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Feb 1, 2022

कविता- ज्ञानदायिनी माता मेरी नैया पार लगा दो

-डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव 


दूर- दूर तक तम ने अपनी ,

चादर है फैलाई ।

तरस रहे हम उजियारे को ,

तम ने कला दिखाई ।

तम को दूर भगा दो माता ज्ञान का दीप जला दो।

ज्ञानदायिनी माता मेरी  नैया पार लगा  दो।।1।।


जो लिखना मैं चाहूँ मैया ,

झट से मैं लिख डालूँ ।

दिशा दिखाए मेरा लेखन ,

मंजिल को मैं पालूँ ।

ज्ञान -दीप के पथ पर मैया काँटे सभी हटा दो।

ज्ञानदायिनी माता मेरी नैया  पार  लगा दो।।2।।


 निर्मल कर दो मेरे उर को ,

 बुद्धि, विद्या का वर दो ।

सतत लेखनी चलती जाए ,

माँ वह मधुरिम स्वर दो ।

कलुष हृदय से दूर करो माँ नई दिशा दिखला दो ।

ज्ञानदायिनी माता मेरी  नैया पार लगा दो ।।3।।


सम्पर्कः  प्राथमिक विद्यालय डगरु का पुरवा , विकास खंड कुठौंद जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश, मो.  9451318138 

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