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Sep 3, 2021

दो ग़ज़ल

- विज्ञान  व्रत


1.        

उनकी   आँखों    में   चिंगारी

लेकिन   बातों   में    गुलबारी

 

उनसे   मिलकर    बैरागी   हूँ

छूट    गयी    है    दुनियादारी

 

कोई    हुक्म    नहीं    मानेगा

उनका  हुक्म  हुआ   है  जारी

 

गर मुझको आज़ाद  किया  है

फिर   क्यों   इतनी   पहरेदारी

 

दरिया  में  जब  कूद  गया  हूँ

अब   दरिया  की   ज़िम्मेदारी

 

2.

पागल   क्या   दीवाना   क्या

इनमें   फ़र्क़    बताना    क्या

 

मुझको    कोई    याद    नहीं

अपना   क्या    बेगाना   क्या

 

मुझको  तुम   क्या   दे   पाये

तुमको   फिर  लौटाना   क्या

 

ख़ुद ही  सब कुछ  जान  गये

फिर  तुमको   बतलाना  क्या

 

तुम   जन्मों   से   मुझमें   हो

फिर  तुमको  अपनाना   क्या

 

सम्पर्कः एन - 138 , सैक्टर - 25 , नोएडा – 201301, मो .  09810224571

2 comments:

शिवजी श्रीवास्तव said...

सुंदर ग़ज़लें

Sudershan Ratnakar said...

बहुत बढ़िया ग़ज़लें।