भरोसा, मृत्यु प्रमाण पत्र
(1) भरोसा
- निशा भोसले
अपनी जवान बेटी को देर से घर लौटते देख पिता ने
टोकते हुए कहा-
कॉलेज से घर जल्दी लौट आया करो.....
बेटी ने पलट कर जवाब दिया-
पापा अब मैं बड़ी हो गई हूं,
क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है.....?
पिता ने अखबार के पन्ने पलटते हुए कहा -
तुम पर है पर इस शहर पर नहीं है।
(2) मृत्यु प्रमाण पत्र
क्या काम है ?
मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाना है.....
किसका?
अपने पिता का.....
इसी वक्त बनवाना है तो दो सौ रुपए लगेंगे......
दफ्तर की कुर्सी पर बैठे बाबू ने कहा।
वह व्यक्ति लाल पीला होने लगा,
और कुर्सी पर बैठे बाबू से पूछ बैठा-
तुम अपने पिता का सौदा कितने रुपए में करोगे.....?
कुर्सी पर बैठा बाबू सन्न रह गया।
पता: शुभम विहार कालोनी, बिलासपुर, छत्तीसगढ़-495 001
Labels: निशा भोसले, लघुकथा
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