संत कवि सूरदास |
ऐसे बहुत से लेखक रहे जिन्होंने जीवन का शतक तो पूरा किया ही, सौ बरस पार कर लेने के बाद भी पढ़ने -लिखने में लगे रहे और उनकी किताबें छपकर आती रहीं। संयोग से विभिन्न देशों में अलग- अलग भाषाओं के ऐसे लेखक भी डेढ़ सौ से अधिक हैं। इनमें से कई तो अभी भी जीवित हैं और या तो अपनी अगली किताब की पांडुलिपि तैयार करने में लगे हैं या पिछली किताब के प्रूफ देख रहे हैं। बलिहारी है ऐसे लिक्खाड़ों की। ऐसे कर्मयोगियों के लिए सौ बरस जीओ वाला जुमला भी पुराना पड़ गया है।
• इस सूची में पहले भारतीय हैं संत कवि सूर दास। उनके जन्मस्थान और जन्म की तारीख के बारे में मतभेद हैं; लेकिन ये माना जाता है कि वे 104 या 105 बरस जीये। उनका काल 1478–1583 माना जाता है।
• के डी सेठना (26 नवंबर 1904 – 29 जून 2011) सौ का आँकड़ा पार करने वाले दूसरे भारतीय लेखक, कवि, दार्शनिक और समीक्षक माने जाते हैं। वे श्रीअरविंदो आश्रम की पत्रिका मदर इंडिया के 51 बरस तक संपादक रहे। उन्हें अमल किरण के नाम से भी जाना जाता है। वे 106 बरस की उम्र पाने वाले आधुनिक लेखक माने जाते हैं।
• नीरद चंद्र चौधरी (23 नवंबर 1897 – 1 अगस्त 1999) बांग्ला और अंग्रेजी के लेखक थे जिन्होंने 102 बरस की उम्र पाई। वे The Autobiography of an Unknown Indian के लिए खास तौर पर जाने जाते हैं। उनकी किताबों की संख्या अच्छी खासी है।
• जैसा कि मैंने बताया, सौ बरस से अधिक की उम्र पाने वाले लेखकों की संख्या 150 के करीब है। मजे की बात इनमें से एक तिहाई यानी लगभग 44 लेखक केवल अमेरिका के हैं। अर्जेंटिना से दो, आस्ट्रेलिया में जन्मे अमेरिकी लेखक एक, भारत से कुल मिला कर तीन, चीन से दो, कैनेडा से 7, चिली से एक, क्रोशिया से एक, ब्रिटेन से 7, ब्राजील से एक, अंग्रेजी के लेखक 7, फ्रांस के तीन, जर्मनी के सात, हंगरी से एक, विएतनाम से एक, स्कॅाटलैंड से एक, तुर्की से एक, स्वीडन से दो, स्पेन से चार, स्लोवाक से एक, जापान से सात, ईरान से एक, पुर्तगाल से एक और इस तरह से ये सूची आगे बढ़ती है।
• इस सूची में भी टॉप पर रहने वाली रूस की कवयित्री साशा क्रासनी (1882–1995) हैं जिन्होंने 112 बरस की उम्र पाई। इनसे निचली पायदान पर रहे इतालवी निबंधकार और कवि कार्ला पोर्टा मूसा (1902–2012) जो 110 बरस की उम्र पाकर उम्र दराज लेखकों की सूची में दूसरे नंबर पर आते हैं। 109 बरस की उम्र पाने वाले आइरिश कवि कोम दे भाइलिस (1796–1906) और अमेरिकी लेखक साराह लुइस डेलानी (1889–1999) आते हैं। 108 बरस तक एक लेखक जीये और 106 बरस की उम्र पाने वाले 6 लेखक रहे।
अच्छा लगता है जब हम पाते हैं कि इतनी अधिक उम्र पाकर भी लेखक अपने कर्म में लगे रहे और दुनिया को साहित्य का अमूल्य उपहार देते रहे।
कम उम्र के लेखक
ये सूची सांकेतिक है। दुनिया भर में अलग- अलग भाषाओं में ऐसे अनेक मामले रहे होंगे जब बाल लेखकों ने कमाल कर दिखाये होंगे।
• क्रिस्टोफर पाओलिनी ने पंद्रह बरस की उम्र में Inheritance नाम की बेस्ट सेलर फेंटेसी सीरीज लिखना शुरू कर दी थी। लेकिन उनसे कम उम्र के भी कई लेखक ये कारनामा कर चुके हैं।
• पिछले दशक में फ्रांस में रहने वाली रोमानिया की फ्लेविया बुजो ने अपनी पहली किताब The Prophecy of the Stones बारह बरस की उम्र में लिख ली थी और जब वह चौदह बरस की हुई तो ये किताब हार्पर कॉलिंस से छपकर आ चुकी थी। इसका 23 भाषाओं में अनुवाद हुआ और कुल 20000 प्रतियाँ बिकीं।
• 1993 में चीन में जन्मी चीनी-अमेरिकी नैंसी वाई फैन सात बरस की उम्र में न्यू यार्क चली गयी थी। वहां उसने ग्यारह बरस की उम्र में अपना पहला उपन्यास Swordbird लिखना शुरू किया और एक बरस में पूरा होने पर अपने खुद के बलबूते पर हार्पर कॉलिंस के सीईओ को ईमेल कर दिया। उपन्यास 2007 में छपा। बाद में 2008 में Sword Quest और 2012 में Sword Mountain भी छपे। ये न्यू यार्क टाइम्स के बेस्ट सेलर रहे।
• जेक मार्सियोनेट ने 2012 की गर्मी की छुट्टियों में 12 बरस की उम्र में आत्मकथात्मक उपन्यास जस्ट जेक लिख डाला, इंटरनेट पर इसे छपवाने की टिप्स की जानकारी तलाशी, दो ही दिन में एजेंट भी खोज लिया और जब उपन्यास छपा, तो यह न्यू यार्क टाइम्स की बेस्ट सेलर लिस्ट में जगह बना चुका था। जेक इस उपन्यास को लिखे जाने के पीछे अपनी माँ से मिली प्रेरणा मानता है। वह आगे भी लिखते रहना चाहता है।
एलेक्जेंडर पोप |
• ज्योति और सुरेश गुप्तारा जुड़वाँ भाई हैं। जब वे ग्यारह बरस के थे तो 700 पेज की फेंटेंसी Conspiracy of Calaspia लिख मारी। इसे छपने लायक बनाने के लिए इसे दस बार लिखा। भारत में ये बेस्ट सेलर रही। इसके इतालवी संस्करण के अधिकार €60,000 में बिके जबकि जर्मन भाषा के अधिकार भी उन्हें 6 अंकों की एडवांस राशि दिला गए।
• दोनों भाइयों ने तीन बरस की उम्र में लिखना पढ़ना सीख लिया था। 2007 में ज्योति जब 18 बरस के हुए तो वे दुनिया के सबसे कम उम्र के पूर्ण कालिक उपन्यासकार थे। इससे पहले वे पंद्रह बरस की उम्र में द वाल स्ट्रीट लिख कर हंगामा कर चुके थे।
• मैट्टी स्टेपानेक अजीब अजीब बीमारियों के साथ पैदा हुआ था और चौदह बरस की उम्र में मरने तक आक्सीजन गैस के टैंक और व्हील चेयर से ही बँधा रहा। इसके बावजूद वह 2002 से 2004 के बीच कविता की पाँच बेस्ट सेलर किताबों का लेखक बना। उसने तीन बरस की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। उसकी माँ भी असाध्य रोगों की मरीज थी और उसके तीन बड़े भाई अकाल मौत से मर चुके थे। 2001 में कविता की उसकी पहली किताब ने उसे हीरो बना दिया था। उसने अमेरिका के राष्ट्रपति जिमी कार्टर से शांति के मसलों पर बात भी की थी।
• अलेक ग्रेवान ने नौ बरस की उम्र में How to Talk to Girls लिख दिया था। वह टीवी शो में भी नजर आया। वहीं उसे प्रकाशक मिल गया। इस बाल सुलभ उपन्यास में वह किशोरों को प्यार करने के टिप्स देता है। बाद में अलेक ने How to Talk to Moms, How to Talk to Dads and How to Talk to Santa भी लिखीं। सारी किताबें हार्पर कॉलिंस से छपीं।
• डेज़ी ऐशफोर्ड ने 1890 में नौ बरस की उम्र में The Young Visiters लिख ली थी लेकिन ये किताब 1919 में ही छप पाई थी। इस किताब की एक मजेदार बात ये रही कि उसने किताब छपने पर भी बचपन में लिखने में की गयी गलतियों को जस का तस रहने दिया। यहाँ तक कि शीर्षक भी गलत ही जाने दिया। इससे पहले वह चार बरस की उम्र में अपने पिता को The Life of Father McSwiney की कहानी की डिक्टेशन दे चुकी थी।
• क्रिस्टोफर बील 6 बरस की उम्र में रोज लंच के बाद अपने कमरे में एक कहानी लिखा करता था। धीरे- धीरे उसने शब्द संख्या 1500 तक बढ़ाई। This and Last Season’s Excursions नाम की यह किताब लंदन में 2006 में छपी। उस समय उसकी उम्र 6 बरस और 118 दिन थी। वह सबसे कम उम्र का लेखक है। उससे 42 दिन बड़ा ब्राजील का Dragon Island का लेखक माना जाता है।
• डोरोथी स्ट्रेट सबसे कम उम्र की प्रकाशित कृति की लेखिका मानी जाती है। चार बरस की उम्र में उसने अपनी दादी के लिए कहानी लिखी। उसके माता पिता ने ये कहानी Pantheon Books को भेज दी। जब कहानी छपी तो डोरोथी 6 बरस की थी। (क्रमशः)
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