पिया बसंती रे... काहे सताए आजा
फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में उस्ताद के साथ काम कर चुके संगीतकार इस्माइल दरबार ने कहा, 'मेरा उनके साथ अलग तरह का तालमेल था। वह मेरे पिता के करीबी मित्र थे। मैं वह पहला व्यक्ति था जिसने उनसे फिल्म में गाना गाने को कहा। उन्होंने फिल्म के लिये 'अलबेला' अद्भुत तरीके से गाया।'
खान राजस्थान के सारंगी वादकों के परिवार में जन्मे थे। आरंभ में उन्होंने अपने पिता उस्ताद गुलाम खान से तालीम ली। उसके बाद उन्होंने इंदौर घराने के शास्त्रीय गायक उस्ताद आमिर खान से संगीत की बारीकियां सीखी। उस्ताद सुल्तान खान ने 11 साल की उम्र से ही मंच पर गाना और सारंगी वादन शुरू कर दिया था। बाद में वे सितार सम्राट पंडित रवि शंकर को साथ जुड़े और विदेशों में कार्यक्रम किए। जाकिर हुसैन और अमरीकी संगीतकार बिल लास्वेल के साथ वे भारतीय फ्य़ुजन संगीत दल 'तबला बीट साइंस' में भी शामिल हुए। इसके साथ ही मशहूर बैंड द बीटल्स के साथ उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संगीत कार्यक्रमों में भी हिस्सा लिया। पॉप क्वीन मैडोना के एलबम के लिए भी उन्होंने सारंगी बजाई।
सारंगी वादन के क्षेत्र में नयी जान फूंकने का श्रेय खान को ही जाता है। उनकी अपने सारंगी पर गजब की पकड़ थी और उनकी आवाज भी उतनी ही सुरीली थी। खुद को सारंगी वादक के तौर पर स्थापित करने के बाद उस्ताद सुल्तान खान ने लता मंगेशकर, खय्याम, संजय लीला भंसाली जैसी फिल्म जगत की हस्तियों और पश्चिमी देशों के संगीतकारों के साथ काम भी काम किया। रिचर्ड एटनबरो की ऑस्कर विजेता फिल्म गांधी में भी उस्ताद सुल्तान खान ने सारंगी की धुन दी। गायिका चित्रा के पिया बसंती एल्बम ने उन्हें युवाओं के बीच लोकप्रिय बनाया। पिया बसंती एलबम को एमटीवी का इंटरनेशनल वीवर्स च्वाइस अवार्ड भी मिला था। उनके बेटे साबिर खान भी जाने-माने सारंगी वादक हैं।
उस्ताद सुल्तान खान को वर्ष 2010 में पद्मभूषण के साथ ही दो बार संगीत नाट्य अकादमी पुरस्कार और महाराष्ट्र के स्वर्ण पदक पुरस्कार से सम्मानित किए गए। 1998 में उन्हें अमेरिकन अकैडमी ऑफ आर्टिस्ट अवॉर्ड भी मिला। खान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन और अमेरिकी बेसिस्ट बिल लेसवेल के साथ इंडियन फ्यूजन ग्रुप 'तबला बीट साइंसÓ के भी सदस्य रहे। (उदंती फीचर्स)
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