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Sep 3, 2021

लघुकथा- जहाँ जागे वहीं सवेरा

-डॉ. विभा रंजन (कनक)

जानकी का दर्द जब असहनीय हो गया, तब उसने अपनी बहू श्वेता को आवाज दी।
आपने बुलाया मम्मी जी.!
‘हाँ, मेरे घुटने दर्द से ऐंठ रहें है, जरा दराज से मूव निकालकर मालिश कर दो, और गरम पानी की थैली से सिंकाई भी कर दो।
मम्मी जी, मुझे मूव की बदबू से उल्टी आती है,
मैं मालिश तो नहीं कर पाऊँगी, हाँ , गरम पानी की थैली लाती हूँ, उससे तो आप खुद भी सिंकाई कर सकती हैं।
  बहू का टका सा जवाब पाकर जानकी कुछ बोल नहीं पाई, आँखों के कोरों से आँसू निकल पड़े, उसके अपने किये कर्म सामने आ रहे हैं, जानकी ने अपनी सास की कभी इज्ज़त नहीं की। जानकी को अपने स्वर्गीय पति की बात याद आ गई, अपने कर्मो का फल यहीं मिलता है, उसका मन पछतावा से भर गया। श्वेता पानी ले आई, जानकी स्वयं ही सिंकाई करने लगी, गठिया के कारण हाथ थोडे़ टेढे़ हो गये थे सो, दिक्कत हो रही थी,
तभी कॉलबेल बजा। श्वेता ने दरवाजा खोला, 
ओह मम्मा, आओ न, कितने दिनों के बाद आई हो,
उधर हाँ जा रही हो? 
तेरी सास से मिलने!
वो सो रही हैं, बाद में मिल लेना,
चलो मेरे साथ! 
श्वेता उन्हें अपने कमरे में ले गई।
दर्द ज्यादा है क्या?’
हाँ , मुझसे बोली, मूव से मालिश कर दो, फिर गरम पानी की थैली से सिंकाई कर दो, मैंने तो बोल दिया, मुझे मूव से उल्टी आती है और सिंकाई तो आप खुद भी कर सकती हैं!
यह तो गलत बात है श्वेता, एक बीमार और लाचार को इस तरह से जवाब देना! 
तुम नहीं जानती मम्मा, इन्होंने अपनी सास को बहुत सताया है, मुझे बुआ जी ने सब बता दिया! 
तू क्या उनका बदला ले रही है, फिर तो यह कहानी कभी खत्म ही नहीं होगी!
मतलब?’
उन्होंने अपनी सास को सताया, तू अपनी सास को सता, तेरी बहू तूझे सतायेगी!
मेरी बहू, क्यों?’
क्यों उसे बताने वाला कोई नहीं होगा क्या, और फिर कोई बता
ये या न बता, बच्चे तो घर में जो देखेंगे वही सीखेंगे न!
श्वेता सोचने लगी।

अपनी बात का प्रभाव होते देख, उसकी माँ ने कहा,
मैंने तुझे ऐसे संस्कार तो नहीं दिये हैं, कल को अगर तेरी भाभी मेरे साथ ऐसा करे, तब तुझे कैसा लगेगा?’
सॉरी मम्मा,
मुझसे गलती हो गई, अब से मैं उनका ध्यान, एकदम अपनी माँ की  तरह रखूँगी !
कोई बात नहीं,
जागे तभी सवेरा, बस इतना याद रख किसी को दंड देने का अधिकार हमें नहीं है, वो पर बैठा है न वही न्याय करता है।

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1 comment:

Sudershan Ratnakar said...

प्रेरणादायी