निकटस्थ जलालपुर माफी गाँव में जमीन भी चंद बीघे थी, जो और कुछ नहीं तो - साल का खाने-भर अनाज और पशुओं के लिए भुस पर्याप्त दे सकती थी। बस इतने में ही बैजनाथ पाँड़े अपने कुनबे का खर्च अपने दायरे में मजे में चला लेते थे - यहाँ तक मजे में कि सारी जिंदगी बिहारीसाहु के मंदिर में वेतन भोगी पुजारी रहे, पर वेतन लिया कभी नहीं और मर भी गए। बैजनाथ पाँड़े संस्कृत के साधारण जानकार, जजमानी विद्या-निपुण, साथ ही गीता के परमभक्त, शैव परिवार में पैदा होकर भी वैष्णव प्रभाव, भाव-संपन्न थे। कहते हैं बैजनाथ पाँड़े सम्यक् चरित्रवान, सुदर्शन और सत्यवादी थे। कहते हैं वह चालीस वर्ष ही की उम्र में बैकुंठ-बिहारी के प्यारे हो गए थे। कहते हैं इतनी ही उम्र में वह बारह बच्चों के जनक बन चुके थे। मेरे कहने का मतलब यह कि बैजनाथ पाँड़े अच्छे तो थे बहुत; लेकिन अन-बैलेन्स्ड भी कम नहीं थे। सो उन्हें क्षय-रोग हुआ, जिससे असमय में ही उनके जीवन-स्रोत का क्षय हो गया। कहते हैं क्षय में बकरे की सन्निकटता, बकरी का दूध, उसी के मांस का स्वरस बहुत लाभदायक होते हैं। हमारा परिवार शाक्त, हम छिपकर मांसादि ग्रहण करनेवाले, फिर भी बैजनाथ पाँड़े ने प्राणों के लिए अवैष्णवी उपाय अपनाना अस्वीकृत कर दिया। अपने पिता की एक झलक-मात्र मेरी आँखों में है। मंदिर से आकर ब्राह्मण-वेश में किसी ने मेरे मुँह में एक आचमनी गंगाजल डाल दिया, जिसमें बताशे घुले हुए थे। मैं माँ की गोद में था।
Jul 14, 2019
धरती और धान
निकटस्थ जलालपुर माफी गाँव में जमीन भी चंद बीघे थी, जो और कुछ नहीं तो - साल का खाने-भर अनाज और पशुओं के लिए भुस पर्याप्त दे सकती थी। बस इतने में ही बैजनाथ पाँड़े अपने कुनबे का खर्च अपने दायरे में मजे में चला लेते थे - यहाँ तक मजे में कि सारी जिंदगी बिहारीसाहु के मंदिर में वेतन भोगी पुजारी रहे, पर वेतन लिया कभी नहीं और मर भी गए। बैजनाथ पाँड़े संस्कृत के साधारण जानकार, जजमानी विद्या-निपुण, साथ ही गीता के परमभक्त, शैव परिवार में पैदा होकर भी वैष्णव प्रभाव, भाव-संपन्न थे। कहते हैं बैजनाथ पाँड़े सम्यक् चरित्रवान, सुदर्शन और सत्यवादी थे। कहते हैं वह चालीस वर्ष ही की उम्र में बैकुंठ-बिहारी के प्यारे हो गए थे। कहते हैं इतनी ही उम्र में वह बारह बच्चों के जनक बन चुके थे। मेरे कहने का मतलब यह कि बैजनाथ पाँड़े अच्छे तो थे बहुत; लेकिन अन-बैलेन्स्ड भी कम नहीं थे। सो उन्हें क्षय-रोग हुआ, जिससे असमय में ही उनके जीवन-स्रोत का क्षय हो गया। कहते हैं क्षय में बकरे की सन्निकटता, बकरी का दूध, उसी के मांस का स्वरस बहुत लाभदायक होते हैं। हमारा परिवार शाक्त, हम छिपकर मांसादि ग्रहण करनेवाले, फिर भी बैजनाथ पाँड़े ने प्राणों के लिए अवैष्णवी उपाय अपनाना अस्वीकृत कर दिया। अपने पिता की एक झलक-मात्र मेरी आँखों में है। मंदिर से आकर ब्राह्मण-वेश में किसी ने मेरे मुँह में एक आचमनी गंगाजल डाल दिया, जिसमें बताशे घुले हुए थे। मैं माँ की गोद में था।
एक बच्चे की जिम्मेदारी आप भी लें
अभिनव प्रयास- माटी समाज सेवी संस्था, जागरुकता अभियान के क्षेत्र में काम करती रही है। इसी कड़ी में गत कई वर्षों से यह संस्था बस्तर के जरुरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए धन एकत्रित करने का अभिनव प्रयास कर रही है। बस्तर कोण्डागाँव जिले के कुम्हारपारा ग्राम में बरसों से आदिवासियों के बीच काम रही 'साथी समाज सेवी संस्था' द्वारा संचालित स्कूल 'साथी राऊंड टेबल गुरूकुल' में ऐसे आदिवासी बच्चों को शिक्षा दी जाती है जिनके माता-पिता उन्हें पढ़ाने में असमर्थ होते हैं। इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चों को आधुनिक तकनीकी शिक्षा के साथ-साथ परंपरागत कारीगरी की नि:शुल्क शिक्षा भी दी जाती है। प्रति वर्ष एक बच्चे की शिक्षा में लगभग चार हजार रुपये तक खर्च आता है। शिक्षा सबको मिले इस विचार से सहमत अनेक जागरुक सदस्य पिछले कई सालों से माटी समाज सेवी संस्था के माध्यम से 'साथी राऊंड टेबल गुरूकुल' के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेते आ रहे हैं। प्रसन्नता की बात है कि नये साल से एक और सदस्य हमारे परिवार में शामिल हो गए हैं- रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' नई दिल्ली, नोएडा से। पिछले कई वर्षों से अनुदान देने वाले अन्य सदस्यों के नाम हैं- प्रियंका-गगन सयाल, मेनचेस्टर (यू.के.), डॉ. प्रतिमा-अशोक चंद्राकर रायपुर, सुमन-शिवकुमार परगनिहा, रायपुर, अरुणा-नरेन्द्र तिवारी रायपुर, डॉ. रत्ना वर्मा रायपुर, राजेश चंद्रवंशी, रायपुर (पिता श्री अनुज चंद्रवंशी की स्मृति में), क्षितिज चंद्रवंशी, बैंगलोर (पिता श्री राकेश चंद्रवंशी की स्मृति में)। इस प्रयास में यदि आप भी शामिल होना चाहते हैं तो आपका तहे दिल से स्वागत है। आपके इस अल्प सहयोग से एक बच्चा शिक्षित होकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल तो होगा ही साथ ही देश के विकास में भागीदार भी बनेगा। तो आइए देश को शिक्षित बनाने में एक कदम हम भी बढ़ाएँ। सम्पर्क- माटी समाज सेवी संस्था, रायपुर (छ. ग.) 492 004, मोबा. 94255 24044, Email- drvermar@gmail.com
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