भड़क गया। अमृतलाल का कहना था कि रोटी खिलाकर सुनीता ने उसके कुत्ते को अछूत बना दिया है। इसके बाद मामले ने इतना तूल पकड़ा कि कुत्ते पर फैसला करने के लिए गांव की पंचायत बुलानी पड़ी, जिसने यह फैसला दिया कि एक दलित महिला ने कुत्ते को अछूत बनाया है इसलिए अब उसे ही कुत्ते को पालना होगा। पंचायत ने महिला पर 15,000 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया। पंचायत के आदेश के मुताबिक शेरु को अब इस दलित महिला सुनीता के साथ ही रहना होगा। अब बेचारे शेरू को क्या पता था कि एक रोटी का टुकड़ा खाते ही उसे अछूत की तरह जिंदगी गुजारनी पड़ेगी।
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