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Apr 1, 2023

आधुनिक बोध कथाः पुनर्मूल्यांकन

 - सीताराम गुप्ता 

एक मछुआरे ने नदी में जाल डाला। जाल डालने के बाद काफी देर तक वह बैठा रहा लेकिन कोई मछली उसके जाल में नहीं फँसी। कुछ और समय गुज़र जाने के बाद उसे अहसास हुआ कि जाल कुछ भारी हो गया है। उसने जाल को ऊपर उठा कर देखा तो पाया कि उसमें एक सुंदर-सी मछली फँसी हुई है। मछुआरे ने जाल को बाहर निकाला। पास से देखने पर पता चला कि ये मछली आम मछलियों जैसी नहीं है। उसका रंग-रूप अत्यंत आकर्षक तथा आँखें सम्मोहक थीं। मछुआरा तो जैसे सम्मोहित ही होने लगा। उसके मन में मछली के प्रति करुणा के भाव जाग्रत होने लगे। उसने फैसला किया कि वह मछली को वापस पानी में डाल देगा। मछली भी जल के अभाव में बैचेन हो चली थी।

     मछुआरे ने जैसे ही मछली को पानी में पुनः प्रवाहित करने का प्रयास किया मछली ने मछुआरे से पूछा, ‘ मैं तो बहुत सारे जल के बीच थी वह जल कहाँ गया?’ ‘जल तो जाल के अंदर से बह गया,’ मछुआरे ने बतलाया। इस पर मछली ने कहा कि वह दोबारा जल में नहीं जाना चाहती। ‘मगर क्यों ?’ मछुआरे ने पुनः पूछा। मछली ने कहा, ‘मेरा और जल का पुराना संबंध था। जब जाल बाहर आया तो जल मुझे छोड़कर बह गया। ऐसे निष्ठुर जल के पास दोबारा जाने की अपेक्षा मैं उसके वियोग में तड़प-तड़प कर मरना अधिक पसंद करूँगी। अतः मुझे वापस पानी में मत फेंको।’ मछुआरा मछली की बात सुन कर हैरान रह गया। जल से ऐसा प्यार करने वाली मछली उसने इससे पहले कभी नहीं देखी थी। यदि वह मछली को पानी में नहीं फेंकता है तो मछली कुछ ही क्षणों में प्राण त्याग देगी।

     मछुआरा मछली को हर हाल में बचाना चाहता था अतः उसने एक बार फिर उसे समझाते हुए कहा, ‘देखो, तुम सुंदर और स्वाभिमानिनी ही नहीं भावुक भी बहुत हो। तुमने जल से प्रेम किया लेकिन जल तुम्हारे प्रेम की पराकाष्ठा को समझने में असमर्थ रहा अतः उसके लिए जीवन का बलिदान करना किसी भी प्रकार से उचित नहीं। वैसे भी एक मछली पानी के बिना जीवित नहीं रह सकती। पानी उसके लिए अनिवार्य ही नहीं उसमें रहना उसका अधिकार भी है। तुम्हें अपना यह अधिकार हर्गिज़ नहीं छोड़ना चाहिए। अतः काल्पनिक मोह और मानापमान का ख़याल किए बिना तुम्हें वापस पानी में चले जाना चाहिए। यदि जीवन ही नहीं रहा तो जीवन-मूल्यों का क्या महत्त्व है?’ जीवित रह कर ही हम जीवन-मूल्यों की रक्षा कर सकते हैं तथा अनुपयोगी अथवा विकास में बाधक जीवन-मूल्यों को बदल सकते हैं।

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