- पूजा शर्मा
अभी- अभी तो रखे हैं
अपने नन्हें कदम जमीं पर
जरा मुझे इस जमीं को पहचानने तो दो
अभी- अभी तो चलना सीखा है मैनें
जरा- सा संभलने का मौका तो दो...
ऐसा नहीं है कि मैं
सपने नहीं देखना चाहती
या उनके टूट जाने से डरती हूँ...
मैं भी सपने देखना चाहती हूँ
उन्हें सँजोना चाहती हूँ
उनके पीछे दौडऩा चाहती हूँ
उन्हें जीना भी चाहती हूँ
परा जरा- सा मेरी आँखों को
खुलने तो दो...
ये भी नहीं कि मैं
जिंदगी का खेल खेलना नहीं चाहती
या इसे हारने से डरती हूँ
मैं भी जिंदगी जीना चाहती हूँ
एक बड़ा दांव लगाना चाहती हूँ
इसके निराले खेल चाहती हूँ
इसे जीतना भी चाहती हूँ
पर जरा- सा, दो पल चैन- से
इसे समझने का मौका तो दो...
लेखक के बारे में:
ग्रेजुएशन तक बायो-साईंस की स्टुडेंट। पी.जी. इकोनोमिक्स में।
लिखने की बहुत शौकीन हूँ। या कह लीजिये कि मेरी जिंदगी का
आधा हिस्सा इन पन्नों में ही है...
संपर्क: D/o आर बी शर्मा, डी.एफ.ओ. रेसीडेंस, इको सेंटर,
बनिया कालोनी, सीधी (मप्र) 486661
Blogs:- http://poojashandilya.blogspot.com
अपने नन्हें कदम जमीं पर
जरा मुझे इस जमीं को पहचानने तो दो
अभी- अभी तो चलना सीखा है मैनें
जरा- सा संभलने का मौका तो दो...
ऐसा नहीं है कि मैं
सपने नहीं देखना चाहती
या उनके टूट जाने से डरती हूँ...
मैं भी सपने देखना चाहती हूँ
उन्हें सँजोना चाहती हूँ
उनके पीछे दौडऩा चाहती हूँ
उन्हें जीना भी चाहती हूँ
परा जरा- सा मेरी आँखों को
खुलने तो दो...
ये भी नहीं कि मैं
जिंदगी का खेल खेलना नहीं चाहती
या इसे हारने से डरती हूँ
मैं भी जिंदगी जीना चाहती हूँ
एक बड़ा दांव लगाना चाहती हूँ
इसके निराले खेल चाहती हूँ
इसे जीतना भी चाहती हूँ
पर जरा- सा, दो पल चैन- से
इसे समझने का मौका तो दो...
लेखक के बारे में:
ग्रेजुएशन तक बायो-साईंस की स्टुडेंट। पी.जी. इकोनोमिक्स में।
लिखने की बहुत शौकीन हूँ। या कह लीजिये कि मेरी जिंदगी का
आधा हिस्सा इन पन्नों में ही है...
संपर्क: D/o आर बी शर्मा, डी.एफ.ओ. रेसीडेंस, इको सेंटर,
बनिया कालोनी, सीधी (मप्र) 486661
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2 comments:
bahut bahut badhaai
Khoobsurat ehsaas....
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