उदंती.com- मार्च 2013 महिला दिवस एवं होली पर विशेष
अनकही: एक अनुकरणीय पहल...- डॉ. रत्ना वर्मा
महिला दिवस: औरत को हाशिया नहीं... -बेला गर्ग
महिला दिवस: असीमित शक्तियों का भण्डार है नारी -रीता विश्वकर्मा
महिला दिवस: समाज को नया दृष्टिकोण... - डॉ. प्रीत अरोड़ा
महिला दिवस: विशेषाधिकार नहीं समान अधिकार... -लोकेन्द्र सिंह
होलियाना व्यंग्य: सोशल मीडियाई औरगॅजेटियाई होली -रवि रतलामी
लोक पर्व: छत्तीसगढ़ में फाग की परम्परा -जी. के. अवधिया
कविता: ऐसे खेली होरी -शैली चतुर्वेदी
कविता: सखी री... बस ऐसे फाग खिला दे -वंदना गुप्ता
लोक पर्व: उठाओ चेहरे से नकाब होलीमें -प्रो. अश्विनी केशरवानी
व्यंग्य: भियाजी तो खेलेंगे होली -जवाहर चौधरी
कालजयी कहानियाँ: आँसुओं की होली -मुंशी प्रेमचंद
तीन लघुकथाएँ: जीवन-बाती, डंक, गुबार -सुधा भार्गव
हाइकु: तेरे आने की आहट -तुहिना रंजन
सेहत: हमें छींक क्यों आती है? -सुभाष लखेड़ा
प्रेरक प्रसंग: मन की शांति,पागलपन
आपके पत्र / मेल बॉक्स
पुस्तकें: एक पाती सूरज के नाम -निरूपमा कपूर
स्वामी विवेकानंद: ये साक्षात जगदम्बा कीप्रमिमूर्ति हैं
3 comments:
शानदार अंक है रत्ना जी. बधाई.
उदन्त सारे दे दिए
उदन्य हम उदन्त के
तुमने किया हमें उदंतिका
जब उदय किया उदंती का ।।
उदन्त= समाचार
उदन्य = प्यासा
उदंतिका = संतृप्त
उदय = निकलना
~bodhmita
ratna ji , aap badhai ki patra hain. mahila ank achha lga.
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