1. प्रेम का आविष्कार करती औरतें
- रोहित ठाकुर
प्रेम का आविष्कार करती औरतों
ने ही कहा होगा
फूल को फूल और
चाँद को चाँद
हवा में महसूस की होगी
बेली के फूल की महक
उन औरतों ने ही
पहाड़ को कहा होगा पहाड़
नदी को कभी सूखने नहीं दिया होगा
उनकी साँसों से ही
पिघलता होगा ग्लेशियर
उन्होंने ही बहिष्कार किया होगा
ब्रह्माण्ड के सभी ग्रहों का
चुना होगा इस धरती को
वे जानती होंगी इसी ग्रह पर
पीले सरसों के फूल खिलते हैं ।।
2. वहाँ
वहाँ पर कोई
बात नहीं कर रहा था
इसलिए कोई राह नहीं
दिख रही थी
मैंने नदी के साथ की शुरुआत
बात की
मुझे पहले सुनाई दी
मछलियों की पदचाप
फिर चिड़ियों की चहचहाट
सुनाई दी
मुझे लगता है
हमारी जड़ता टूटती है
बात करने से
कोई न हो पास
तो
किसी पेड़ से
मैं बात करूँगा
जो नदी के साथ बात नहीं करेंगे
वे जान नहीं पाएँगे
मछलियों की पदचाप
और
हत्यारे की पदचाप
में अन्तर।
सम्पर्कः जयंती- प्रकाश बिल्डिंग, काली मंदिर रोड,
संजय गांधी नगर, कंकड़बाग , पटना-800020, बिहार, मो-
7549191353, ई-मेल - rrtpatna1@gmail.com
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