30 साल से बच्चों का चहेता मारियो
मारियो सबसे पहले 1981 में 'डौंकी कौंग' नाम के गेम में देखा गया। दो साल बाद मारियो के साथ उसका भाई लुइगी भी दिखाई देने लगा। तब से इस गेम का नाम 'मारियो ब्रदर्स'[ पड़ गया।
मारियो सबसे पहले 1981 में 'डौंकी कौंग' नाम के गेम में देखा गया। दो साल बाद मारियो के साथ उसका भाई लुइगी भी दिखाई देने लगा। तब से इस गेम का नाम 'मारियो ब्रदर्स'[ पड़ गया।
भले ही आजकल बच्चों के पास खेलने के लिए ऑनलाइन गेम और प्ले स्टेशन जैसे ढेर सारे विकल्प हों, पर एक जमाना था जब वीडियो गेम का मतलब सिर्फ टेट्रिस या मारियो हुआ करता था। एक पूरी पीढ़ी मारियो को खेलते- खेलते बड़ी हुई है। वीडियो गेम का किरदार सुपर मारियो ने पिछले माह अपना 30वां जन्मदिन मनाया।
करीब तीस साल पहले एक प्लंबर ने वीडियो गेम खेलने का तरीका ही बदल दिया। जहां वीडियो गेम का मतलब केवल एक स्क्रीन पर बॉल से ईंटें तोडऩा या ईंटों की दीवार बनाना था वहीं मारियो अपने साथ पहली बार एक कहानी ले कर आया। नीली शर्ट, लाल पैंट और सिर पर लाल टोपी।
बड़ी सी मूंछों वाला छोटा सा मारियो भागता, कूदता और कभी- कभी तो उड़ता भी था। कभी सिक्केे लेकर अमीर हो जाता तो कभी मशरूम खा कर आकार में तिगुना हो जाता। उछलते कूदते अंत में जा कर यह छोटा सा मारियो एक बड़े से गोरिल्ला से भिड़ जाता और यह सब झमेला अपनी राजकुमारी को गोरिल्ला के चंगुल से छुड़ाने के लिए।
इस तरह का गेम अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी। खेलने वालों को भी यह खूब पसंद आया क्योंकि इसमें पहली बार वे खुद किरदार को निभा रहे थे। उस वक्त के सबसे लोकप्रिय गेम पैकमैन के मुकाबले यह बहुत ही अलग था। जहां पैकमैन में बस एक ही स्क्रीन दिखा करती थी जिसमें एक बड़ा गोला छोटे गोलों को खाया करता जबकि मारियो और भी ढेर सारी चीजें कर सकता था। वो एक छोटा सा कार्टून हीरो था जिसका पूरा कंट्रोल खेलने वाले के हाथ में था।
मारियो सबसे पहले 1981 में 'डौंकी कौंग' नाम के गेम में देखा गया। दो साल बाद मारियो के साथ उसका भाई लुइगी भी दिखाई देने लगा। तब से इस गेम का नाम 'मारियो ब्रदर्स' पड़ गया। फिर पंद्रह साल बाद 1996 में और भी बदलाव किए गए और इसका 3डी अवतार दिखाई दिया। पहले पोर्टेबल वीडियो गेम्स में भी मारियो सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा।
मारियो की लोकप्रियता बरकरार रखने के लिए इसे बनाने वाली जापानी कंपनी निनटेन्डो ने प्लंबर मारियो को कभी डॉक्टर मारियो बनाया तो कभी खिलाड़ी। मारियो को अब तक टेनिस, गोल्फ, बेसबॉल और फुटबॉल खेलते हुए देखा जा चुका है।
सुपर मारियो में इतने सालों में भले ही खूब बदलाव आए हों, लेकिन एक चीज है जो अभी तक नहीं बदली वो है उसकी आवाज। अमेरिकी अभिनेता चाल्र्स मार्टीनेट 1996 से मारियो को अपनी आवाज देते आए हैं। पिछले पंद्रह सालों से चाल्र्स मार्टीनेट की आवाज में मारियो के 'युहू' और 'मामा मिया' बेहद लोकप्रिय रहे हैं।
क्यों बना मारियो
मार्टीनेट ने जब पहली बार मारियो को अपनी आवाज दी थी तो यह बिलकुल नहीं सोचा था कि वह उनके जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा। उन्हीं की तरह निनटेन्डो कंपनी ने भी यह नहीं सोचा था कि मारियो इतनी ऊंचाइयों को छू सकेगा। बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि जब जापानी कंपनी निनटेन्डो ने पहली बार अमेरिका में मारियो गेम शुरू की थी तब वो यह सोच रहे थे कि शायद इसे कोई भी नहीं खरीदेगा।
उस समय मारियो की रचना सिर्फ इसलिए की गई थी क्योंकि उनके पास उस समय सड़क पर लगने वाली गेम की मशीनें अधिक संख्या में थीं। उन्हें कूड़े के भाव बेचने से रोकने के लिए मारियो बनाया गया और अमेरिका में जब मारियो का 'डौंकी कौंग' आया तो उसकी मशीनें हाथों- हाथ बिक गईं। मारियो मिकी माउस से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया और देखते ही देखते अमेरिका में उसकी 60,000 मशीनें लग गई। अब तक मारियो की बीस करोड़ गेम्स बिक चुकी हैं। यह किसी भी गेम का अब तक का रिकॉर्ड है।
करीब तीस साल पहले एक प्लंबर ने वीडियो गेम खेलने का तरीका ही बदल दिया। जहां वीडियो गेम का मतलब केवल एक स्क्रीन पर बॉल से ईंटें तोडऩा या ईंटों की दीवार बनाना था वहीं मारियो अपने साथ पहली बार एक कहानी ले कर आया। नीली शर्ट, लाल पैंट और सिर पर लाल टोपी।
बड़ी सी मूंछों वाला छोटा सा मारियो भागता, कूदता और कभी- कभी तो उड़ता भी था। कभी सिक्केे लेकर अमीर हो जाता तो कभी मशरूम खा कर आकार में तिगुना हो जाता। उछलते कूदते अंत में जा कर यह छोटा सा मारियो एक बड़े से गोरिल्ला से भिड़ जाता और यह सब झमेला अपनी राजकुमारी को गोरिल्ला के चंगुल से छुड़ाने के लिए।
इस तरह का गेम अपने आप में एक बहुत बड़ी बात थी। खेलने वालों को भी यह खूब पसंद आया क्योंकि इसमें पहली बार वे खुद किरदार को निभा रहे थे। उस वक्त के सबसे लोकप्रिय गेम पैकमैन के मुकाबले यह बहुत ही अलग था। जहां पैकमैन में बस एक ही स्क्रीन दिखा करती थी जिसमें एक बड़ा गोला छोटे गोलों को खाया करता जबकि मारियो और भी ढेर सारी चीजें कर सकता था। वो एक छोटा सा कार्टून हीरो था जिसका पूरा कंट्रोल खेलने वाले के हाथ में था।
मारियो सबसे पहले 1981 में 'डौंकी कौंग' नाम के गेम में देखा गया। दो साल बाद मारियो के साथ उसका भाई लुइगी भी दिखाई देने लगा। तब से इस गेम का नाम 'मारियो ब्रदर्स' पड़ गया। फिर पंद्रह साल बाद 1996 में और भी बदलाव किए गए और इसका 3डी अवतार दिखाई दिया। पहले पोर्टेबल वीडियो गेम्स में भी मारियो सबसे ज्यादा लोकप्रिय रहा।
मारियो की लोकप्रियता बरकरार रखने के लिए इसे बनाने वाली जापानी कंपनी निनटेन्डो ने प्लंबर मारियो को कभी डॉक्टर मारियो बनाया तो कभी खिलाड़ी। मारियो को अब तक टेनिस, गोल्फ, बेसबॉल और फुटबॉल खेलते हुए देखा जा चुका है।
सुपर मारियो में इतने सालों में भले ही खूब बदलाव आए हों, लेकिन एक चीज है जो अभी तक नहीं बदली वो है उसकी आवाज। अमेरिकी अभिनेता चाल्र्स मार्टीनेट 1996 से मारियो को अपनी आवाज देते आए हैं। पिछले पंद्रह सालों से चाल्र्स मार्टीनेट की आवाज में मारियो के 'युहू' और 'मामा मिया' बेहद लोकप्रिय रहे हैं।
क्यों बना मारियो
मार्टीनेट ने जब पहली बार मारियो को अपनी आवाज दी थी तो यह बिलकुल नहीं सोचा था कि वह उनके जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा। उन्हीं की तरह निनटेन्डो कंपनी ने भी यह नहीं सोचा था कि मारियो इतनी ऊंचाइयों को छू सकेगा। बहुत कम लोगों को यह बात पता होगी कि जब जापानी कंपनी निनटेन्डो ने पहली बार अमेरिका में मारियो गेम शुरू की थी तब वो यह सोच रहे थे कि शायद इसे कोई भी नहीं खरीदेगा।
उस समय मारियो की रचना सिर्फ इसलिए की गई थी क्योंकि उनके पास उस समय सड़क पर लगने वाली गेम की मशीनें अधिक संख्या में थीं। उन्हें कूड़े के भाव बेचने से रोकने के लिए मारियो बनाया गया और अमेरिका में जब मारियो का 'डौंकी कौंग' आया तो उसकी मशीनें हाथों- हाथ बिक गईं। मारियो मिकी माउस से भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया और देखते ही देखते अमेरिका में उसकी 60,000 मशीनें लग गई। अब तक मारियो की बीस करोड़ गेम्स बिक चुकी हैं। यह किसी भी गेम का अब तक का रिकॉर्ड है।
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