सापेक्ष में 58 रचनाकार एक साथ
हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाओं में समकालीन सृजन और समाज की वैज्ञानिक चेतना के लिए प्रतिबद्ध दुर्ग छत्तीसगढ़ से निकलने वाले सापेक्ष ने एक लंबा सफर तय किया है। सापेक्ष के संपादक महावीर अग्रवाल ने हाल ही में इसका 50 वां विशेष अंक प्रकाशित किया है। यह 50वां अंक पूर्व के अंकों से इसलिए भिन्न है क्योंकि इसमें हिन्दी साहित्य आलोचकों एवं साहित्यिकारों पर केंद्रित विशिष्ट सामग्री संकलित की गई है।
हिंदी की साहित्यिक पत्रिकाओं में समकालीन सृजन और समाज की वैज्ञानिक चेतना के लिए प्रतिबद्ध दुर्ग छत्तीसगढ़ से निकलने वाले सापेक्ष ने एक लंबा सफर तय किया है। सापेक्ष के संपादक महावीर अग्रवाल ने हाल ही में इसका 50 वां विशेष अंक प्रकाशित किया है। यह 50वां अंक पूर्व के अंकों से इसलिए भिन्न है क्योंकि इसमें हिन्दी साहित्य आलोचकों एवं साहित्यिकारों पर केंद्रित विशिष्ट सामग्री संकलित की गई है।

सापेक्ष में उल्लेखनीय बात यह है कि इसके पूर्व महावीर जी ने सापेक्ष में अनेक नामी व्यक्तित्व एवं विषयों पर केंद्रित कई विशेषांक प्रकाशित किए हैं जिसमें लोक संस्कृति, गजल, उत्तर आधुनिक सौंदर्यशास्त्र और द्वंदवाद, उत्तर आधुनिकता और द्वंदवाद, व्यंग्य सप्तक, विज्ञान का दर्शन, नाटक, मुकुटधर पाण्डेय, बाबा नागार्जुन, त्रिलोचन, देवेन्द्र सत्यार्थी, कबीर, शमशेर तथा हबीब तनवीर का रंग संसार शामिल है।
हिन्दी आलोचना पर केन्द्रित 'सापेक्ष 50' जिसमें 850 पृष्ठ हैं का मूल्य मात्र 150 रूपये है ।
जंगल एक गीत है

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ऐसा क्यों
आप देर से दफ्तर पहुंचते हैं तो हर कोई देखता है, पर आप जब देर तक काम करते हैं तो कोई ध्यान नहीं देता।
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