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May 16, 2014

नन्हे गीत

गिरीश पंकज के नन्हे गीत
(1)
चल-चल रे बस्ते स्कूल,
राह कहीं मत जाना भूल
अगर रा-सी देर हो गई
मैडम दिखलाएगी 'रूल
(2)
हाथी दादा रोज नहाते,
साबुन-पानी नहीं बचाते।
चिडिय़ा रहती है परेशान,
रह जाता उसका स्नान।
(3)
मेंढक  बोला टर-टर-टर,
लेकर आओ कम्प्यूटर,
माउस रोज घुमाऊँगा
मैं भी चित्र बनाऊँगा।
(4)
प्रभु जी हमको दो वरदान
खूब बढ़ाएँ अपनी शान,
दीन -दुखी की सेवा करके,
बन जाएँ अच्छे इंसान।
(5)
मत समझो मुझको तुम बच्ची,
करती हूँ मैं बातें अच्छी।
काम मेरा है लिखना-पढ़ना,
इस जीवन में आगे बढ़ना
झूठ नहीं मैं कहती सच्ची,
मत समझो मुझको तुम बच्ची।
(6)
गरमी जीओ गरमी जी,
क्यों इतनी बेशर्मी जी।
पी लो थोड़ा ठंडा पानी,
ले आओ कुछ नरमी जी।
(7)
मिट्टी का मैं एक घड़ा हूँ ,
आता सबके काम बड़ा हूँ।
प्यास बुझाने सब लोगों की,
चौराहे पर रोखड़ा हूँ।
(8)
प्यारी चिड़िया तू फिर आना,
चावल दूँगी उसको खाना
और सकोरे में है पानी,
उसको पीकर प्यास बुझाना।
थोड़ा अपना हाल बताना
चीं-चीं करके गीत सुनाना,
प्यारी चिड़िया तू फिर आना।
 (9)
नानी जी ओ नानी जी,
छोड़ो बात पुरानी जी।
नई  कहानी हमें सुनाओ,
कहाँ के राजा-रानी जी।
(10)
मैना ने आवाज़ लगाई
बोलो-बोलो मिट्ठू भाई
चोंच नुकीली कैसे पाई ?
तोता बोला सोचा कर-
ध्यान धरो मत चोंच पर।
बस खाने में है आराम,
चनामिर्च या फिर आम।

सम्पर्क: संपादकसद्भावना दर्पण (मासिक) 28 प्रथम तलएकात्म परिसररजबंधा मैदान रायपुर छत्तीसगढ़ 492001 मो. 09425212720, Email- girishpankaj1@gmail.com

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