उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Mar 14, 2014

रंगो की सौगात

रंगो की सौगात















-डॉ.जेनी शबनम

धरती रँगी
सूरज नटखट
गुलाल फेंके!
तन पे चढ़ा
फागुनी रंग जब
मन भी रँगा!


-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
चुपके से आ
सूरज ने बिखेरा
लाल गुलाल।
झूमते तरु
सुवासित पवन
बौराई फिरे।
हँसे दिशाएँ
मुस्कुराया चमन
चटकी कली।

-सीमा स्मृति
बरसे रंग
जि़न्दगी का कैन्वास
बदले पल।
छींटे नहीं, ये
रंग थे, सतरंगी
ओढ़े जि़न्दागी।

-अनुपमा त्रिपाठी
रंग बिरंगी
बसंत की सौगातें
फूलों की बातें।
बुन ले गुण
रंग छाई बहार
मन फागुन!
फागुन गीत
निर्झर बहे धारा
ढूँढे किनारा।

-अनिता ललित
फागुनी रुत
खिले टेसू के फूल
महके दिल!
पहली होली
पहली वो फुहार
न भूले दिल!
याद जो आए
बचपन की होली
उदास दिल!

-हरकीरत हीर
लग जा गले
मिटाकर दुश्मनी
होलिका जले।
भीगी अखियाँ
भीगा है तुझ बिन
मन होली में।

-शशि पुरवार
सपने पाखी
इन्द्रधनुषी रंग
होरी के संग
रंग अबीर
फिजा में लहराते
प्रेम के रंग

-प्रियंका गुप्ता
प्रेम का रंग
जब मन पे चढ़े
छूट न पाए।
यादें-अबीर
धीरे से लगा जाती
मन सहेली।
सुख और दुख
जीवन-पिचकारी
भर के मारे।

-सुभाष लखेड़ा
जरूर खेलें
रंगों से यह होली
मीठी हो बोली।
आई होली है
न  शिकवे न गिले                                                                        
  प्रेम से मिलें।

No comments: