-नरेन्द्र प्रसाद ‘नवीन’
मैं सुबह टहलने के उद्देश्य से लॉन की ओर बढ़ा। मेरा पालतू एलसेशियन कुत्ता भी दुम हिलाता मेरे साथ–साथ चल पड़ा। मार्ग के कुछ निर्बल रोगग्रस्त कुत्ते भी नजर आए। उन्हें देखकर मेरे कुत्ते ने उन पर गुर्राना शुरू किया। वे दुम दबाकर भागे। एक–कुत्ता दीन–हीन हालत में सड़क किनारे गरदन झुकाए बैठा था। मेरे कुत्ते ने उस पर आक्रमण कर दिया। उस दीन–हीन कुत्ते ने भी उसका जमकर मुकाबला किया। मुकाबले में दीन कुत्ता यद्यपि विशेष जख्मी हुआ; किन्तु उसने अपने साहस के बल पर मेरे कुत्ते को भी घायल कर दिया। मेरा कुत्ता उसकी ओर उपेक्षा की दृष्टि से देखते हुए भागकर मेरे पास चला आया। और उधर सड़क पर एक हॉकर अखबार लिये चिल्ला रहा था–‘‘एक महत्त्वपूर्ण समाचार–‘‘साम्राज्यवादी नीति से निकारागुआ जख्मी!’’
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