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Nov 3, 2020

उदंती.com, नवम्बर 2020

वर्ष 13, अंक 3 

जलाओ दिये पर रहे ध्यान इतना, 

अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।   

-गोपालदास नीरज 

इस अंक में

अनकहीः हम सबको आलोकित करें... - डॉ. रत्ना वर्मा

जीवन दर्शनः लक्ष्मी: क्यों न चंचला होय -विजय जोशी

आलेखः मीठे होते रिश्ते -डॉ. महेश परिमल

पर्व संस्कृतिः दीपोत्सव और प्रवासी मन -शशि पाधा

व्यंग्यः दिवाली पर बल्ले-बल्ले! उर्फ किस्सा मुफ़्तेश्वर जी का -गिरीश पंकज

कहानीः एक थी बिन्नी -अनिता मंडा

दो ग़ज़लेः 1.नन्ही-सी लौ, ओस की बूँदों में -डॉ. गिरिराजशरण अग्रवाल

कविताः ज्योति जगाएँगे -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु

व्यंग्यः वैक्सीन आ रहा है ! -जवाहर चौधरी

लघुकथाः 1. अनपढ़ माँ, 2. छुटकारा, 3. पेंशन -कृष्णा वर्मा

कविताः दीपावली मनाएँ कैसे -डॉ. शिवजी श्रीवास्तव

संस्मरणः नन्ही-सी परी -प्रगति गुप्ता

कविताः 1. प्रथम अनिवार्य प्रश्न-सा, 2. झरोखे से -डॉ. कविता भट्ट

आलेखः ... महिलाओं को मजबूत करना है रूरी -देवेंद्र प्रकाश मिश्रा

व्यंग्यः प्यार और व्यापार -तर अली

कविताः औरत- गाथा -प्रेम गुप्ता मानी

लघुकथाः दिवाली की सफाई -महेश राजा

किताबेंः छत्तीसगढ़ी का प्रथम ताँका संग्रह -डॉ. सुधीर शर्मा

प्रेरकः दिन की शुरुआत किस काम से करनी चाहिए? -निशांत

4 comments:

प्रगति गुप्ता said...

बहुत बढ़िया अंक..खूब शुभकामनाएं पत्रिका के लिए

प्रीति अग्रवाल said...

एक और विविधता और सहजता से सुसज्जित सुंदर, सफल अंक!...आदरणीया रत्न वर्मा जी और उनकी समस्त टीम को ढेरों बधाई एवं शुभकामनाएँ!..सादर प्रीति अग्रवाल।

विजय जोशी said...

संपादक महोदया, उदंती के हर अंक का अनुक्रम होता ही है अद्भुत। सो यह भी लाजवाब। हार्दिक बधाई

Krishna said...

आ. रत्ना जी एवं समस्त टीम को बेहतरीन अंक के लिए हार्दिक बधाई। दीपोत्सव की बहुत-बहुत मंगलकामनाएँ। मेरी लघुकथाओं को यहाँ स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार।