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शंख बजाने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। महाभारत काल में श्रीकृष्ण द्वारा कई बार अपना पांचजन्य शंख बजाया गया था। हिंदू मान्यता के अनुसार कोई भी पूजा, हवन, यज्ञ आदि शंख के उपयोग के बिना पूर्ण नहीं माना जाता। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार शंख बजाने से भूत- प्रेत, अज्ञान, रोग, दुराचार, पाप, दूषित विचार और गरीबी का नाश होता है। आधुनिक विज्ञान के अनुसार शंख बजाने से हमारे फेफड़ों का व्यायाम होता है, श्वास संबंधी रोगों से लडऩे की शक्ति मिलती है। पूजा के समय शंख में भरकर रखे गए जल को सभी पर छिड़का जाता है क्योंकि शंख के जल में कीटाणुओं को नष्ट करने की अद्भुत शक्ति होती है। शंख में रखा पानी पीना स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है साथ ही हमारी हड्डियों, दांतों के लिए भी लाभदायक बताया गया है। शंख में कैल्शियम, फास्फोरस और गंधक के गुण होते हैं जो उसमें रखे जल में आ जाते हैं।
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