-डॉ. कमलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव
दूर- दूर तक तम ने अपनी ,
चादर है फैलाई ।
तरस रहे हम उजियारे को ,
तम ने कला दिखाई ।
तम को दूर भगा दो माता ज्ञान का दीप जला दो।
ज्ञानदायिनी माता मेरी नैया पार लगा दो।।1।।
जो लिखना मैं चाहूँ मैया ,
झट से मैं लिख डालूँ ।
दिशा दिखाए मेरा लेखन ,
मंजिल को मैं पालूँ ।
ज्ञान -दीप के पथ पर मैया काँटे सभी हटा दो।
ज्ञानदायिनी माता मेरी नैया पार लगा दो।।2।।
निर्मल कर दो मेरे उर को ,
बुद्धि, विद्या का वर दो ।
सतत लेखनी चलती जाए ,
माँ वह मधुरिम स्वर दो ।
कलुष हृदय से दूर करो माँ नई दिशा दिखला दो ।
ज्ञानदायिनी माता मेरी नैया पार लगा दो ।।3।।
सम्पर्कः प्राथमिक विद्यालय डगरु का पुरवा , विकास खंड कुठौंद जनपद जालौन, उत्तर प्रदेश, मो. 9451318138
No comments:
Post a Comment