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Jul 12, 2018

आरती स्मित

धन्य धरा है
  डॉ.आरती स्मित,
बूँद- बूँद अमिय रस टपके
बूँद- बूँद रस धार
प्रकृति तुम्हारी गोद में
भोर का रूप उदार.... बूँद...

निश्छल झरना बहता झरझर
पाहन क्रोड विशाल
आज विराजे ध्यानस्थ शिव हैं
माया अपरंपार....... बूँद...

अंतर्गुहा फैले उजियारा
रम्य प्रकृति असीम विस्तार
कण- कण झलक रहा है तल में
निर्मल जल बेहतर आकार। बूँद...

मन क्रीड़ारत बाल सम
तज स्वारथ- व्यापार
चटकी धूप निखरी छटा है
देवी रूप -सौंदर्य उपहार। बूँद...

धन्य धन्य स्मित तेरा जीवन
दोषरहित प्रकृति शृंगार
धन्य धरा है, व्योम धन्य
नवजीवन अविरल संचार। बूँद...

सम्पर्क:  डी 136, गली . 5, गणेशनगर पांडवनगर कॉम्प्लेक्स, दिल्ली– 92
मो- 8376836119, email-dr.artismit@gmail.com

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