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Aug 13, 2015

उदंती.com, अगस्त- 2015

वर्ष- 8, अंक- 1

आप को जो भी मिला है , उसका अधिक मूल्यांकन न करें और न ही दूसरों से ईर्ष्या करें। वे लोग जो दूसरों से ईर्ष्या करते हैं, उन्हें मन को शांति कभी प्राप्त नहीं होती।                 - गौतम बुद्ध 

1 comment:

सहज साहित्य said...

गिरीश पंकज की गज़लें , भावना सक्सैना का लेख,वृन्दावन लाल वर्मा की कहानी शरणागत और कमला निखुर्पा के हाइकु प्रभावशली हैं कथाएँ एवं प्रसंग ताज़गी का अहसास कराते हैं। रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'