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Aug 29, 2011

उदंती.com, अगस्त 2011

वर्ष - 4, अंक- 1

ये धरती आन बान शान की है,
वफा की त्याग की बलिदान की है
यहां रमने को तरसते हैं देवता भी,
ये धरती मेरे हिंदुस्तान की है

- शायर हलीम आईना
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स्वाधीनता विशेष
अनकही: वास्तविक स्वतंत्रता
शहर मालामाल और गाँव बदहाल दर बदहाल? - गिरीश पंकज
एक खत गाँधी जी के नाम - निलेश माथुर
लोक चेतना में स्वाधीनता की लय - आकांक्षा यादव
दूर हटो ए दुनिया वालों हिन्दुस्तान हमारा है - लोकेन्द्र सिंह कोट
गीत: नाम है इसका ही जिंदगी - देवमणि पाण्डेय
जन्मदिवस 31 अगस्तः वह ताउम्र प्यार की पेशानी का पसीना पोंछती रहीं - परितोष चक्रवर्ती
गजल: वो आसमाँ चाहिये - देवी नागरानी
स्वाधीनता विशेषः अमीरों की सरकार, अमीरों द्वारा अमीरों के लिए - राम औतार साचान
हिन्दी नाटकों के मंचक पंडित राधेश्याम बरेलवी - डॉ. दीपेन्द्र कमथान
गजल: आजादी है - रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
कहानी: नागफांस - विष्णु प्रभाकर
गीत : बीती कहानी बंद करो - रश्मि प्रभा
लघुकथा: कर्मयोगी - महेश कुमार बसेडिया
'मेरी कमीज पर तुम्हारी कमीज से कम दाग क्यों?'- मंजु मिश्रा
मेलबॉक्स से: सरकारी नाई
कविता: मैं सुन रहा हूँ - यशवन्त कोठारी
व्यंग्य: कब तक रहेंगे 'दो शब्द' - विनोद साव

2 comments:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बढिया अंक. बधाई.

सुनील गज्जाणी said...

नमस्कार !
खूब सूरत अंक के लिए रचनाकारों सहित सम्पादक महोदय जी को भी हार्दिक बधाई .
सादर