बाल गीत
चूहे राजा
-हरिहर वैष्णव
बिल्ली मौसी नर्स बनी थी
डॉक्टर चूहे राजा,
सूई लगा कर फीस का वे
करते और तकाजा।
करते और तकाजा
बोले, 'बात आपने टाली है,
फीस मेरी है तगड़ी, क्योंकि
तालीम विदेशों वाली है।'
बोले तब जंगल के राजा,
'सुन लो चूहे राम,
चुपचाप भाग लो जंगल से
तुम्हें मिल चुके दाम।'
'तुम्हें मिल चुके दाम
यहाँ क्या काम तुम्हारा?
पड़ जायेगा वरना भारी
बच्चू! क्रोध हमारा।'
सुन कर तब भागा जो चूहा
बिल्ली दौड़ी पीछे
तालीम विदेशी छूट गयी
देखा न मुड़ कर पीछे।
सम्पर्क: Email- hariharvaishnav@gmail.com
Labels: बाल जगत, हरिहर वैष्णव
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